कृषि निर्यात नीति : अंतरराष्ट्रीय बाजार से किसानों को सीधे जोड़ेगी सरकार
सत्यप्रकाश
नई दिल्ली : वैश्विक विशेष कर अमेरिका और यूरोपीय देश तथा जापान के खाद्य बाजारों की मांग को देखते हुए राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति में स्वदेशी, नवीन, जैविक, स्थानीय प्रजाति, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक कृषि उत्पादों के निर्यात पर जोर दिया गया है। भारतीय निर्यात की वैश्विक बाजार में मजबूत स्थिति है लेकिन इसे बढ़ाने के लिए नये उत्पाद और नये बाजार जरुरी है। अमेरिका, यूरोप और पूर्वी एशिया भारतीय उत्पादों के परंपरागत बाजार हैं जहां खाद्य उत्पादों की नयी संभावनायें बन रही हैं। इसके अलावा इन देशों में रह रहे भारतीय समुदाय के लोग भी भारतीय उत्पादों की मांग करते हैं। कृषि निर्यात नीति में स्पष्ट तौर पर ऐसे उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिनकी विदेशों में भारी मांग है और इनकी पैदावार भारत के विभिन्न हिस्सों में हो रही है। यह नीति एक बुनियादी ढांचा तैयार करेगी और भारत के दूर-दराज के किसानों को सीधे अंतर्राष्ट्रीय बाजार से जोड़ेगी। कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच को आसान बनाने के लिए एक संस्थागत प्रणाली विकसित करना तथा इनके व्यापार के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करना इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है।
कृषि निर्यात नीति के अनुसार वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जुड़कर कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाकर जल्द ही दोगुना किया जाएगा और घरेलू किसानों को वैश्विक बाजारों में निर्यात के अवसर उपलब्ध कराये जाएगें। केंद्र सरकार ने 2022 तक निर्यात 600 अरब डालर करने का लक्ष्य घोषित करते हुए दिसंबर के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय कृषि उत्पाद निर्यात नीति की मंजूरी दी थी। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इससे जैविक उत्पादों तथा प्रसंस्कृत उत्पादों का निर्यात किया जा सकेगा। इसके तहत फलों और मसालों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। कृषि उत्पादों के निर्यात पर से सभी प्रतिबंध हटाए जाएंगें। हालांकि प्याज, आलू तथा इनके जैसी खाद्य वस्तुओं के निर्यात की समय- समय पर समीक्षा होगी।
कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर विशेष क्षेत्र बनाए जाएंगें और बंदरगाहों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी। इनके लिए सरकार ने 1400 करोड़ रुपए के निवेश का प्रावधान किया है। कृषि उत्पादों के निर्यात में जैविक उत्पादों का प्रमुख हिस्सा है और सरकार इसकी खेती को विशेष प्रोत्साहन देगी। राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति से 600 अरब डालर के निर्यात का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। कृषि नीति के माध्यम से कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा जो वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाएगी। नयी नीति के माध्यम से कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना करने में भी मदद मिलेगी और भारतीय किसान और उनके उत्पाद वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बन सकेंगे। वर्ष 2022 तक कृषि निर्यात को मौजूदा 30 अरब डॉलर से बढ़ाकर 60 अरब डॉलर करना तथा अगले कुछ वर्षों में इसे 100 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाएगा।
निर्यात किए जाने वाले कृषि उत्पादों में विभिन्नता लाना तथा उनके लिए नए बाजार तलाशना और इसके साथ ही जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों सहित अन्य किस्म के कृषि उत्पादों को विभिन्न तरीके से इस्तेमाल करने लायक बनाकर उनका मूल्य संवर्धन करना कृषि निर्यात नीति का मुख्य तत्व है। इसके अलावा स्वदेशी, नवीन, जैविक, स्थानीय प्रजाति, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा भी इसके उद्देश्यों में शामिल है। कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच को आसान बनाने के लिए एक संस्थागत प्रणाली विकसित की जाएगी तथा इनके व्यापार के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करना और इनसे जुड़े पादप-स्वच्छता के मामलों से निपटा जाएगा। इस नीति की निगरानी और क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में वाणिज्य मंत्रालय की देखरेख में एक निगरानी तंत्र तैयार करने का भी प्रस्ताव किया गया है जिसमें विभिन्न मंत्रालयों, विभागों तथा संबंधित राज्यों के प्रतिनिधि होंगे।
कृषि निर्यात को कुशल बनाने के लिए एक ढांचागत व्यवस्था बनायी जाएगी और किसानों की माल परिवहन में मदद की जाएगी। कृषि निर्यात बढ़ाने में राज्य सरकारों की भागीदारी बढ़ायी जाएगी और कृषि उत्पाद के सामूहिक केंद्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सरकार ‘ब्रांड इंडिया’ बनाने का प्रयास करेगी और इसके बाजार में मदद करेगी। इसके अलावा कृषि उत्पादन और प्रसंस्करण क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंच बनाने के लिए कड़े गुणवत्ता मानक स्थापित किये जाएंगें और इसके लिए अनुसंधान और विकास पर जोर होगा। निर्यातकों के संगठन भारतीय निर्यातक महासंघ (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने राष्ट्रीय कृषि उत्पाद निर्यात नीति का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे किसानों की आय दुगुनी करने में मदद मिलेगी और विदेश व्यापार में इजाफा होगा।
गुप्ता ने कहा कि इससे कृषि उत्पादों के निर्यात में स्थिरता आयेगी। इससे कृषि उत्पादों और कृषि आधारित प्रसंस्कृत उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह नीति भारतीय निर्यात के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। हालांकि नीति का मुख्य हिस्सा उसकी स्थिरता है जो बहुत जरूरी है। कारोबारियों को बाजार विकसित करने में लंबा समय लगता है। बार-बार नीति में बदलाव होने से निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ता है। फियो का मानना है कि इसमें वैश्विक मांग के अनुरूप जैविक उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अधिक से अधिक उपभोक्ता जैविक खाद्य उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के किसानों को विशेष रूप से लाभ होगा। इसके लिए जैविक पदार्थ प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाना होगा।