ईरान के साथ भुगतान संकट सुलझाने में जुटी मोदी सरकार
सत्य प्रकाश
ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर केंद्र सरकार भारतीय निर्यातकों के भुगतान संकट का समाधान करने में जुटी है और इसके साथ ही कच्चे तेल आयात के अन्य विकल्प तलाशे जा रहे हैं। ईरान पर अमेरिकी सरकार के प्रतिबंध लगने तथा अमेरिकी और चीन के बाजारों में संरक्षणवादी उपाय लागू होने से वैश्विक अर्थव्यवस्था के नये संकट की ओर बढ़ने की आशंका है। इसी देखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है।
भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे आयातक देश है और इसमें ईरान की आपूर्ति का बड़ा हिस्सा है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारतीय कारोबारियों के समक्ष ईरान से माल खरीदना और बेचना लगभग असंभव हो गया है। नये सौदे नहीं हो रहे हैं। इसका मूल कारण भुगतान का संकट है। हालांकि भारत और ईरान द्विपक्षीय व्यापार जारी रखने के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं। ईरान के साथ पुराने सौदे निपटाने के लिये नवंबर तक का समय निर्धारित किया गया है।
ईरान के साथ द्विपक्षीय व्यापार के लिये स्थानीय मुद्राओं के इस्तेमाल के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इसके अलावा वस्तुओं के लेन देन पर भी विचार हो रहा है। संबंधित अधिकारियों का उम्मीद है कि समय रहते हुए भुगतान संकट सुलझा लिया जाएगा और दोनों देशों के बीच व्यापार पूर्ववत् जारी रहेगा। ईरान पर से कच्चे तेल के आयात की निर्भरता भी कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके कच्चे तेल के अन्य निर्यातक देशों से बातचीत की जा रही है। इस संबंध में सउुदी अरब के साथ विशेष तौर पर बातचीत चल रही है और सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब के तेल मंत्री सुलतान अहमद अल जबर से मुलाकात की और कच्चे तेल का आयात बढ़ाने की संभावनाओं पर चर्चा की है। बैठक में रुस तथा अन्य देशों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस वक्त सरकार की प्रतिबद्धता निर्यातकों को प्रोत्साहन देने की है, इसलिये उनकी सभी समस्यों का समाधान जल्दी किया जाएगा। अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार के मुद्दे को लेकर सरकार गंभीर है और इसे सुलझाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं। दोनों देश इस्पात, चिकित्सा उपकरण, कृषि उत्पादों और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बातचीत कर रहे हैं।
ईरान के साथ व्यापार में भुगतान संकट के मुद्दे पर ईरान और चीन के साथ अपनी मुद्राओं में भुगतान करने के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। गौरतलब है कि ईरान और चीन पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण निर्यातकों को भुगतान में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। भारत में तेल के लिये ईरान प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश है जबकि चीन उसका बड़ा व्यापारिक सहयोगी है। भारतीय निर्यातक महासंघ (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने निर्यात क्षेत्र का पूंजी संकट दूर करने की मांग करते हुए कहा है कि संरक्षणवादी कदमों और मुद्रा बाजार की उथल पुथल के बावजूद मौजूदा वर्ष का निर्यात लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। गुप्ता ने सितंबर 2018 के निर्यात आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि निर्यात क्षेत्र मे पूंजी संकट गहरा रहा है और उधारी घट रही है। हालांकि निर्यातकों के प्रयासों से निर्यात दोहरे अंकों में बना हुआ है और इसे बनाए रखने की जरूरत है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल पुथल और विकसित देशों के संरक्षणवादी कदमों के कारण मौजूदा वर्ष के सितंबर में निर्यात 2.15 प्रतिशत गिरकर 27.95 अरब डालर रह गया है जबकि इससे पिछले वर्ष के इसी माह में यह आंकड़ा 28.56 अरब डालर रहा था। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2017 में भारतीय निर्यात में 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। हालांकि वाणिज्य सचिव अनूप वाधवन ने इस पर कहा कि सितंबर 2017 में निर्यात में उछाल की मुख्य वजह वस्तु एवं सेवाकर जीएसटी की ड्रॉ बैक योजना थी, जिसके कारण कारोबारियों ने निर्यात बढ़ाने के लिये अतिरिक्त प्रयास किये थे और सरकार ने इन्हें बढ़ावा दिया था। उन्होंने उम्मीद जताई कि अक्टूबर 2018 में निर्यात में वृद्धि होगी।
सितंबर 2018 में आयात 10.45 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 41.9 अरब डालर हो गया है जबकि सितंबर 2017 में यह 37.9 अरब डालर रहा था। आलोच्य अवधि में व्यापार घाटा 13.98 अरब डालर रहा है जो पांच महीने का न्यूनतम स्तर है। मौजूदा वित्त वर्ष में समग्र व्यापार घाटा 94.32 अरब डालर दर्ज किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2018 में पेट्रोलियम उत्पाद के निर्यात में 26.8 प्रतिशत, जैविक एवं अजैविक रसायन में 16.9 प्रतिशत, दवा एवं फार्मा में 3.8 प्रतिशत, सूती धागा एवं परिधान और हथकरघा में 3.6 प्रतिशत और प्लास्टिक एवं लीनोलियम में 28.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है।