स्टिंग दर्द नहीं दवा है 'आप' के लिए
स्टिंग के दर्द को इन दिनों 'आप' भी झेल रही है। 'आप' यानी आम आदमी पार्टी। वो पार्टी जो खुद गुपचुप तरीके से भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने का दम भरती रही है और आज इसे ही बेनकाब करने का दावा किया जा रहा है। 'आप' की बुनियाद भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन रहा है। इसे पार्टी की यूएसपी ही कहेंगे कि आमजनों में ये परंपरागत पार्टियों से हटकर दिखती हैं। इसके नेता आम लोगों जैसे हैं। फिल्म 'नायक' के अनिल कपूर की तरह जो सिस्टम की गंदगी को एक दिन में ही बदलने का प्रयास करता है। और वो आम होते हुए भी खास बन जाता है। शायद यही वजह है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में ये शनै-शनै खासकर निम्न मध्यवर्ग के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है और बड़ी पार्टियों की सांसें अटका रही है। जिस तरह से बाकी पार्टियां अपनी खूबियों की बजाए इस 'एपॉलिटिकल पार्टी' की गल्तियां गिनाने में जुटी हैं उससे तो इसकी मजबूती का एहसास हो ही जाता है।
माना ये जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 'आप' भाजपा के वोटों का बंटाधार कर सकती है। और शायद यही वजह है कि इन दिनों इस पार्टी पर चौतरफा हमले हो रहे हैं और केजरीवाल एण्ड पार्टी यकीनन राजनीति की जमीनी सच्चाई से वाकिफ हो रही है। सभी बड़ी पार्टियां जानती हैं कि अन्य पार्टियों के मुकाबले कुछ हटकर दिखना ही इसकी ताकत है और इसी ताकत पर अगर हमले किए जाएं तो पार्टी का जनाधार खिसक सकता है। लगातार ये प्रयास जारी है और ऐसे में स्टिंग ऑपरेशन किसी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है या महज संयोग इस पर सवाल उठने लाजिमी हैं।
स्टिंग के दर्द से आहत 'आप' इसे डंके की चोट पर अपनी छवि को ठेस पहुंचाने वाला मान रही है और इसे विपक्षी खेमे की चालबाजी करार दे रही है। तो वहीं विपक्षी दल अब खुद को खास कहने वाली पार्टी पर चुटकी ले रहे हैं। स्टिंग की वैधता दो चार दिनों में साफ हो जाएगी और शायद दावों व मुखालफत पर पूर्णविराम भी लग जाएगा। लेकिन इतना तय है कि बात-बात पर सरकार और राजनीतिज्ञों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले आम आदमी पार्टी को सबक तो मिल ही गया है। उन्हें भी एहसास हो चुका होगा कि सभी पार्टियों, नेताओं को एक ही तराजू में नहीं तौला जा सकता है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं औऱ राजनीति के इन नए खिलाड़ियों को ये पाठ याद कर लेना चाहिए।
इस स्टिंग के फुटेज की बाकायदा जांच होनी चाहिए और जो भी तथ्य हों उनके आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन ‘आप’ को भी यह मालूम होना चाहिए कि नैतिकता के जिस ऊंचे सिंहासन पर होने का वे दावा करते हैं, वह अवास्तविक है और उसमें यह खतरा निहित है। सारे राजनेता बेईमान और भ्रष्ट हैं यह बात सनसनीखेज तो है लेकिन यह किसी पार्टी का आधार नहीं बन सकती, क्योंकि यह सच नहीं है। राजनीति में बहुत गंदगी है लेकिन यही राजनीति हमारी जनता की अपेक्षाओं की वाहक भी है और काफी हद तक वे अपेक्षाएं पूरी भी होती हैं। ‘आप’ ने राजनीति की कीचड़ में उतर कर अच्छा काम किया है, लेकिन हम सबसे शुद्ध हैं और बाकी सब भ्रष्ट हैं, यह आग्रह उन्हें ज्यादा दूर नहीं ले जाएगा।