RBI ने सरकार को किया आगाह; राजकोषीय घाटे में फिसलन जारी रही तो बाजार में बढ़ेगी अस्थिरता
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने शुक्रवार को कहा कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि किसी प्रकार की फिसलन से महंगाई पर इसका असर होगा और निजी क्षेत्र के लिए निवेश की गुंजाइश कम पड़ जाएगी और बाजार में अस्थिरता बढ़ जाएगी।
मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए पटेल ने कहा, 'राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बनाए रखना महज किसी एक कारण के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि यह आगे निजी क्षेत्र के लिए निवेश की गुंजाइश कम होने का खतरा कम करने के लिए जरूरी है क्योंकि केंद्र और सरकार की उधारी को मिलाकर बड़ी रकम हो जाती है।
पटेल ने एक सवाल के जवाब में राजकोषीय घाटे को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। उनसे पूछा गया था कि सरकार द्वारा गुरुवार को तेल पर उत्पाद कर में की गई कटौती जैसे लोकलुभावन कदमों से वित्तीय स्थायित्व, चालू खाते का घाटा और महंगाई पर क्या असर होगा। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा, 'वित्तीय फिसलन चाहे केंद्र सरकार या राज्य सरकार के स्तर पर हो, उससे महंगाई की संभावना पर असर होगा, बाजार में अस्थिरता बढ़गी और निजी क्षेत्र के लिए निवेश की गुंजाइश कम होगी।
कमजोर होते रुपये से आरबीआई ने झाड़ा पल्ला
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। इस बीच रिजर्व बैंक ने इससे खुद को अलग कर लिया। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि रुपये की विनिमय दर बाजार की ताकतों से तय होती है और रिजर्व बैंक इसका कोई दायरा तय नहीं कर सकता है। मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखकर बाजार को चौंकाने वाले गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक का लक्ष्य मुद्रास्फीति पर केंद्रित था। रुपया शुक्रवार को 19 पैसे की गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले सर्वकालिक निम्न स्तर 73.77 के स्तर पर बंद हुआ। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से यह दिन के कारोबार के दौरान पहली बार 74 के पार चला गया था। पटेल का बयान बताता है कि सेंट्रल बैंक रुपये का बचाव करने की बजाय, महंगे डॉलर को आयात में कमी और निर्यात को वृद्धि के रूप में देखता है, जिससे स्थिरता आएगी। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भी इस नजरिए का समर्थन करते हुए कहा कि विनिमय दर यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि अर्थव्यवस्था झटकों को कैसे सहन करेगा।
पटेल ने डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को अधिक महत्व ना देते हुए कहा, 'अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बेहतर है।' उल्लेखनीय है कि इस साल जनवरी से रुपया 17 प्रतिशत टूट चुका है। पटेल ने इस बात को स्वीकार किया कि बाहरी कारकों के प्रभाव से भारत बच नहीं सकता। पटेल ने रुपये के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित करने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की परिस्थितियों के लिए हमारी प्रतिक्रिया यह सुनिश्चित करने की है कि विदेशी विनिमय बाजार में तरलता कायम रहे और कोई बेवजह का उतार-चढ़ाव नहीं हो। पटेल ने कहा कि रुपये की विनिमय दर बाजार की ताकतों से तय होती है और गवर्नर ने कहा यह भी कहा कि सितंबर के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार 400.5 अरब डॉलर पर था, जो दस माह के आयात के वित्तपोषण के लिए पर्याप्त है।