सिस्टम को चैलेंज करते हैं ये!

किरण राय
मॉब लिचिंग के बाद इन दिनों कावंड़ियों के तांडव को लेकर खबरें काफी डराने वाली आ रहीं हैं। हमारे सिस्टम को चैलेंज करने का इन्होंने एक भी मौका नहीं छोड़ा है। इसी मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को एक बार फिर उनके अधिकारों को लेकर खरी-खरी सुनाई है। हाल ही में एक तीर्थ यात्रा के तौर पर खास मुकाम बना चुकी कांवड़ यात्रा के दौरान ऐसी कई घटनायें हुईं जो सरकारों की नीयत पर सवाल खड़े करती है। धर्म के नाम पर राजनीति चिरकाल से हो रही है लेकिन उसकी शह पाके हुड़दंग और उत्पात का ऐसा शो समाज की बदलती सोच और हिंसा के प्रति लगाव को दर्शाता है।
पुलिस सरकारों के दबाव में बेबस दिख रही थी उसे सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देशित किया है कि वो उत्पाती कांवड़ियों को हिरासत में ले। निर्देश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच की ओर से आया है। इस दौरान उन्होंने इलाहाबाद में कावंड़ियों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग को 5 घंटों तक ब्लॉक रखने का भी जिक्र किया। उन्होंने तल्ख अंदाज में चेताया कि आप अपने घर को जलाकर हीरो बन सकते हैं लेकिन तीसरे पक्ष की संपत्ति नहीं जला सकते।
हाल ही में दिल्ली, मेरठ समेत उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में कांवड़ियों पर बरती जा रही नरमी के तमाम उदाहरण देखने को मिले। कहीं फूल बरसाए गए, कहीं कांवड़ियों की खातिर गांव खाली कराए गए तो कहीं हुड़दंग मचा कर वाहनों को नुकसान पहुंचाने वालों के सामने पुलिस मूकदर्शक बनी सब सहती दिखी। हद तो तब हुई जब पुलिस वालों पर डंडे तक बरसा दिए गए और तीर्थयात्रियों की सेवा में लगी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे रही।
दरअसल, जिस तरह से हु़ड़दंग और उत्पात मचाया जा रहा है वो जताता है कि लोगों खासकर युवाओं में धर्म विशेष को लेकर अहं और कुछ भी कर गुजरने वाली प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कानून का खौफ रह नहीं गया है क्योंकि वो भी समझ चुके हैं कि नेता उनके साथ हैं, वोट बैंक का वो मजबूत आधार हैं और सरकारें उनके खिलाफ कुछ नहीं करेंगी। ये स्थिति हमारे सिस्टम के लगातार होते पतन की एक और दास्तां है, जिस पर डंडा जब ऊंची अदालत की तरफ से चलता है तभी सरकारें संभलती हैं।