क्या ऐसे अमल में आएगा विजन डॉक्यूमेंट?
किरण राय
ज्यादा दिन नहीं बीते जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न राज्यों के सीएम के साथ मिलकर न्यू इंडिया विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया। जिसमें देश के आर्थिक विकास के लिए 15 वर्षीय विजन डॉक्यूमेंट, सात साल के लिए सरकार की रणनीति और 3 साल में देश का कायाकल्प करने के एक्शन प्लान पर चर्चा हुई। पीएम ने जीएसटी पास कराने के लिए विभिन्न राज्यों की सरकारों के सहयोग को अभूतपूर्व माना। लेकिन क्या ही अच्छा होता अगर पीएम इस राष्ट्र के आर्थिक विकास को तवज्जो देने के साथ ही उन मजलूमों का भी जिक्र करते जो इन दिनों गौरक्षकों के खौफ के साए में जी रहे हैं और बार-बार गौ माता की आड़ में कुछ गुण्डों की भेंट चढ़ रहें हैं।
क्या किसी भी सभ्य समाज या फिर राष्ट्र की कल्पना किसी एक तबके, वर्ग या जाति को साथ लिए बिना मुमकिन है? अगर नहीं तो फिर उत्तर प्रदेश में असंवैधानिक कसाई बाड़ों को बंद करने के नाम पर, राजस्थान में पहलू खान को पीट-पीट कर मारे जाने पर, दिल्ली में तीन मुसलमान युवकों को भैंस ले जाने और जम्मू कश्मीर में भी तीन लोगों को मवेशी चुराने के जुर्म पर ज्यादती होने पर खामोशी क्यों हैं? योगी आदित्यनाथ और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अंत्योदया योजना को लेकर खूब ट्विट भी कर रहें हैं...राष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोरने का कार्यक्रम भी जारी है लेकिन गौ माता के नाम पर धर्म विशेष के लोगों के साथ हो रही ज्यादती पर ना तो कोई ट्विट है और ना कोई योजना का खाका ही तैयार है।
सवाल कुछ मुसलमानों को पीटने का तो है ही साथ ही जिस अंदाज में देश की पुलिस इस मसले पर ढिलाई दिखा रही है उस पर भी है। अब तक की कार्रवाई में दोषियों के साथ ही पीड़ितों पर भी एफआईआर दर्ज हो रही है, लेकिन हमारी सरकारें इस पर खामोश हैं। क्योंकि उनके सामने विजन न्यू इंडिया है। भारत को आर्थिक तौर पर मजबूत करने का सवाल है। ये सोचने का वक्त शायद नहीं है कि सबका साथ सबका विकास किसी एक जाति, वर्ग या धर्म को विशिष्ट मानकर नहीं होगा। विकास भी तब तक अधूरा है जब तक प्रांत या फिर देश के कई लोगों को ये लगने लगे कि वो सुरक्षित नहीं हैं... उनकी कोई सुनवाई नहीं है।