क्या अनुच्छेद 370 खत्म होना चाहिए?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
देश की नवनिर्वाचित नरेंद्र मोदी नीत एनडीए की सरकार के मंत्री द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर दिए गए बयान के बाद विवाद गहरा गया है। पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर ‘असहमत’ लोगों को मनाया जाएगा। इसपर राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि संविधान सभा को फिर से आहूत किये बिना इस अनुच्छेद को नहीं हटाया जा सकता, वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कहना है कि धारा-370 को हटाने के लिए कवायद शुरू की जानी चाहिए। उमर अब्दुल्ला राज्य को अपनी पैतृक संपत्ति समझते हैं। जानते हैं इस मुद्दे पर किसकी क्या राय है--
जितेंद्र सिंह : पीएमओ में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा-370 को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस संबंध में सभी पक्षों से बातचीत शुरू कर दी गई है। अगर धारा 370 पर हम चर्चा नहीं करेंगे तो हम इसे हटाने का विरोध कर रहे लोगों को कैसे समझाएंगे कि इससे उन्हें फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही हुआ है। हालांकि बाद में मंत्री ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से उद्धृत किया गया है।
उमर अब्दुल्ला : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि केंद्र सरकार उन पक्षों की जानकारी दे जिनसे राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाने के संबंध में बातचीत हो रही है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा को आहूत किये बिना अनुच्छेद 370 को नहीं हटाया जा सकता। संविधान सभा ने भारत के साथ जम्मू-कश्मीर के विलय को मंजूरी दी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम दावा करते हैं कि पूरा जम्मू कश्मीर हमारा है और भाजपा हमेशा से कहती रही है कि कश्मीर का पाकिस्तानी भाग भी भारत का हिस्सा है तो इस पर विचार करें तो संविधान सभा में वहां के सदस्यों का शामिल होना भी जरूरी होगा। उमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 पर देश के लोगों के बीच जानबूझकर भ्रम पैदा किया जा रहा है। इससे राज्य के लोगों में अलगाव की भावना और बढ़ सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंह ने कहा था कि पक्षों के साथ बातचीत शुरू हो गयी है तो बताएं कि किन लोगों से बात की गयी है।
राम माधव : वरिष्ठ संघ नेता राम माधव ने धारा-370 को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर राज्य हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा चाहे प्रावधान लागू रहे या हटाया लिया जाए। माधव ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला राज्य को ‘पैतृक संपत्ति’ समझते हैं। माधव ने ट्वीटर पर कहा, ‘जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रहेगा? क्या उमर उसे अपनी पैतृक संपत्ति समझते हैं। जम्मू कश्मीर में 370 रहे या नहीं रहे यह भारत का हमेशा अभिन्न हिस्सा है और आगे भी रहेगा।’
अभिषेक मनु सिंघवी : कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने जितेंद्र सिंह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि इनका मकसद देश में ध्रुवीकरण करना लगता है। कांग्रेस प्रवक्ता सिंघवी के अनुसार, मोदी सरकार इस अनुच्छेद को नहीं हटा सकती। उन्होंने आरोप लगाया है कि एक रणनीति के तहत भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के दौरान मतों के धुव्रीकरण के लिए जानबूझकर यह विवाद खड़ा किया है।
नितिन गडकरी : भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने अनुच्छेद 370 पर चल रहे विवाद में शामिल होते हुए कहा कि राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के इस प्रावधान के कारण जम्मू कश्मीर का विकास बाधित हुआ है। उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर का विकास नहीं हो सका। राज्य के विकास की विपुल संभावनाएं हैं तथा पर्यटन के लिए कई संभावनाएं हैं। लिहाजा नयी सरकार बेहतर तरीके से राज्य के विकास को लेकर इच्छुक है।’
सैफुद्दीन सोज : जम्मू कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने का कहना है, ‘जो संविधान के अनुच्छेद 370 पर चर्चा करने की बात कर रहे हैं वे इस बुनियादी बात को नहीं समझने की बड़ी गलती कर रहे हैं कि यह अनुच्छेद भारतीय संविधान के बुनियादी ढांचे का अभिन्न हिस्सा है और इसे न तो संशोधित किया जा सकता है और न ही भारत में कोई प्राधिकार इसे हटा सकता है, जब तक कि जम्मू कश्मीर की जनता खुद ऐसा नहीं चाहती।’ राज्य में सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस के कोर समूह ने श्रीनगर में बैठक की और सिंह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि इससे जम्मू कश्मीर के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और यह देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरे में डालने के समान होगा।
हरबंश दीक्षित : कानूनी मामलों के जानकार हरबंश दीक्षित का मानना है कि कश्मीर में अलगाव दूर करने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाना जरूरी है। दीक्षित के मुताबिक मोदी सरकार के मंत्री जितेन्द्र सिंह ने अनुच्छेद 370 की प्रासंगिकता पर एक बार पुन: बहस की शुरुआत की है। इस पर स्वस्थ बहस का स्वागत करने के बजाय उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह ठीक नहीं है। किसी विषय पर स्वस्थ बहस लोकशाही की सबसे बड़ी ताकत होती है और संविधान के अनुच्छेद 370 सहित ऐसा कोई भी विषय नहीं है, जिसको बहस की स्वस्थ परंपरा से वंचित रखा जाना चाहिए।
मनीष तिवारी : कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया, ‘अनुच्छेद 370 (3) को अनुच्छेद 370 (2) के साथ पढ़ने से स्पष्ट होता है कि धारा-370 को संविधान सभा की मंजूरी के बिना हटाया नहीं जा सकता है और संविधान सभा अस्तित्व में नहीं है।’
महबूबा मुफ्ती : पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने सिंह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि इससे जम्मू कश्मीर सांप्रदायिक आधार पर विभाजित हो सकता है और ‘एक और बंटवारे’ की चिंगारी भड़क सकती है। मुफ्ती ने कहा, ‘हम मंत्री के इस बयान की निंदा करते हैं क्योंकि इस बात की आशंका थी कि भाजपा सरकार, खासतौर पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह सरकार बांटने वाली होगी। लेकिन प्रधानमंत्री ने दक्षेस देशों के नेताओं को शपथ-ग्रहण समारोह में बुलाकर बहुत अच्छी शुरूआत की है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं उम्मीद करती हूं कि इस बार इस अनुच्छेद को हटाने की बात आखिरी बार सुन रही हूं। इस तरह के बयानों से हम दुर्भाग्य से एक और विभाजन की तरफ बढ़ रहे हैं।’
शरद यादव : जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर पूर्व उदाहरणों के खिलाफ इस मामले में कुछ नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मंत्री ने अनुच्छेद 370 पर जो कहा है, मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूं। कश्मीर देश की आत्मा है। बयान उचित नहीं है और राष्ट्र के हित में नहीं है। कश्मीर को वायदा किया गया था।’