इंफोसिस में केन्द्रीय राज्य मंत्री की पत्नी की नियुक्ति से संस्थापक नाराज
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: इन दिनों टेक कंपनी इंफोसिस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कंपनी के संस्थापकों और वर्तमान मैनेजमेंट की तनातनी अब जगजाहिर है। संस्थापक नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा की पत्नी पुनीता कुमार सिन्हा की नियुक्ति के भी खिलाफ हैं। इस बीच इन्फोसिस के निदेशक मंडल और मैनेजमेंट ने अपने-अपने उपभोक्ताओं से संपर्क कर उन्हें आश्वस्त किया है कि कंपनी के बेंगलुरु स्थिति मुख्यालय पर काम सामान्य तरीके से हो रहे हैं। वहीं इन्फोसिस बोर्ड के नजदीकी लोगों के मुताबिक, बोर्ड और मैनेजमेंट कंपनी के फाउंडर्स के साथ टकराव होने के बाद ये कदम उठाया जा रहा है। कंपनी जताना चाहती है कि उसके 'ग्राहकों के प्रति दायित्व अप्रभावित' हैं।
एक सूत्र के मुताबिक, 'बोर्ड और मैनेजमेंट, प्रमोटर्स द्वारा तैयार किए गए प्रपोजल पर भी विचार कर रहे हैं और जो कंपनी के लिए सही है वही करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि उनकी कंपनी के सभी शेयरहोल्डर्स के प्रति जिम्मेदारी है न कि सिर्फ फाउंडर्स के प्रति जिनका कंपनी में केवल 13 पर्सेंट हिस्सेदारी है।'
विवाद की जड़
गौरतलब है कि कंपनी के सह संस्थापक नारायण मूर्ति ने कार्यकारियों के वेतन तथा कामकाज के संचालन को लेकर सवाल खड़ा किया था। देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा निर्यातक की बागडोर विशाल सिक्का के हाथों में है। मूर्ति ने कहा, ‘मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि प्रबंधन मुझे चिंतित नहीं कर रहा है। मुझे लगता है कि हम सीईओ सिक्का से खुश हैं। वह अच्छा काम कर रहे हैं। हालांकि हममें से कुछ जैसे कि संस्थापकों, वरिष्ठों तथा इंफोसिस से पूर्व में जुड़े रहे लोगों को यह बात चिंतित कर रही है कि कामकाज के संचालन यानी गवर्नेंस की कुछ चीजें ऐसी हैं जो बेहतर हो सकती थीं।’
समझा जाता है कि मूर्ति तथा दो अन्य सह-संस्थापकों नंदन नीलेकणि एवं एस गोपालकृष्णन ने कंपनी के निदेशक मंडल को पत्र लिखकर पूछा है कि सिक्का का वेतन क्यों बढ़ाया गया और कंपनी छोड़ने वाले दो शीर्ष अधिकारियों को अलग होने का इतना भारी पैकेज क्यों दिया गया? सिक्का को पिछले साल मूल वेतन, बोनस और लाभ के रूप में 48.7 करोड़ रुपये दिए गए। वहीं 2015 की आंशिक अवधि में उनका मूल वेतन 4.5 करोड़ रुपये था।
सेवरेंस पे पर तकरार
इंफोसिस में नियम है कि कंपनी के कर्मचारी को तीन महीने का सेवरेंस पे दिया जाए। सेवरेंस पे वह रकम है जो कंपनी किसी कर्मचारी को निर्धारित समय से पहले कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने पर देती है। इस नियम को दरकिनार कर कंपनी के पूर्व लीगल हेड केनेडी को 12 महीने और पूर्व सीएफओ राजीव बंसल को 30 महीने का सेवरेंस पे दिया गया। साथ ही कुछ कर्मचारियों को मोटी रकम सेवरेंस पे के तौर पर देने से भी नाखुशी है।
वहीं कंपनी के सूत्रों की मानें तो 'यह फाउंडर्स का नजरिया है लेकिन बोर्ड और मैनेजमेंट को ऐसा लगता है कि इससे कंपनी का बिजनस प्रभावित नहीं होना चाहिए। कंपनी के प्रमोटर्स, बोर्ड व मैनेजमेंट को सलाह दे सकते हैं जिसका सम्मान किया जाता है, लेकिन मैनेजमेंट वही करेगा जो कंपनी के निवेशकों के लाभ में होगा न कि प्रमोटर्स के। '
पुनीता कुमार सिन्हा की नियुक्ति से भी खफा संस्थापक
इस बीच एक महिला निदेशक की नियुक्ति से भी संस्थापक मंडल खफा है। कंपनी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वो ऐसी किसी भी दखलअंदाजी से असहज होता है और किसी भी तरह की सलाह मानने के लिए मजबूर नहीं है। कंपनी सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड का मानना है कि वह प्रमोटर्स और अन्य लाभार्थियों की सभी सलाह खुशी से लेगा लेकिन वही करेगा जो बिजनस के लिए जरूरी होगा। ये स्वतंत्र निदेशक के तौर पर नियुक्त महिला हैं पुनीता कुमार सिन्हा। इनकी नियुक्ति भी फाउंडर्स के साथ विवाद का एक कारण है। दरअसल, पुनिता कुमार सिन्हा केन्द्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की पत्नी है।
जिस पर सूत्र ने कहा, 'यह सच है कि जब इस मुद्दे पर वोटिंग हुई तो कुछ लोग अनुपस्थित रहे लेकिन वह (पुनीता) काफी प्रतिभावान हैं और अपनी जिम्मेदारी भलीभांति समझती हैं। साथ ही, बोर्ड का भी मानना है कि उनके कारण कंपनी को काफी लाभ हुआ है। किसी महिला के पति क्या करते हैं इससे उनकी प्रतिभा पर शक किया जाना बेहद गलत है। बोर्ड को पुनीता के काम से मतलब है, न कि इससे कि उनकी शादी किससे हुई है।'
विशाल सिक्का को लेकर मची हालिया बगावत ने इंफोसिस की इन दलीलों पर कई सवाल उठाए हैं। लगभग 1800 से ज्यादा ई-मेल इनफोसिस के निदेशक मंडल को मिले हैं, जिनमें कर्मचारियों ने अपनी नाखुशी जाहिर की है। हाल फिलहाल के घटनाक्रम से लग रहा है कि संकट के बादल अब इंफोसिस पर भी मंडराने लगे हैं। टाटा के बाद ये दूसरा मामला है। टाटा ग्रुप में रतन टाटा और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के बीच खींचतान के बाद इंफोसिस पहली ऐसी दिग्गज कंपनी है, जिसमें विवाद की स्थिति पैदा हो गई है।