राफेल डील के बाद अनिल अंबानी की कंपनी को 1125 करोड़ की टैक्स माफी पर सियासी घमासान
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : साल 2015 में भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान सौदा तय होने के छह महीने के भीतर ही रिलायंस ग्रुप चेयरमैन अनिल अंबानी की फ्रांस स्थित कंपनी का लगभग 1100 करोड़ रुपये से अधिक (143 मिलियन यूरो) का टैक्स फ्रांस सरकार ने माफ कर दिया था। फ्रांसीसी अख़बार ले मोंदे ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है। बता दें कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस भारत और फ्रांस के बीच हुए उस राफेल सौदे के तहत ऑफसेट पार्टनर है जिसकी घोषणा अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि फ्रांस में अनिल अंबानी की रिलायंस अटलांटिक फ्लैग फ्रांस नामक कंपनी रजिस्टर्ड है।
फ्रांसीसी अखबार ले मोंदे ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि अप्रैल 2015 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेरिस में राफेल सौदे के ऐलान के कुछ महीनों बाद फ्रांस में रिलायंस कम्यूनिकेशन की सब्सिडियरी कंपनी के 143.7 मिलियन यूरो (करीब 1125 करोड़ रुपये) का टैक्स माफ कर दिया गया था। न्यूज रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत में फ्रांस के राजदूत ने कहा, 2008 से 2012 की अविधि से जुड़े टैक्स विवाद के मामले में फ्रेंच टैक्स अथॉरिटीज और टेलिकॉम कंपनी रिलायंस फ्लैग के बीच ग्लोबल सेटलमेंट हुआ था। यह सेटलमेंट पूरी तरह कानून सम्मत और कर प्रशासन के सामान्य नियमों को चलाने वाले नियामकीय प्रावधानों के तहत था। यह किसी भी राजनीतिक दखल का विषय नहीं था।
ले मोंदे की रिपोर्ट के बाद रक्षा मंत्रालय ने भी दो कहा है कि राफेल डील और टैक्स मसले को एक साथ जोड़कर देखना गुमराह करने वाली शरारती कोशिश है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, हमने एक प्राइवेट कंपनी को मिले टैक्स छूट और भारत सरकार द्वारा राफेल सौदे के बीच संबंध की अटकल जोड़ने वालीं रिपोर्ट्स को देखा है। न ही टैक्स रियायत की अवधि और न ही रियायत की विषयवस्तु का मौजूदा सरकार द्वारा किए गए राफेल डील से कोई संबंध है। टैक्स मसले और राफेल मामले को एक साथ जोड़कर देखना पूरी तरह गलत और पक्षपातपूर्ण है बल्कि झूठी सूचना देने की शरारत भरी कोशिश है। रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने भी कहा है कि टैक्स सेटलमेंट में कुछ भी गलत नहीं हुआ। टैक्स विवाद को उन कानूनी प्रावधानों के तहत हल किया गया, जो फ्रांस में संचालित सभी कंपनियों के लिए उपलब्ध हैं।
फ्रांसीसी अखबार की रिपोर्ट के बाद से ही कांग्रेस पीएम मोदी और अनिल अंबानी पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि फ्रांस के प्रतिष्ठित अखबार 'ले मोंदे' की रिपोर्ट से 'मनी ट्रेल' का खुलासा हो गया है और यह साबित हो गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल मामले में 'अनिल अंबानी के बिचौलिए' का काम किया है। सूरजेवाला ने पत्रकारों से कहा, 'फ्रांस के अखबार में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। क्या मनी ट्रेल सामने आ गई है? क्या मोदी अपने मित्र डबल ए (अनिल अंबानी) के बिचौलिए के रूप में काम कर रहे हैं? क्या अब चौकीदार की चोरी पकड़ी गई है?'
क्या कहती है ले मोंदे की रिपोर्ट?
फ्रांसीसी अखबार ले मोंदे की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फ्रांस ने राफेल डील के ऐलान के बाद अनिल अंबानी की कंपनी के 14.37 करोड़ यूरो (करीब 1125 करोड़ रुपये) के टैक्स को माफ किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 36 राफेल विमान खरीदने के ऐलान के कुछ महीने बाद ही 2015 में फ्रांस सरकार ने रिलायंस कम्यूनिकेशन की फ्रांस में रजिस्टर्ड टेलिकॉम सब्सिडियरी के टैक्स को माफ कर दिया।
फ्रांसीसी अखबार के मुताबिक, फ्रांस के टैक्स अधिकारियों ने रिलायंस फ्लैग (रिलायंस कन्यूनिकेशंस की फ्रांस में रजिस्टर्ड टेलिकॉम सब्सिडियरी) की जांच की थी और पाया कि कंपनी पर 2007 से 2010 के दौरान 6 करोड़ यूरो (करीब 470 करोड़ रुपये) की टैक्स देनदारी बनती है।
हालांकि, रिलायंस ने सेटलमेंट के लिए सिर्फ 76 लाख यूरो (करीब 59.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की थी, जिसे फ्रेंच अथॉरिटीज ने ठुकरा दिया था। अथॉरिटीज ने 2010 से 2012 के लिए कंपनी की एक अन्य जांच कराई और उसे 9.1 करोड़ यूरो (करीब 712 करोड़ रुपये) अतिरिक्त टैक्स चुकाने को कहा। अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2015 तक रिलायंस पर कम से कम 15.1 करोड़ यूरो (करीब 1182 करोड़ रुपये) की टैक्स देनदारी थी। पैरिस में पीएम मोदी द्वारा राफेल डील के ऐलान के 6 महीने बाद अक्टूबर 2015 में फ्रांसीसी अथॉरिटिज ने सेटलमेंट के तहत रिलायंस से 15.1 करोड़ यूरो (करीब 1182 करोड़ रुपये) के बजाय 73 लाख यूरो (करीब 57.15 करोड़ रुपये) स्वीकार कर लिए।