व्यापार सुगमता सूचकांक ने मोदी सरकार की उम्मीदों पर फेरा पानी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: वॉशिंगटन से आई एक रिपोर्ट ने भारत सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बीते ढाई वर्षों से जिस तरह की तस्वीर केन्द्र देश-दुनिया को दिखाती रही है उसको 'इज ऑफ डूइिंग बिजनेस' यानी व्यापार सुगमता सूचकांक की ताजा रिपोर्ट ने बहुत बड़ा झटका दिया है। रिपोर्ट की मानें तो देश ने निर्माण परमिट, ऋण प्राप्त करने और अन्य मानदंडों के संदर्भ में नाममात्र या कोई सुधार नहीं किया है। हालत ये है कि भारत के मामले में नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। एक साल में भारत 131 वें से 130वें स्थान पर पहुंचा है। इस रिपोर्ट से सरकार हैरान है और स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रधानमंत्री ने भी मुख्य सचिव को इस पूरी प्रक्रिया को समझने और विश्लेषण करने का जिम्मा सौंपा है। वाणिज्य एवम् उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस रिपोर्ट पर निराशा जाहिर की है।
विश्व बैंक की ताजा ‘डूइंग बिजनेस’ रिपोर्ट में भारत की स्थिति में पिछले साल के मुकाबले कोई सुधार नहीं हुआ है। विभिन्न मानदंडों के आधार पर भारत 190 देशों में 130वें पायदान पर था। हालांकि पिछले साल की रैंकिंग को संशोधित कर 131वां कर दिया गया है। इस लिहाज से देश ने एक पायदान का सुधार किया है। सरकार व्यापार सुगमता के लिये प्रयास कर रही है और उसका लक्ष्य देश को शीर्ष 50 में लाना है। ऐसे में यो रिपोर्ट सरकार की मेहनत पर पानी फेरती है।
सरकार का तर्क है कि, विश्व बैंक ने कारोबार सुगमता रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों द्वारा किए जा रहे प्रयासों और सुधारों के प्रभाव को शामिल नहीं किया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं इससे कुछ निराश हूं। न केवल भारत सरकार बल्कि प्रत्येक राज्य भी इसमें सक्रिय रूप से शामिल है और स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रहा है। सामूहिक रूप से ‘टीम इंडिया’ इस दिशा में काफी काम कर रही है। लेकिन वजह कोई भी रही हो, इसे रैंकिंग में उचित तरीके से शामिल नहीं किया गया।’ हालांकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह रिपोर्ट की आलोचना नहीं कर रही हैं। अब हम अधिक केंद्रित तरीके और तेजी से भारत की रैंकिंग में सुधार के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा, ‘इससे मुझे यह संदेश मिला है कि अब हमें अधिक ध्यान देना होगा और हम जो कर रहे हैं उसे अधिक तेजी से करना होगा।’
विश्व बैंक के सूचकांक में रैंकिंग में कोई सुधार नहीं होने को लेकर भारत सरकार ने निराशा व्यक्त की और कहा कि रिपोर्ट में उन 12 प्रमुख सुधारों पर विचार नहीं किया गया जिसे सरकार कर रही है। अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और बेहतर गतिविधियों के बीच अंतर को मापने वाला ‘डिस्टेंस टू फ्रंटियर’ के लिये 100 अंक है। इसमें भारत को इस साल 55.27 अंक मिला जो पिछले साल 53.93 था।
भारत एकमात्र देश है जिसके रिपोर्ट में एक बाक्स है। जिसमें जारी आर्थिक सुधारों की बातें हैं। विश्वबैंक की डूइंग बिजनेस 2017 की सूची में न्यूजीलैंड पहले स्थान पर जबकि सिंगापुर दूसरे पायदान पर है। उसके बाद क्रमश: डेनमार्क, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, नार्वे, ब्रिटेन, अमेरिका, स्वीडन तथा पूर्व यूगोस्लाव मैसिडोनिया गणराज्य का स्थान है। सूची में पाकिस्तान 144वें स्थान पर है, जो पिछले साल 148 वें पर था यानी चार
सुधारों को आगे बढ़ाने के आधार पर 10 प्रमुख देश ब्रुनेई दारूसलाम, कजाकिस्तान, केन्या, बेलारूस, इंडोनेशिया, सर्बिया, जार्जिया, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात तथा बहरीन हैं। विश्वबैंक के अनुसार दुनिया में 137 अर्थव्यवस्थाओं ने प्रमुख सुधारों को अपनाया जिससे छोटे एवं मझोले आकार की कंपनियों को शुरू करना और परिचालन करना आसान हुआ है।
ग्लोबल इंडिकेटर्स समूह निदेशक अगस्तो लोपेज क्लारोस ने विशेष बातचीत में कहा, ‘हमने देखा है कि सरकार की तरफ से व्यापार सुधार की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किये जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि हमें एक-दो साल और इंतजार करना होगा। लेकिन बदलाव की दिशा मूल रूप से काफी महत्वपूर्ण है।’
रैंकिंग 10 मानदंडों पर आधारित है व्यापार शुरू करना, निर्माण परमिट हासिल करना, बिजली प्राप्त करना, संपत्ति का पंजीकरण, ऋण प्राप्त करना, अल्पांश निवेशकों का संरक्षण, कर का भुगतान, सीमा पार कारोबार, अनुबंधों को लागू करना तथा शोधन अक्षमता का समाधान।
विभिन्न क्षेत्रों में भारत की रैंकिंग सुधरी है। बिजली प्राप्त करने के मामले में भारत 51वें स्थान से 26वें स्थान पर आ गया है। इसी प्रकार, सीमाओं के पार व्यापार के मामले में रैंकिंग एक स्थान सुधरकर 143 तथा अनुबंधों को लागू करने के मामले में छह पायदान बढ़कर 172 पर पहुंच गया।
हालांकि कारोबार शुरू करने के लिहाज से रैंकिंग चार स्थान खिसककर 155वें स्थान पर आ गयी जबकि निर्माण परमिट के मामले में एक पायदान नीचे 185वें पर आ गयी। रिपोर्ट के अनुसार अल्पांश निवेशकों के संरक्षण के संदर्भ में रैंकिंग 10वें स्थान से 13वें स्थान पर आ गयी। जबकि ऋण के संदर्भ में रैंकिंग दो अंक नीचे 44वें पर आ गयी।