एक साल में ही फीकी पड़ी स्टार्टअप की चमक
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना स्टार्टअप इंडिया की चमक एक साल में ही फीकी हो गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल स्टार्टअप्स को मिलने वाले अनुदान में करीब 50 फीसदी तक की कमी आई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दो साल के अभूतपूर्व उत्साह के बाद जोखिम उठानेवाले निवेशकों ने सावधानी के साथ कदम वापस ले लिया। ये सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है।
बताया जा रहा है कि इस साल 2016 में भारत के स्टार्टअप कारोबार को करीब 3.8 बिलियन डॉलर (करीब 25,777 करोड़ रुपये) का अनुदान मिला, जबकि पिछले साल 2015 में यह रकम 7.6 बिलियन डॉलर (करीब 51,555 करोड़ रुपये) थी।
स्टार्टअप पर नजर रखने वाली एक संस्था Tracxn का मानना है कि दो साल के अभूतपूर्व उत्साह के बाद जोखिम उठाने वाले निवेशकों ने सावधानी के साथ अपने कदम वापस ले लिए। फंडिंग के अभाव से पूरा माहौल प्रभावित हुआ है और इस साल स्थापित स्टार्टअप्स कंपनियों की तादाद लगातार घटती जा रही है।
आंकड़े के मुताबिक, 2015 में 9,462 से ज्यादा स्टार्टअप्स की स्थापना हुई थी जिनमें गैर-तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं, वहीं इस साल महज 3,029 स्टार्टअप्स ही शुरू हो पाए। दरअसल, स्टार्टअप्स फंडिंग में मंदी का माहौल वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है। टेक्नॉलजी फंडिंग में कमी आने की वजह से तेजी से बढ़ रहे स्टार्टअप्स का वैल्युएशन कम हो रहा है। पिछले साल बंद होनेवाले स्टार्टअप्स की तादाद बढ़कर 212 तक पहुंच गई। हालांकि, फंडिंग के लिए बातचीत और समझौते पिछले साल से भी ज्यादा हुए। आंकड़े के मुताबिक, इस साल 1,031 फंडिग डील्स हुए जो पिछले साल 1,024 ही हुए थे।
भारत में सभी बड़े कैपिटल फंड वेंचर जो अकेले स्टार्टअप में 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा इन्वेस्ट करते हैं, वह इस साल कुछ चयनित कंपनियों में ही निवेश कर रहे हैं। न्यू यॉर्क की टाइगर ग्लोबल जिसने पिछले साल 30 से ज्यादा निवेश किए थे, वह लगभग भारत से जा चुकी है। इस कंपनी ने इस साल भारत में एक भी निवेश नहीं किया है।