रविशंकर का सवाल- आखिर कितने भारतीयों का डाटा कांग्रेस ने कैम्ब्रिज एनालिटका से किया साझा?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: फेसबुक इन दिनों सवालों के घेरे में है। उस पर अपने ग्राहकों की निजी जानकारियों को सुरक्षा ना मुहैया कराने का आरोप है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के दौरान ट्रंप के लिए काम करी फर्म कैम्ब्रिज एनालिटका ने फेसबुक में सेंधमारी कर कई यूजर्स को प्रभावित किया। दावा किया जा रहा है कि फेसबुक पर करीब 5 करोड़ यूजर्स की निजी जानकारियां लीक हुईं। भारत में भी एनालिटका के क्लाइंट्स है, इसका दावा खुद इस कम्पनी ने किया था। इस मसले में अब केन्द्र सरकार के मंत्री रविशंकर प्रसाद ने क्लाइंट के तौर पर इशारा कांग्रेस की ओर किया है।
कांग्रेस से सवाल
केन्द्रीय मंत्री रविशंकर ने सेंधमारी के जरिए चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का जिम्मेदार कांग्रेस को माना है। उन्होंने सवाल किया- क्या कांग्रेस पार्टी डाटा की चोरी और मैनुप्लेशन के जरिए चुनाव जीतना चाहती है? हमें बताएं कि आखिर कैम्ब्रिज एनालिटका राहुल गांधी के सोशल मीडिया प्रोफाइल में क्या कर रहा है? इसके साथ ही आईटी मंत्री ने कांग्रेस से पूछा कि वो बताएं कि उन्होंने कि भारत के कितने लोगों का डाटा एनालिटका के सीईओ को दिया है...क्योंकि ये वही कम्पनी है जिसके खिलाफ अमेरिका, इंग्लैण्ड, नाइजिरिया, कीनिया और अब भारत में डाटा चोरी की शिकायत है।
इसके साथ ही मंत्री ने फेसबुक को आगाह किया कि वो सोशल मीडिया के जरिए भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया से खेलने की कोशिश ना करें। सख्त अंदाज में प्रसाद ने कहा कि जुकरबर्ग को भारत के आईटी मंत्री के विचारों पर ध्यान देना होगा...अगर भारत के किसी शख्स का डाटा एफबी से सेंधमारी कर धोखे से हासिल किया गया है, तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आईटी एक्ट में हमारे पास कई प्रावधान हैं जिसके तहत हम आपको भारत में तलब कर सकते हैं।
एनालिटका का इंडिया कनेक्शन
ट्रंप का चुनावी कैंपेन संभाल चुकी कैंम्ब्रिज एनालिटिका का भारत के चुनावों के साथ भी कनेक्शन है। इसकी वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में इसे कॉन्ट्रैक्ट मिला था और कुल टारगेट सीटों में से 90 फीसदी से अधिक पर इसके क्लाइंट को भारी जीत हुई थी। अब इस बात के भी चर्चे हैं कि यह फर्म भारत में 2019 के आम चुनावों के लिए भी राजनीतिक दलों के संपर्क में है।
संस्थापक वाइली ने किया खुलासा
2016 में अमेरिकी चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित जीत का श्रेय कैम्ब्रिज एनालिटिका को भी दिया गया। गार्जियन और न्यू यॉर्क टाइम्स के जॉइंट एक्सपोज में इस फर्म के संस्थापक क्रिस्टोफर वाइली ने इसके काम करने के तरीकों का खुलासा किया था। वाइली ने 2014 में ही इस कंपनी को छोड़ दिया था। वाइली ने खुलासा किया कि कैसे कानूनी ने 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स की निजी जानकारियों को अवैध तरीके से हासिल उनकी पसंद-नापसंद के आधार पर वोटर बेस को मैनिप्युलेट करने का काम किया। इस रिपोर्ट ने अपने यूजर्स के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए प्रति फेसबुक की नाकामी को भी उजागर किया। फेसबुक के फाउंडर जकरबर्ग को इस मामले में ब्रिटेन की संसदीय समिति के सामने पेश होने का फरमान मिला है।
तो इन्होंने, ऐसे किया खेल!
