लोकल ट्रम्प vs ग्लोबल अमेरिका
किरण राय
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी नई पारी का आगाज कर दिया है। बेबाक और कुछ भी कहने के लिए कुख्यात ट्रम्प ने अपने पहले भाषण में भी वही कहा जो वो अपने चुनावी भाषण के दौरान कहते आये थे। विजन और रिजन वही दिए जिनके दम पर अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए। रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध कराने के लिए अपनी नीति भी स्पष्ट की। उनके भाषण का हाईलाइट अमेरिका, अमेरिका और सिर्फ अमेरिका फस्ट रहा। उन्होंने साफ किया कि पहले अपने देश की भलाई के बारे में सोचेंगे फिर किसी दूसरे के बारे में सोचेंगे। लेकिन मिस्टर प्रेसिडेंट भूल गए कि अमेरिका अपने दम पर सबका आका नहीं बना है। युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के सर्वेसर्वा पर पूरी दुनिया को एक साथ लेकर चलने का दारोमदार होता है। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि ये लोकल ट्रम्प का ग्लोबल अमेरिका से इतर संबोधन है।
दुनिया ने अमेरिका का साथ हर हाल और हर राह पर निभाया है। गल्फ वार के वक्त भी और पाकिस्तान के घर में घुस कर आतंकी लादेन को मारने के दौरान भी। युनाइटेड नेशन्स में सभी बड़े और छोटे देशों ने अमेरिका की हां में हां मिलाई है। अमेरिका पहले भी अपने सरोकारों की बात करता रहा है लेकिन हर बार दुनिया को साथ लेकर चलने का करार उसने किया है। यहां भी ट्रम्प ने अपने हित की बात की है लेकिन अपनी नीतियों का ऐलान कर कई देशों की आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को उलझाने का काम किया है। अफगानिस्तान निराश है क्योंकि वो जानता है कि आतंक के खिलाफ उसकी जंग में अमेरिका उसके साथ है, और अगर उसने हाथ खींच लिया तो अफगानियों की जिन्दगी और बद्तर हो जाएगी। मेक्सिको खफा है क्योंकि नये नवेले राष्ट्रपति ने अपनी सीमाओं की रक्षा और बाय एण्ड हायर अमेरिका को अपना मंत्र बना लिया है। ट्रम्प अपने पहले के भाषण में कह चुके हैं कि वो चाहते हैं कि अमेरिकी मैक्सिको में अपनी दुकानें ना खोलें और अपने यहां के व्यापार को तवज्जो दें। अब तक अमेरिका मैक्सिको का सबसे बड़ा व्यावसायिक साझेदार है। ट्रम्प पहले ही इस पड़ोसी देश के लोगों को अमेरिका आने से रोकने के लिए सीमा पर दीवार खड़ी करने की बात कह चुके हैं।
डरा तो पाकिस्तान भी है। क्योंकि ट्रम्प ने इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करने की बात कही है। उन्हें लग रहा है कि व्यवसायी ट्रम्प इस्लामिक देशों को निशाने पर लेंगे। सब जानते है कि इन दिनों आतंक की फैक्ट्रियों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा किस देश की है। पाक मानता है कि इस्लामिक कट्टरपंथ को खत्म करने का जिक्र कर उन्होंने हलचल मचा दी है। भारत के वो लोग जो वीजा की ख्वाहिश रखते हैं अमेरिका में नौकरी करने के ख्वाब देख रहें हैं उन्हें भी ट्रम्प ने झटका दिया है। अब स्पष्ट है कि वीजा नीतियां काफी सख्त होंगी।
देश-दुनिया के ज्वलंत मुद्दों पर ट्रम्प अलग राय रखते हैं और ऐसा उनके पहले के संबोधनों से जाहिर भी हुआ है, लेकिन एक जिम्मेदार देश के जिम्मेदार राष्ट्रपति के तौर पर जो कुछ भी उन्होंने कहा है वो अमेरिका के इकबाल के हिसाब से नहीं है। सब हैरान और परेशान हैं क्योंकि अमेरिका फस्ट कहने भर से अमेरिका नम्बर 1 नहीं बनेगा उसके लिए उसे सबको साथ लेकर चलना होगा। ट्रम्प को वैश्विक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। ऐसा बयान उन्हें इस तरह की बात करने वाले फर्स्ट अमेरिकी राष्ट्रपति होने का तमगा तो दिला सकता है, लेकिन अमेरिका फर्स्ट के उनके मंत्र को पचा पाना खुद अमेरिका के लिए मुश्किल का सबब हो सकता है।