ट्रंप के बयान के बाद गिरा बाजार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान, नोटबंदी और क्रूड ऑयल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी का असर NSE और BSE पर देखने को मिल रहा है। बंबई शेयर बाजार में दो दिन से जारी तेजी के सिलसिले पर सोमवार (12 दिसंबर) को ब्रेक लगी और सेंसेक्स 232 अंक टूटकर 26,515 अंक पर आ गया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी टूटकर 8,200 अंक के स्तर से नीचे आ गया।
निवेशक मंगलवार को जारी होने वाले खुदरा मुद्रास्फीति तथा बुधवार को आने वाले थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों के इंतजार में है। अमेरिका में पेशेवर कर्मचारियों के लिए वीजा नियमों पर निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की खरी-खरी से स्थानीय बाजार में आईटी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई।
गौरतलब है कि भारतीय सॉफ्टवेयर एवं आईटी सेवा कंपनियां अपने निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। इसके साथ ही कच्चे तेल के दाम इस समय 2015 के मध्य के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं। इससे पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट आई। रूस तथा अन्य गैर ओपेक उत्पादकों ने अत्यधिक आपूर्ति की स्थिति से निपटने के लिए पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के साथ उत्पादन में कटौती का ऐतिहासिक समझौता किया है। इससे वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई।
ट्रम्प की खरी-खरी
ट्रम्प ने कहा था कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह वीजा के गलत इस्तेमाल पर जल्द ही रोक लगायेंगे। हालांकि उन्होंने किसी कंपनी का नाम नहीं लिया था लेकिन इसे भारत की आईटी कम्पनी एचसीएल को लक्षित करके दी गई टिप्पणी मानी गई। दरअसल, एचसीएल ने पिछले दिनों अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर एच1-बी वीजा पर भारतीयों को रखा था। अब ट्रम्प के बयान से घरेलू बाजार जिसमें ज्यादातर आईटी कंपनियां हैं- पर दबाव बढ़ गया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिन देश के लिए और खराब स्थिति पैदा कर सकते हैं। बाजार के लिए ये बेहद मुश्किल भरा दौर हो सकता है। कहा जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर होगा और 75 रुपए प्रति डॉलर हो जाएगा। जैसा कि पहले भी कहा जा रहा था कि क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल में वृद्धि से मुश्किलातें और बढ़ेंगी, अब आशंका वैसी ही दिख रही है। क्रूड का दाम अगर 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंचता है तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
विदेशी बाजारों पर भी कच्चे तेल की बढ़ती कीमत का असर दिख रहा है। ब्रिटेन के एफटीएसई, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग के हैंगसैंग के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई।