सार्वजनिक खर्च में मददगार हो सकता है कॉरपोरेट का CSR : जेटली
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि उद्योग जगत का कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) खर्च सरकार के सार्वजनिक खर्च में मददगार बन सकता है। कंपनी कानून में संशोधन के बाद बीते तीन-चार वर्षों से सीएसआर अस्तित्व में है।
जेटली ने यहां एक्सिस बैंक के सीएसआर कार्यक्रम में कहा, केंद्र और राज्य सरकारें पैसा खर्च करती हैं। यदि यह (सीएसआर खर्च) इस काम से जुड़ जाए तो इससे काफी मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि 2013 में जब कंपनी कानून में संशोधन किया गया था और मुनाफे से सीएसआर का हिस्सा निकालना अनिवार्य कर दिया गया था, तब उद्योग के एक वर्ग ने इसे अतिरिक्त कर बताया था। लेकिन इन तीन-चार वर्षों में हमने देखा है कि यह कारगर साबित हो रहा है।
जेटली ने कहा कि किसी भी विकसित देश में कॉरपोरेट चैरिटी हमेशा से सेवा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण औजार रहा है। भारत में पारंपरिक रूप से ऐसा नहीं है। भारत में चैरिटी हमेशा समुदायों के साथ जुड़ी हुई है। जेटली ने कहा कि जिस क्षेत्र में सीएसआर व्यय किया जाएगा, उस क्षेत्र का चुनाव करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने एक्सिस बैंक की सीएसआर परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा, ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां सुधार की जरूरत है। भौगोलिक और सामाजिक सेक्टर में क्षेत्र हैं, जहां तक पहुंचना अधिक चुनौतीपूर्ण है।
जेटली ने कहा, एक्सिस बैंक की सीएसआर पहल देश के सर्वाधिक उपेक्षित हिस्से तक पहुंच गई है। इन क्षेत्रों में रह रहे लोग बताते हैं कि कैसे हर चीज उनकी पहुंच से दूर थी और उस तक पहुंचने में अधिक लागत लगती थी और इस लागत को पूरा करने के लिए अधिक आय के साधन नहीं थे। उन्होंने कहा, लेह और लद्दाख जैसे छोटे हिस्सों, जिनकी आवाज अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम सुनी जाती थी, एक्सिस बैंक ने ऐसे क्षेत्रों को सामने मोर्चे पर रखकर सराहनीय काम किया है। स्कूलों के उन्नयन के लिए सीएसआर संसाधन के बड़े हिस्से को खर्च करना एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। जेटली ने कहा कि सीएसआर गतिविधियों के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण क्षेत्र है।