खालिस देसी बिजनेस मैन हैं बाबा
किरण राय
धीरे-धीरे ही सही लेकिन योग गुरु बाबा रामदेव अब बिजनेस टाइकून बनने की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। सरकार उनके पसंद की है और योग से पहले ही वो टीवी के जरिए लोगों के ड्राईंग रूम तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में उनकी स्ट्रेटजी काम करती दिख रही है। किसी शातिर बिजनेसमैन की तरह वो मार्केट के उतार-चढ़ाव को परखते रहे और मौका लगते ही चौका मार दिया।
पहले आयुर्वेद और हर्बल उत्पाद से लोगों को प्रभावित किया, फिर गृहणियों की रसोई तक खाद्य पदार्थ पहुंचाए, सौंदर्य उत्पादों से महिलाओं को आकर्षित किया और अब तैयारी जीन्स बेचने की चल रही है। मार्केटिंग के लिए उन्हें ज्यादा खर्चा भी नहीं करना पड़ा। योग शिविरों के जरिए अपने उत्पादों का जमकर प्रचार किया।
बाबा का साम्राज्य बखूबी बढ़ रहा है। स्वदेशी को उन्होंने बड़े ढंग से भुनाया है। इसी की नतीजा है कि उनके चेले और पतंजलि के सीईओ बालकृष्ण के पास जहां पहले एक बैंक खाता तक नही था आज की तारिख में भारत के अमीर सीईओ की लिस्ट में उसका स्थान 25 वां है। बालकृष्ण एक पैसे की सैलरी नहीं उठाते लेकिन कुल सम्पत्ति 25,600 करोड़ की है। यानी करोड़ों में खेल रही है स्वदेशी पतंजलि।
स्वदेशी उत्पाद के बैनर तले ये एक कम्पनी कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को लील रही है। बाबा रामदेव ने अपने उत्पादों को तो बढ़ाया ही साथ ही नेगेटिव पब्लिसिटी का भी जमकर प्रयोग किया। उन्होंने अन्य उत्पादों का मार्केट गिराने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी। खबरों में बने रहने का फायदा इन्हें हमेशा मिला। राजनीतिक मुद्दों पर राय जाहिर करने का मौका कभी नहीं छोड़ा। विशुद्ध देसी भाषा से भी लोग इनकी बातों को सहजता से समझ पाए। चाहें मैगी हो, कोका कोला हो सब पर इनकी सरकार के साथ साठ-गांठ का असर साफ दिखा।
योग गुरु की लोग आलोचना भी जमकर करते हैं लेकिन इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि योग, हर्बल और आयुर्वेद के प्रचार प्रसार का असर ये हुआ कि कई बड़ी कम्पनियां अब हर्बल उत्पादों पर जोर देने लगी हैं। बाबा ने बता दिया कि खालिस देसी तरीका भी योग गुरु को बिजनेस गुरु बना सकता है।