भारतीय मुद्रा पर भारी संकट, डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुंबई : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 71 के करीब पहुंच गया है। गुरुवार को इसने 70.82 प्रति डॉलर का सबसे निचला स्तर छू लिया। मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, आयात और रिफाइनरी की ओर से डॉलर की मांग बढ़ी है। इस वजह से रुपए में कमजोरी आई है। लेकिन डॉलर दूसरे देशों की अन्य मुद्राओं के मुकाबले भी मजबूत हुआ है।
इस साल रुपए में 10 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है। दूसरी एशियाई मुद्रा के मुकाबले इसका प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। जनवरी से रुपया लगातार गिर रहा है। 18 साल में रुपये की गिरावट का यह सबसे लंबा दौर है। सिर्फ अगस्त महीने में तारीखवार गिरावट का आंकड़ा देखें तो एक डॉलर के मुकाबले 13 और 14 अगस्त को रुपये की कीमत 69.93 रुपये, 16 अगस्त को 70.40 रुपये, 29 अगस्त को 70.52 रुपये और 30 अगस्त को 70.82 रुपये रहा। रुपए में इस महीने दो बड़ी गिरावट 13 अगस्त को 110 पैसे और 29 अगस्त को 49 पैसे देखी गई।
इससे पहले बुधवार को अमेरिकी डालर के समक्ष भारतीय रुपया अब तक के नये निम्न स्तर पर चला गया था। तेल आयातक कंपनियों की महीने के अंत में डॉलर की मांग और विदेशी कोषों की धन निकासी से रुपया आज 49 पैसे अथवा 0.70 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 70.59 रुपये प्रति डॉलर के ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर बंद हुआ। यह 13 अगस्त के बाद रुपये में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट को दर्शाता है। इस दिन रुपया 110 पैसे अथवा 1.6 प्रतिशत टूटा था। इससे पूर्व रुपया सोमवार को 70.16 रुपये के निचले स्तर पर बंद हुआ था।
आपूर्ति संबंधी चिंताओं के चलते कच्चे तेल की कीमतों के कई महीनों के उच्च स्तर को छू जाने के साथ चालू खाते का घाटा बढ़ते जाने जैसी खबरों के कारण रुपये में बड़ी गिरावट आई। दिन के कारोबार में एक समय यह 70.65 रुपये के रिकॉर्ड निम्न स्तर तक नीचे चला गया था। विश्लेषकों की मानें तो बाजार की नजर अब शुक्रवार को जारी होने वाले सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और राजकोषीय घाटे के आंकड़ों पर होगी। निकट समय में रुपये का दायरा 70.20 से 70.75 रुपये के बीच है।
इस साल अभी तक रुपये में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है जिसके कारण यह एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है। अन्तरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 70.32 रुपये पर कमजोर खुला और दोपहर के कारोबार में बिकवाली के दबाव में 70.65 रुपये के सर्वकालिक निम्न स्तर को छू गया। अंत में यह 49 पैसे अथवा 0.70 प्रतिशत की गिरावट के साथ 70.59 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। अन्तरमुद्रा कारोबार में पौंड, यूरो और जापानी येन के मुकाबले रुपये में गिरावट आई।
हालांकि रॉयटर्स की मानें तो हर महीने के अंत में ऐसा होता ही है, क्योंकि इस समय सभी आयातकों को अपना बिल भुगतान करना होता है। इसके कारण एशियाई मुद्राओं की कीमत गिरती है और डॉलर की मांग बढ़ने की वजह से इसकी कीमत बढ़ जाती है। वैसे इस महीने की शुरुआत से ही रुपये की कीमत में लगातार गिरावट देखी जा रही है। तब अमेरिका ने तुर्की के उत्पादों पर भारी-भरकम आयात शुल्क लगा दिया था और इसके चलते सभी उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की मुद्राओं में गिरावट आनी शुरू हुई थी, जिसका असर रुपये पर भी पड़ा था।