अघोषित युद्ध में लगातार मिलती मात
किरण राय
इसे पाकिस्तान की धृष्टता कहें या भारत का मखौल उड़ाने की जिद्द, लेकिन जिस तरह से अपने ही घर में बार-बार हमारे सैनिक, हमारे अफसर, हमारे जवान, हमारे नागरिक उनके आतंकियों का निशाना बन रहें हैं माने ना मानें इस छद्म युद्ध में हम हर बार मात खा रहें हैं। ताजा मामला लेफ्टिनेंट उमर फयाज का है। जिसे अगवा कर गोलियों से भून दिया गया। हद तो तब हुई जब शहीद के जनाजे पर आतंक समर्थकों ने पत्थरबाजी तक की। यानी नियत में इतना खोट आ गया है कि सीमा पर ही नहीं बल्कि इस पार भी आम शहरियों को बगावत करने पर मजबूर किया जा रहा है और हमारी सरकारें बेबस और हवाई फायर करने में ही व्यस्त हैं।
ज्यादा वक्त नहीं बीता जब नायब सुबेदार परमजीत सिंह और बीएसएफ के कॉन्सटेबल प्रेम सागर के शवों के साथ बर्बरता की गई। और हमारी सरकारें - फिर देख लेंगे... ईंट का जवाब पत्थर से देंगे...पाकिस्तान बाज़ आए...हमारे सामने विकल्प खुले हैं...जैसे जुमलों को दोहराती रहीं। ऐसा लग रहा है पड़ोसी देश जानता है कि हम सिर्फ आर्थिक समृद्धता को लेकर सजग हैं और शांति के साथ देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहते हैं। इस एक सोच को जिसे हम अपनी ताकत और वो हमारी कमजोरी मानते हैं- का बेखौफ होकर फायदा उठाया जा रहा है। पानी सिर से ऊपर जा चुका है और भारत को भी मानना पड़ेगा कि जमाना हाइब्रिड वॉर का है और सैन्य शक्ति सम्पन्न देश के आगे पूरी दुनिया सिर झुकाती है। तभी तो ट्रम्प जैसा राष्ट्रपति भी किम जोंग और शी जिनपिंग जैसों की बात करता है।
दरअसल, पाकिस्तान कभी भी भारत- विरोधी एजेंडे से बाहर नहीं निकल पायेगा। वो चाह कर भी पूर्वी बंगाल में अपनी हार को भूल नहीं पा रहा। आमने-सामने के युद्ध में हमेशा उसे मुंह की खानी पड़ी है शायद यही कारण है कि पिछले तीन दशकों से वो आतंक के सहारे अपनी लड़ाई लड़ रहा है। और हमारे सियासतदां शांति, सद्भाव, बातचीत, खोखले वायदों और इरादों के साथ आगे बढ़ रहें हैं। वक्त आ गया है कि हम सर्जिकल स्ट्राइक जैसे हमलों का ढिंढोरा पीटना बंद करें और आर्मी को अपना काम शांति से बिना किसी शोर शराबे के करने दें। पाकिस्तान जानता है कि भारत में आर्मी की कार्रवाई भी संदेह के घेरे में रहती है, उसे खुली छूट नहीं है। मानवाधिकार संगठन सवाल उठाते रहते हैं और शांति के खैरख्वाह सेना पर दबाव बनाते रहते हैं। पाक जानता है कि भारत एक सॉफ्ट स्टेट है जिसे निशाने पर आसानी से रखा जा सकता है।
तो अब जरूरत है कि इस अघोषित युद्ध में मिल रही लगातार मात को भारत गंभीरता से ले। सेना और विशेष सैन्य दस्ता एक रणनीति के तहत काम करें। जैसा पठानकोट हमले के दौरान हुआ था। जब एयरबेस पर एनएसजी कमांडो आर्मी से पहले पहुंच गए थे और स्थिति से निपटने में कारगर रहे थे। जरूरत इस बात की है कि हमारे नौकरशाह चतुराई से विभिन्न सैन्य बलों और पुलिस बलों के बीच एक कड़ी की तरह काम करें और पाकिस्तान को रणनीति के जरिए मात दें। हाइब्रिड वॉर जैसी कला में भी भारत को पारंगत होना पड़ेगा। एक ऐसा युद्ध है जिसमें युद्ध के परंपरागत कौशल के अलावा सामान्य रण कौशल और साइबर रण कौशल, आतंकवाद, आपराधिक गतिविधियां, सूचना युद्ध, आर्थिक रण इत्यादि का एक साथ इस्तेमाल होता है और इस क्रम में हमलावर अपनी भूमिका से सदा इंकार करता है। ठीक वैसे ही जैसे बरसों से पाकिस्तान करता आ रहा है।