मुश्किल में 13 राज्यों के दागी सांसद और विधायक, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा आपराधिक मामलों का ब्योरा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को 11 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से वहां के जनप्रतिनिधियों (सांसदों और विधायकों) के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा दो सप्ताह के भीतर देने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों के आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार से विशेष अदालतों के गठन करने के लिए धन मुहैया कराने के लिए कहा है। पिछली सुनवाई में अदालत ने 19 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों से इस बाबत जानकारी मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ ने मामले में वरिष्ठ वकील विजय हंसारी को अमीकस क्यूरे (न्यायमित्र) नियुक्त किया। अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता ए.आर. नादकर्णी को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सूचना संकलित करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, विजय हंसारी शीर्ष अदालत को बताएंगे कि इन मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरी करने के लिए कितनी विशेष अदालतों की जरूरत होंगी। सर्वोच्च अदालत ने 10 मार्च 2014 को इन मुकदमों की सुनवाई एक साल के भीतर करने का आदेश दिया था। जिन राज्यों से दो सप्ताह के भीतर जानकारी मांगी गई है उनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गोवा, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ और लक्षद्वीप शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने अपने 12 सितंबर के आदेश में 19 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, हाईकोर्ट के महापंजीयकों (आरजी) को लंबित मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया था।