पिछले वर्षों में राजनीतिक दलों के बीच सोशल मीडिया पर सशक्त पकड़ की होड़ मची हुई है। सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच को देखते हुए बड़ी कंपनियां और सरकारों का बिग डेटा की तरफ रुझान तेजी से बढ़ा। दक्षिणपंथी वेबसाइट Breitbart के संस्थापक स्टीव बैनन ने इसे एक मौके के रूप में लिया। स्टीव ने क्रिस्टोफर वाइली में डेटा को हथियार बनाने क्षमता देखी और साथ मिलकर ब्रिटेन में कैम्ब्रिज एनालिटिका की नींव रखी। कंजरवेटिव हेजफंड के अरबपति रॉबर्ट मर्सर ने इस पूरी प्लैनिंग के लिए फंड जुटाया।
स्टीव बेनन के इस फर्म के लिए क्रिस्टोफर वाइली की ऐनालिसिस टेक्नीक के आड़े डेटा की कमी आ रही थी। अब इस डेटा को हासिल करने के लिए फर्म ने सबसे पहले कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के साइकोमिट्रिक्स सेंटर से संपर्क साधा, एथकिल ग्राउंड के आधार पर डेटा देने से इनकार कर दिया गया। दरअसल, स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के साइकोमिट्रिक्स सेंटर ने एक अध्ययन किया था। बैनन ऐंड कंपनी को इसी का डेटा चाहिए था। न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह अध्ययन 'मायपर्सनैलिटी' myPersonality नाम के एक फेसबुक ऐप से निकाले गए डेटा पर आधारित थी।
इस ऐप में साइकोमिट्रिक सेंटर की तरफ से 100 सवालों पर आधारित एक क्विज तैयार किया गया था। फेसबुक पर इस क्विज में शामिल होने वाले काफी यूजर्स ने इस ऐप को उनके फेसबुक प्रोफाइल डेटा और फ्रेंड लिस्ट डेटा तक पहुंच की इजाजत दे दी। इसकी मदद से शोधकर्ताओं को क्विज के जवाबों और यूजर्स प्रोफाइल के लाइक-डिसलाइक के क्रॉस परीक्षण की सहूलियत मिल गई। इससे एक ऐसा मॉडल तैयार हुआ जिससे शोधकर्ता यूजर्स की ऐक्टिविटी की मदद से उसके बारे में सटीक आकलन करने में सक्षम हो गए।
बैनन ऐंड कंपनी को अब इसी डेटा की तलाश थी। ऐसे में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता अलेक्जेंडर कोगन का साथ मिला। हालांकि कोगन के साथी ने वाइली का प्रस्ताव ठुकरा दिया लेकिन कोगन ऐसा नहीं कर सके। कोगन ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के लिए 'दिसइजयोरडिजिटललाइफ' (thisisyourdigitallife) नाम का फेसबुक ऐप बनाया। यह मायपर्सनैलिटी ऐप के क्विज ही जैसी थी। कोगन के क्विज ने 5 करोड़ से अधिक फेसबुक प्रोफाइल से डेटा निकालने का काम किया। इनमें से करीब 2 लाख 70 हजार लोगों ने कोगन के ऐप को उनकी जानकारियां लेने की अनुमति दी। ऐप की तरह से लोगों को यह बताया गया कि उनकी जानकारियां केवल अकादमिक रिसर्च के लिए इस्तेमाल की जाएंगी।
स्टिंग ने चौंकाया
वाइली के मुताबिक जबतक वह फर्म का हिस्सा थे तब तक कैम्ब्रिज एनालिटिका ने डेटा को खरीदने के लिए 7 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। इसमें से एक मिलियन डॉलर की रकम कोगन की ग्लोबाइल साइंस रिसर्च को गई थी जिससे 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स की निजी जानकारियां खरीदी गईं थीं। बिग डेटा को हासिल करने की इस कवायद के इतर फर्म ने दूसरे गलत रास्ते भी अपनाए। ब्रिटेन के चैनल 4 एक स्टिंग ऑपरेशन में कैमरे के सामने पकड़े गए फर्म के सीईओ अलेक्जेंडर निक्स समेत फर्म के दूसरे टॉप एग्जिक्यूटिव ने दूसरे तरीकों के बारे में भी जानकारी दी।
इस स्टिंग के फुटेज में निक्स और फर्म के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्क को यह बताते हुए देखा गया कि चुनावों को प्रभावित करने के लिए कैसे प्रॉपेगैंडा, फेक न्यूज, हनी ट्रैप में फंसाने जैसे कृत्यों का भी सहारा लिया गया। हालांकि बाद में निक्स ने यूके की संसदीय समिति के सामने ऐसे किसी कृत्य को अंजाम देने से इनकार किया। फिलहाल कैम्ब्रिज एनालिटिका ने बिग डेटा सेंधमारी की इस खबर के सार्वजनिक होने के बाद निक्स को सस्पेंड कर दिया है।
फेसबुक का रवैया लापरवाही भरा
5 करोड़ यूजर्स के निजी डेटा की इस चोरी में फेसबुक की भूमिका को भी संदेह के दायरे में ला दिया है। आरोप लग रहे हैं कि फेसबुक ने इस चोरी को होने दिया। बिग डेटा चोरी की यह घटना 2015 में हुई लेकिन फेसबुक ने इस मामले में चुप्पी अब तोड़ी जब पिछले हफ्ते कई जगहों पर इसका खुलासा हुआ। अब फेसबुक ने जाकर माना है कि डेटा में सेंधमारी हुई। अब भी फेसबुक यूजर्स पर ही जिम्मेदारी डालता दिख रहा है। फेसबुक के वीपी और डेप्युटी जनरल काउंसल पॉल ग्रेवल ने अपने ब्लॉग में लिखा कि कोगन ने उन यूजर्स की जानकारी ली जिन्होंने ऐप में साइनअप किया और उन्हें अपनी मंजूरी दी।
ट्रंप के चुनावों में फेसबुक के जरिए रूसी हस्तक्षेप का भी मामला सामने आया था। इस संदर्भ में भी जब यूएस कांग्रेस में अपने जवाब में फेसबुक ने पूरी जानकारी देने की बजाय केवल इतना कहा कि केवल एक करोड़ लोगों ने रूसी लिंक वाले विज्ञापनों को देखा। अमेरिकी कांग्रेस में कुछ सुनवाइयों के बाद फेसबुक ने बाद में माना कि 10 करोड़ 26 लाख यूजर्स ने ऐसे विज्ञापन देखे।
गिरे FB के शेयर
अब बिग डेटा लीक की इस खबर के सार्वजनिक हो जाने के बाद फेसबुक को तगड़ा झटका लगा है। अमेरिकी और यूरोपीय सांसदों ने फेसबुक इंक से जवाब मांगा है। इसके बाद अमेरिका की सोशल मीडिया कंपनी के शेयर सोमवार को 7% टूट गए। शेयर की कीमत घटने की वजह से फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्क को एक दिन में 6.06 अरब डॉलर (करीब 395 अरब रुपये) का झटका लग गया। अमेरिका और यूरोप के सांसदों ने जकरबर्ग को उनके सामने पेश होने के लिए कहा है।