रिलायंस-जिओ एड में दिखे मोदी, उठे सवाल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: रिलायंस इंडस्ट्रीज के जिओ ने अपनी दस्तक के साथ ही तहलका मचा दिया। हर ओर रिलायंस के इस नए टेलीकॉम वेन्चर की चर्चा है। राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट की मुख्य वजह रिलायंस द्वारा अपने एड के लिए पीएम का इस्तेमाल है। रिलायंस की तरफ से शुक्रवार को हिंदी और अंग्रेजी के कई दैनिक समाचार पत्रों में ‘जियो सर्विस’ को प्रमोट करने के लिए प्रधानमंत्री की फोटो के साथ फुल फ्रंट पेज विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया।
मुकेश अंबानी की कम्पनी के विज्ञापन की खासियत यह रही कि बड़ी चालाकी के साथ कंपनी ने डिजिटल इंडिया की आड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘जियो सर्विस’ के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में प्रस्तुत किया। कंपनी की इस चालाकी को लेकर सोशल मीडिया में आलोचनाओं का दौर चल पड़ा। कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि ‘रिलायंस जियो’ एक प्राइवेट कंपनी होते हुए देश के प्रधानमंत्री को अपने ब्रांड एम्बेसडर के रूप में प्रस्तुत करना क्या सही है? क्या अनुचित नहीं है?
कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी सब मोदी के इस एंडोर्समेंट पर चुटकी ले रहें हैं। केजरीवाल ने शुक्रवार को कुछ टवीट्स किए। एक ट्वीट में उन्होंने मोदी को मिस्टर रिलायंस कहा है। केजरीवाल ने एक और ट्वीट में कहा- 'मोदी जी। आप रिलायंस के ऐड में मॉडलिंग करते रहना।' कांग्रेस भी इसे गैर-वाजिब बता रही है और इस मसले की जांच की बात कर रही है।
कम्पनी ने बड़ी खूबसूरती और चालाकी से मोदी के 1.2 बिलियन भारतीयों के लिए डिजिटल इंडिया वीजन को फोकस किया। कम्पनी ने बताया कि ये मोदी के डिजिटल इंडिया परियोजना को समर्पित 4जी स्कीम है। जहां सुबह अखबारों में फुल पेज विज्ञापन नजर आया वहीं शाम होते-होते टीवी चैनलों पर भी विज्ञापन शुरू हो गया। जिसमें देश के महापुरूषों जैसे स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और रबिन्द्रनाथ टैगोर की क्लीपिंग दिखाई गई उसके बाद मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण के उस भाग को जोड़ा गया जिसमें मोदी ने डिजिटल इंडिया की बात की थी। एड के अंत में लिखा गया कि ये 1.2 बिलियन भारतवासियों को मुफ्त दरों पर एक दूसरे से जोड़ने की मुहिम है।
इंडस्ट्री के जानकारों की राय है कि बड़ी चालाकी और सजगता से इस विज्ञापन को देश को समर्पित बता दिया गया। कहीं भी इसमें उत्पाद के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई। कहा गया कि डिजीटल इंडिया वीजन को आगे ले जाना इसका मकसद है, लेकिन सब जानते हैं कि असल मकसद क्या रहा जिओ का।
अब बहस हो रही है कि क्या किसी निजी कम्पनी द्वारा पीएम की जानकारी के बगैर उऩके चेहरे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है? विधि विशेषज्ञों की राय है कि ऐसा मुमकिन नहीं। ये हमारे देश के कानून के विरूद्ध है। (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम 1950 के तहत देश के प्रतीक और नामों का इस्तेमाल गलत है। इसमें स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार की सहमति के बगैर व्यावासायिक परियोजनाओं, व्यापार आदि के लिए किसी भी व्यक्ति का इस्तेमाल अनुचित और दण्डनीय माना जाएगा। अगर किसी का भी प्रयोग जरूरी होगा तो उसके लिए सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों की, जो सरकार द्वारा अधिकृत हों की सहमति पहले से ही लेनी पड़ेगी।
इसमें स्पष्ट है कि सहमति लिखित में देनी होगी। हाल ही में पुणे की एक रियल एस्टेट कम्पनी मैपल ग्रुप को इसका नतीजा भुगतना पड़ा जब उसने अपने विज्ञापन में महात्मा गांधी और महाराष्ट्र के सीएम का इस्तेमाल किया। स्पष्ट है कि रिलायंस ने भी अंदरखाने सब कुछ दुरूस्त करके ही कदम उठाया होगा।