RBI ने जीडीपी विकास दर अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो दर में कटौती के अलावा सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी विकास दर का अनुमान भी घटाया है। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इस अनुमान को 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए 5.8 से 6.6 फीसदी का जीडीपी ग्रोथ अनुमान जारी किया है। वहीं दूसरी तिमाही के लिए यह अनुमान 7.3 से 7.5 फीसदी का लक्ष्य है। कहा जा रहा है कि घरेलू व वैश्विक मांग में नरमी रहने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस तरह का अनुमान जारी किया है।
केंद्रीय बैंक ने बुधवार को देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) विकास दर अनुमान में कटौती की है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में 35 आधार अंकों की कटौती करने का फैसला किया। साथ ही, एमपीसी ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि दर सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया।
केंद्रीय बैंक ने जून में 2019-20 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि के लिए सात फीसदी का अनुमान जताया था। वहीं, वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी विकास दर 6.4 फीसदी से 6.7 फीसदी के बीच और दूसरी छमाही में 7.2 फीसदी से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। इसके अलावा वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी विकास दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।
एमपीसी ने एक बयान में कहा, विभिन्न उच्च तीव्रता वाले कारकों के चलते घरेलू और बाहरी मांग कमजोर रह सकती है। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा, आरबीआई का औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण दर्शाता है कि दूसरी तिमाही में मांग में वृद्धि की रफ्तार कमजोर रहेगी, हालांकि इनपुट लागत में गिरावट से विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि, एमपीसी ने कहा कि फरवरी 2019 से मौद्रिक नीति में ढील के असर से आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं। आरबीआई ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कटौती की है।
एमपीसी ने बयान में कहा, वित्त वर्ष 2019-20 में इसका प्रभाव अनुकूल होगा। इन कारकों पर विचार करते हुए वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान में संशोधन करते हुए इसे जून के सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी विकास दर 5.8 फीसदी से 6.6 फीसदी रह सकती है और दूसरी छमाही में यह 7.3-7.5 फीसदी रह सकती है। आरबीआई ने घरों, वाहनों और स्टील की मांग में गिरावट, निर्माण गतिविधियां कमजोर रहने और आयात में कमी आने के मद्देनजर प्रमुख ब्याज दर में कटौती की है।
पिछले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर घटकर पिछले पांच साल के निचले स्तर पर 6.8 फीसदी पर आ गई थी। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े इस महीने के आखिर तक आने की उम्मीद है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने पिछले महीने भारत के विकास दर अनुमानों में कटौती की थी। आईएमएफ ने पिछले अनुमान में भारत की आर्थिक विकास दर 2019 में सात फीसदी और 2020 में 7.2 फीसदी रहने का आंकलन किया था। इसी प्रकार, एडीबी ने इस साल भारत की आर्थिक विकास दर सात फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।
उधर, उद्योग के विश्लेषकों ने रेपो रेट में कटौती पर मिली-जुली प्रतिक्रिया जाहिर की है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुवोदीप रक्षित ने कहा, प्रमुख ब्याज दर में 35 आधार अंकों की कटौती इस बात का संकेत है कि आरबीआई विकास दर अनुमान को लेकर काफी चिंतित है। उन्होंने कहा, ब्याज दरों में कटौती का हस्तांतरण तब तक कमजोर रहेगा, जब तक मध्यम अवधि के दौरान पर्याप्त तरलता नहीं दिखेगी। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के सीईओ राजीव सिंह के अनुसार, रेपो रेट में कटौती से तरलता बढ़ने में मदद मिलनी चाहिए।