अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए मोदी सरकार का एक और दांव, 10 सरकारी बैंकों के विलय का ऐलान
प्रवीण कुमार
नई दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मंदी की तरफ बढ़ रही है। सरकार की घबराहट से इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। देश की गिरती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए 23 अगस्त की घोषणाओं के बाद शुक्रवार को मोदी सरकार ने एक और नया दांव चला जिसके तहत वित्त मंत्री ने ढेर सारे बैंकों का एक साथ विलय करने का ऐलान कर दिया। इस विलय प्रक्रिया के बाद देश में सिर्फ 12 सरकारी बैंक बचेंगे, जबकि अभी तक इनकी संख्या 27 थी। इससे पहले भी मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी बैंकों का विलय किया था। सबसे पहले स्टेट बैंक में उसके पांच सहयोगी बैंकों- स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला के अलावा महिला बैंक का विलय किया गया था। इसके अलावा, इसी साल एक अप्रैल को बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय हुआ था।
शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों के मेगा कंसॉलिडेशन प्लान की घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले समय में सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को मर्ज करके चार बड़े बैंक बनाए जाएंगे। पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स तथा यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का आपस में विलय किया जाएगा, जिससे देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक तैयार होगा और इसका बिजनेस 17.95 लाख करोड़ रुपये का होगा। वित्त मंत्री की मानें तो केनरा बैंक और सिंडीकेट बैंक का विलय किया जाएगा, जबकि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक को मिलाकर एक बैंक बनाया जाएगा। वित्त मंत्री के अनुसार, इसी तरह से इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक को मिलाकर एक बैंक का गठन किया जाएगा। लेकिन बैंक ऑफ इंडिया और सेंटल बैंक ऑफ इंडिया बरकरार रहेंगे।
बैंकों को मिलेगी 55,250 करोड़ रुपये की पूंजी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रेडिट ग्रोथ तथा विनियामकीय अनुपालन के लिए बैंकों को 55,250 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की भी घोषणा की है, जिसके तहत पंजाब नैशनल बैंक को 16,000 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 11,700 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा को 7,000 करोड़ रुपये, केनरा बैंक को 6,500 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक को 2,500 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। इसके अलावा, इंडियन ओवरसीज बैंक को 3,800 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 3,300 करोड़ रुपये, यूको बैंक को 2,100 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 1,600 करोड़ रुपये तथा पंजाब एंड सिंध बैंक को 750 करोड़ रुपये की पूंजी मिलेगी।
मोदी सरकार द्वारा बैंकों के इस विलय की घोषणा के बाद पंजाब नेशनल बैंक देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा, जिसका कुल कारोबार 17.95 लाख करोड़ रुपये का होगा। वहीं, केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक को मिलाकर बनाया गया बैंक देश का चौथा सबसे बड़ा सरकारी बैंक होगा। इस विलय के साथ इस बैंक का कुल कारोबार 15.20 लाख करोड़ रुपये होगा। इसके अलावा, यूनियन बैंक में आंध्रा बैंक तथा कॉरपोरेशन बैंक का विलय किया जाएगा, जिससे देश का पांचवां सबसे बड़ा सरकारी बैंक तैयार होगा, जिसका कारोबार 14.6 लाख करोड़ रुपये होगा। इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक का विलय किया जाएगा, जिससे सातवां सबसे बड़ा सरकारी बैंक बनेगा, जिसका कारोबार 8.08 लाख करोड़ रुपये का होगा। उन्होंने कहा कि 9.3 लाख करोड़ रुपये के कारोबार वाला बैंक ऑफ इंडिया तथा 4.68 लाख करोड़ रुपये के कारोबार वाला सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पहले की तरह काम करता रहेगा।
सुधारों की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार भारत को पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने को प्रतिबद्ध है और इसका रोडमैप तैयार है। सरकार ने एनबीएफसी को समर्थन के लिए कई उपाय किए हैं। सरकार का फोकस बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने पर है। उन्होंने कहा कि 8 सरकारी बैंकों ने रेपो रेट लिंक्ड लोन लॉन्च किया है। कर्ज बांटने में सुधार लाना सरकार की प्राथमिकता है। बैंकों के ग्रॉस एनपीए में कमी आई है और उनकी परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
मोदी सरकार के इस फैसले के साथ ही इन बैंकों के कर्मचारियों को नौकरी का डर सताने लगा है। कर्मचारियों को आशंका है कि कहीं इन बैंकों में छंटनी न शुरू हो जाए। हालांकि मीडिया से बात करते हुए वित्त सचिव राजीव कुमार ने इस तरह की आशंकाओं से इनकार करते हुए कहा है कि पूर्व में एसबीआई समेत जो भी विलय हुए उसके कारण कोई छंटनी नहीं हुई और सेवा की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। इस विलय से कर्मचारियों को लाभ होगा।