केजरीवाल और मायावती ने EVM में गड़बड़ी पर खड़े किए सवाल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली/लखनऊ : पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हारने वाले राजनीतिक दलों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कथित छेड़छाड़ के मुद्दे पर राजनीति गतिविधियां तेज कर दी है। बुधवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और बसपा की अध्यक्ष मायावती ने अलग-अलग एक बार फिर यह मुद्दा उठाया। पंजाब के चुनाव परिणाम पर सवाल उठाते हुए केजरीवाल ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा को 30 फीसदी वोट कैसे मिल सकते हैं, जबकि सभी लोग उनसे नाराज थे। उन्होंने संदेह जताया कि कहीं ईवीएम में गड़बड़ी की वजह से आम आदमी पार्टी के 20-25 फीसदी वोट भाजपा और अकाली दल के खाते में तो नहीं चले गए, जिसके चलते पंजाब में कांग्रेस जीत गई।
दिल्ली के मुख्यमंत्री के मुताबिक वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ये सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से छेड़छाड़ को संभव माना था और ईवीएम के साथ वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) जोड़ने का निर्देश दिया था। वीवीपीएटी, ईवीएम से जुड़ा एक प्रिंटर होता है जिससे मतदान होने बाद एक पर्ची सबूत के तौर पर एक बॉक्स में जमा हो जाती है। अगर मतदान से सबंधित कोई गड़बड़ी हो जाए तब इन पर्चियों की मदद से उसका पता लगाया जाता है।
केजरीवाल ने चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों की ईवीएम से जुड़ी आशंका दूर करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है तो इससे लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। इस बार पंजाब में 32 पोलिंग बूथ पर प्रयोग के तौर पर वीवीपीएटी युक्त ईवीएम मशीनें इस्तेमाल की गई थीं। केजरीवाल ने चुनाव आयोग से इन मशीनों की पर्चियों की गिनती कराने और चुनाव परिणाम से मिलान कराने की मांग की है।
उधर, बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के संस्थापक कांशीराम की 83वीं जयंती के मौके पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ईवीएम में धांधली को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘समर्थकों ने हाथी को वोट दिया था लेकिन, सारा वोट भाजपा को चला गया। इसकी जांच तो होनी ही चाहिए।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा की बेईमानी वाली जीत प्रदेश की जनता के गले नहीं उतरेगी। उन्होंने कहा, ‘मोदी जी अभी से 2019 में जीत का सपना देख रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में उनकी जीत ईमानदारी की जीत नहीं है।’ ईवीएम में गड़बड़ी को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए मायावती ने इस मामले को अदालत में चुनौती देने और 11 अप्रैल से देशभर में भाजपा के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है।