तो क्या 'नेट न्यूट्रैलिटी' थ्यौरी को मिटा देना चाहिए?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
जब कोई भी व्यक्ति किसी टेलीकॉम सर्विस ऑपरेटर से डाटा पैक लेता है तो उसका अधिकार होता है कि वो नेट सर्फ करे या फिर स्काइप, वाइबर पर वॉयस या वीडियो कॉल करे। इस पर एक ही दर से शुल्क लगता है। ये शुल्क सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति ने उस दौरान कितना डाटा इस्तेमाल किया है। यही नेट न्यूट्रैलिटी (नेट निरपेक्षता) कहलाती है। लेकिन अगर नेट न्यूट्रैलिटी खत्म हुई तो इंटरनेट डाटा के मामले में आपको हर सुविधा के लिए अलग से भुगतान करना पड़ सकता है। इससे कंपनियों को तो फायदा होगा, लेकिन आम आदमी के लिए इंटरनेट काफी महंगा हो जाएगा। टेलिकॉम कंपनियां इस बात से परेशान हैं कि वॉट्सऐप के मुफ्त ऐप ने टेलीकॉम कंपनियों की एसएमएस सेवा को लगभग खत्म कर दिया है, इसलिए कंपनियां ऐसी सेवाओं के लिए ज्यादा कीमत वसूलने की कोशिश में हैं। नेट न्यूट्रैलिटी के विमर्श में किसकी क्या राय है यह जानना जरूरी है --
राहुल गांधी : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में नेट न्यूट्रैलिटी (नेट निरपेक्षता) का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नेट निरपेक्षता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को कानून में बदलाव करना चाहिए या नया कानून बनाना चाहिए। राहुल ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह इंटरनेट को भी बड़े-बड़े उद्योगपतियों को बांटना चाहती है। जबकि लाखों युवा नेट निरपेक्षता की वकालत करते हुए इस अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि हर युवा को इंटरनेट का अधिकार है और इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
रविशंकर प्रसाद : केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद का मानना है कि केंद्र सरकार हर व्यक्ति को इंटरनेट सुविधा देने की पक्षधर है। उन्होंने कहा कि नेट न्यूट्रैलिटी पर फैसला ट्राई नहीं, बल्कि सरकार करेगी। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस विवाद के आने से पहले ही मैंने कहा था कि सारे देश के लोगों को इंटरनेट की सुविधा होनी चाहिए। इस मामले में एक समिति का गठन किया गया है, जिसकी रिपोर्ट मई के दूसरे हफ्ते में मिलेगी। इसके बाद ही इस पर कोई अंतिम फैसला होगा।
मार्क जुकरबर्ग : फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि हम पूरी तरह से नेट निरपेक्षता का समर्थन करते हैं। हम चाहते हैं इंटरनेट खुला रहे। नेट निष्पक्षता यह सुनिश्चित करती है कि नेटवर्क ऑपरेटर किसी के भी साथ ये भेदभाव न करे। यह खुले इंटरनेट की प्रमुख जरूरत है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। नेट निरपेक्षता इस बात के खिलाफ नहीं है कि हम इस दिशा में काम करें कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग नेट से जुड़ें। दो सिद्धांत- यूनिवर्सल कनेक्टिविटी और नेट न्यूट्रैलिटी दोनों एक साथ रह सकते हैं और इन्हें रहना ही चाहिए। अधिकतम लोगों तक इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ये उपयोगी होगा कि कुछ सेवाएं फ्री में दी जाएं। अगर कोई इंटरनेट के लिए पैसा नहीं दे सकता तो अच्छा ये होगा कि उसे थोड़ी सुविधा मिले न कि वो पूर्ण रूप से कनेक्शन से वंचित हो जाए। इस दुनिया के हर आदमी को इंटरनेट के मौके मिलने चाहिए और हम सभी को उनकी क्रिएटिविटी, उनकी सोच और उनकी प्रतिभा से फायदा होगा जो अभी तक नेट से नहीं जुड़े हैं।
नैसकॉम : आईटी उद्योग की प्रतिनिधि संस्था नैसकॉम ने नेट न्यूट्रैलिटी पर अपनी रिपोर्ट दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को सौंपी दी है। नैसकॉम के अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर ने कहा, 'इंटरनेट को ऐक्सेस करने पर किसी तरह की पाबंदी से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है क्योंकि हमारी अभिव्यक्ति की आजादी में बोलने की आजादी भी शामिल है। यदि आप कुछ कहते हैं और उसे कोई नहीं सुनता तो आपको अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है।' चंद्रशेखर ने कहा कि नैसकॉम जीरो रेटिंग प्लान सहित उन सभी प्लेटफॉर्म के खिलाफ है जो इंटरनेट की सुविधा देने में भेदभाव करता है।
एयरटेल : निजी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल का कहना है कि जीरो टेरिफ प्लान प्लेटफार्म एक टोल फ्री सर्विस है। कंपनी के अनुसार वह पूरी तरह नेट न्यूट्रैलिटी के साथ है। उसका जीरो प्लान टैरिफ ऑफर न होकर एक ओपन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है। इसके तहत किसी भी तरह के एप्लिकेशन और कंटेंट को एक टोल-फ्री सर्विस के जरिये ग्राहकों तक पहुंचाया जाएगा। जिन ग्राहकों के पास डाटा पैक नहीं होगा, वह भी जीरो प्लान के तहत आने वाली वेबसाइट्स को फ्री में देख सकेंगे। एयरटेल के अनुसार किसी भी साइट को ब्लॉक नहीं किया जाएगा।