सोग़ मनाना फ़ुजूल इसलिए जश्न की बात
किरण राय
भाजपा ने ऐलान किया है कि मोदी सरकार की उपलब्धियों के तीन साल पूरे करने पर जश्न धुंआधार मनेगा। मंत्री संतरी सब जश्न-ए-सरकार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। मोदीफेस्ट को भव्य बनाने की तैयारी जोरों पर है। लेकिन सवाल उठता है कि देश को चलाने में क्या सरकार सही मायनों में सफल हुई है? क्या हर दूसरे दिन हमारा सैनिक शहादत नहीं पा रहा है? क्या किसान आत्महत्या नहीं कर रहा है? क्या गौमाता के नाम पर समुदाय विशेष को निशाना बनाने का क्रम थमा है और झारखंड में हाल ही में भीड़ के पागलपन का शिकार बने युवाओं की मौत भला किस सरकार की सफलता का पैमाना हो सकती है? कुल मिलाकर देश का जवान, किसान और आम हिन्दुस्तानी खुद को फनां कर रहा है और सोग़ मनाने के बजाए इन बरबादियों का जश्न मनाने पर जोर दिया जा रहा है।
NDA सरकार खुश है। उसे लगता है कि तीन सालों में ऐसा बहुत कुछ खास हुआ है जिससे सरकार का रुतबा और साख बढ़ी है। आह्लादित होने की एक और वजह उत्तर प्रदेश में बम्पर बहुमत के साथ सरकार बनाना है। केन्द्र को लगता है कि जनधन योजना जैसा झुनझुना पकड़ा कर उसने बहुत बड़ा काम कर डाला है...हालांकि इस योजना के जरिए हुआ घपला भी सामने आ चुका है। जीएसटी पास करा कर भी खुश है सरकार। लेकिन क्या ये वक्त नहीं है कि अपने गिरेबां में झांका जाए? क्या ये ना सोचा जाए कि इस फेस्ट की लात भी शायद करोड़ों हिंदुस्तानियों पर पड़ेगी और हम टैक्स पेयर्स की जेब का बड़ा हिस्सा इस सरकारी शोशेबाजी में जायेगा। क्या हम भूल जायें कि विमुद्रीकरण की मार सैकड़ों पर पड़ी? क्या जश्न सुहाता है जब हमें पता हो कि कईयों की जिन्दगी बैंकों की कतारों में खड़े-खड़े ही कुर्बान हो गई।
शिवसेना के उद्धव ठाकरे जो खुद सरकार के एक घटक हैं इस जश्न पर ऐतराज जता रहें हैं। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। स्वच्छ भारत अभियान को फ्लॉप बताया है। पूछा है कि जिस अभियान पर करोड़ों रुपए लगे, क्या उससे देश स्वच्छ हो गया? उन्होंने पूछा है कि क्या अरबों रुपया खर्च कर के भी गंगा साफ हुई? सवाल मौजूं हैं। मानना पड़ेगा कि प्रबंधन के इस खेल में भाजपा ने वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता के मापदण्डों को भली भांति हासिल कर लिया है लेकिन देश में कई अब भी छद्म राष्ट्रवाद और छलावे में जी रहें हैं। तभी तो बड़े गर्व के साथ मोदीफेस्ट 900 शहरों में कराने का ऐलान किया जा रहा है और खर्चा किस मद में कितना लग रहा है इस पर चुप्पी साध ली गई है।