21 विपक्षी दलों ने बैठक कर जवानों का बढ़ाया मनोबल, शहादत के राजनीतिकरण पर जताई चिंता
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कांग्रेस समेत देश के 21 विपक्षी दलों ने पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा किये गए हवाई हमले और पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई को विफल किए जाने की सराहना करते हुए बुधवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ हर लड़ाई में वे अपने सशस्त्र बलों एवं सेना के साथ खड़े हैं। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि पुलवामा हमले के बाद भाजपा के नेताओं ने जवानों की शहादत का जिस तरीके से राजनीतिकरण किया वह गंभीर चिंता का विषय है।
भारत और पाकिस्तानी सीमा पर तनावपूर्ण हालात के बीच कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने एक बैठक की। बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संवाददाताओं के समक्ष विपक्षी दलों का संयुक्त बयान पढ़ा जिसमें पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई। बयान में कहा गया, बैठक में शामिल सभी नेताओं ने 14 फरवरी को पुलवामा में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले की एक स्वर में कड़ी भर्त्सना की है। उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और आतंकवाद के ख़िलाफ निर्णायक लड़ाई में हमारे सशस्त्र बलों व सेना के साथ एकजुटता का संकल्प दोहराया।
विपक्ष के संयुक्त बयान पर जेटली ने किया पलटवार
कांग्रेस समेत देश के 21 विपक्षी दलों द्वारा पुलवामा हमले के बाद भाजपा नेताओं के जवानों की शहादत का राजनीतिकरण किए जाने के आरोप संबंधी बयान पर पार्टी ने पलटवार किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट कर विपक्ष को जवाब दिया। उन्होंने लिखा, 'पुलवामा में सीमा पार आतंकवाद एक हकीकत थी। बालाकोट ऑपरेशन भारत की तरफ से अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए की गई ऐंटी-टेरर स्ट्राइक थी। पूरे देश ने एकसुर में अपनी बात कही है। ऐसे में भारत का विपक्ष क्यों आरोप लगा रहा है कि सरकार हमारे ऐंटी-टेरर ऑपरेशनों का राजनीतिकरण कर रही है? एक अन्य ट्वीट में जेटली ने लिखा, भारत के विपक्ष से मेरी अपील है कि देश को एक आवाज में बोलने दीजिए। कृपया आत्मनिरीक्षण कीजिए। उन्होंने कहा कि आपके इस नासमझ बयान का पाकिस्तान इस्तेमाल कर रहा है। इससे पहले भाजपा के एक और वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 21 विपक्षी दलों के इस बयान का पाकिस्तान फायदा उठा रहा है। इस बयान से पाक, पाक सेना और वहां का मीडिया खुश है। विपक्ष को सोचना चाहिए कि उसके बयान को कोई कैसे फायदा उठा सकता है। ऐसे वक्त में देश को एकजुट दिखना चाहिए।
बयान के मुताबिक 21 दलों ने 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना द्वारा आतंकी ठिकाने पर किए गए हमले की प्रशंसा की तथा सेना के तीनों अंगों के साहस की सराहना की। साथ ही विपक्षी दलों ने यह भी कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद सत्ताधारी दल के नेताओं ने जवानों की शहादत का जिस तरीके से राजनीतिकरण किया वह गंभीर चिंता का विषय है। राहुल ने कहा- राष्ट्रीय सुरक्षा का स्थान राजनीतिक दलों की स्वार्थसिद्धि से कहीं ऊंचा होता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में राजनीतिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता।
बयान के मुताबिक, बैठक में शामिल नेताओं ने मौजूदा सुरक्षा हालात पर गहन चिंता प्रकट करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी उस बयान का भी संज्ञान लिया जिसमें पाकिस्तान द्वारा भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के प्रयास को विफल करने का उल्लेख है। उन्होंने पाकिस्तान के इस दुस्साहस की निंदा की और वायुसेना के एक लापता पायलट की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार का आह्वान किया कि वह भारत की संप्रभुता व एकता की रक्षा के लिए उठाए जाने वाले हर कदम पर देश को विश्वास में ले।
संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में हुई इस बैठक में संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी एवं गुलाम नबी आजाद, तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू, तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा और राजद के मनोज झा शामिल हुए। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, द्रमुक के टी. शिवा, झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा, झारखंड विकास मोर्चा के अशोक कुमार, हम के जीतनराम मांझी, तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) के कोडानदरम, जेडीएस के कुंवर दानिश अली, केरल कांग्रेस (एम) के के. जोस मणि और कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी बैठक में शिरकत की।