नीरव मोदी के बाद अब विक्रम कोठारी का रोटोमैक स्कैम, सीबीआई करेगी जांच
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : पंजाब नैशनल बैंक में फर्जीवाड़े की खबरों से देश में सनसनी के बीच कलम बनाने वाली रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. के मालिक विक्रम कोठारी के फर्जीवाड़े से देश सकते में हैं। मेनस्ट्रीम मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया पर चलने वाली खबरों की मानें तो बैंकों का 800 करोड़ रुपये लेकर देश छोड़ चुके हैं। कोठारी पर 3695 करोड़ रुपए के फ्रॉड का केस है। हालांकि, वह अभी सीबीआई की हिरासत में हैं। साथ ही, प्रवर्तन निदेशालय ने भी पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
पांच बैंकों से लिया लोन नहीं किया चुकता
रोटोमैक कंपनी को पांच बैंकों- इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ने लोन दिया था। कहा जाता है कि इन बैंकों ने शर्तों से समझौता कर लोन पास किया था। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई शाखा से 485 करोड़ रुपये जबकि इलाहाबाद बैंक की कोलकाता शाखा से 352 करोड़ रुपये लोन लिया था। इनके अलावा, उन्होंने बाकी बैंकों से भी लोन लिए थे। एक साल बाद भी रोटोमैक कंपनी ने इन बैंकों का कथित तौर पर न लोन की रकम लौटाई और न ही ब्याज दिया।
ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के मुताबिक एक ऑथराइज्ड कमिटी गठित की गई। इस कमिटी ने 27 फरवरी 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. को विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाला) घोषित कर दिया। कमिटी ने खासकर बैंक ऑफ बड़ौदा की पहल पर यह आदेश पारित किया था।
कंपनी की दलील- बॉब ने जबरन माना चूककर्ता
13 अप्रैल 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को उसकी उन संपत्तियों या किस्तों का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया जिनका बैंक ऑफ बड़ौदा को भुगतान किया गया है। कंपनी ने दलील दी कि रोटोमैक द्वारा चूक की तिथि के बाद से इस बैंक को 300 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों की पेशकश किए जाने के बावजूद बैंक ऑफ बड़ौदा ने उसे इरादतन चूककर्ता घोषित कर दिया।
दूसरी कंपनियों में लगाया पैसा- बैंक
बैंक की ओर से पेश हुईं वकील अर्चना सिंह ने कहा था कि कंपनी को अपने बकाए का निपटान करने के लिए 550 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि कंपनी के निदेशक लोन रीपेमेंट से बचने के लिए दूसरी कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं। कानपुर में माल रोड के सिटी सेंटर स्थित रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. के ऑफिस पर पिछले कई दिनों से ताला जड़ा मिला तो विक्रम कोठारी के देश से भागने की खबरें आने लगीं।
परिवार आया सामने, दर्ज हुई शिकायत
इन खबरों से घबराकर कोठारी रविवार को सामने आए और कहा कि वह कानपुर में ही हैं। उन्होंने कहा, 'बैंकों ने मेरी कंपनी को नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) घोषित किया है, न कि डिफॉल्टर। मामला अब भी नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) में है। मैंने लोन लिया है और इसे जल्द वापस करूंगा।' सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर विक्रम कोठारी, साधना कोठारी, राहुल कोठारी समेत कुछ अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। थोड़ी देर बाद ही उन्हें हिरासत में लिए जाने की खबर आ गई। उधर, ईडी ने भी पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया