गांधी जयंती पर अन्ना ने लिया संकल्प- दिसंबर में करेंगे सत्याग्रह
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: समाजसेवी अन्ना हजारे ने गांधी जयंती पर भ्रष्टाचार, लोकपाल समेत विभिन्न मुद्दों पर एक बार फिर आंदोलन करने का संकल्प लिया है। हजारे दिसंबर के आखिरी हफ्ते में आंदोलन की शुरुआत करेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर जनता से किए वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया है। इसमें अन्ना ने कहा कि सरकार ने देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए कुछ नहीं किया। लोकपाल बिल पर भी कोई कदम नहीं उठाए। हम बापू के दिखाए रास्ते पर दूसरा सत्याग्रह (आंदोलन) करेंगे।
अन्ना सोमवार को महात्मा गांधी की 148वीं जयंती के मौके पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने राजघाट पहुंचे थे। बता दें कि अन्ना ने यूपीए सरकार के वक्त अगस्त, 2011 में लोकपाल बिल की मांग पर दिल्ली में आंदोलन किया था। अन्ना ने कहा- हमारे कार्यकर्ता रालेगण सिद्धी आकर अगले आंदोलन की रूपरेखा पर चर्चा करेंगे। फिर तय करेंगे कि इसे कहां करना है। आंदोलन दिसंबर के आखिरी हफ्ते या नए साल में शुरू करेंगे। इस दौरान हमारे मंच पर किसी पार्टी का कार्यकर्ता या नेता मौजूद नहीं होगा। अगर किसी को आंदोलन में शामिल होने है तो आकर जनता के बीच बैठे।
तीन साल में सरकार ने नहीं किया कुछ खास
अन्ना ने प्रधानमंत्री को जो खत लिखा है उसमें भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की बेरुखी का जिक्र है। उन्होंने लिखा है- सरकार के तीन साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब तक लोकपाल और लोकायुक्त बिल को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। इसकी बजाय भ्रष्टाचार विरोधी कानून को कमजोर करने के लिए जल्दबाजी में संशोधन कर पारित कर दिया। जबकि पहले बिल में ये जरूरी था कि लोकपाल के दायरे में आने वाले सभी लोगों को अपने और परिवार की संपत्तियां घोषित करनी होगी। पिछले साल जुलाई में हुए संशोधन में परिवार वालों को इससे बाहर कर दिया गया।
सरकार की नीति पर अन्ना को शक
अन्ना ने भ्रष्टाचार की रोकथाम को लेकर सरकार के ढुलमुल रवैये पर भी सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कानून बनाने और उसे लागू करने में देरी की गई। ये इस बात की तरफ इशारा करता है कि लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट लागू करने का आपका कोई इरादा नहीं है। आप भ्रष्टाचार मुक्त भारत नहीं बनाना चाहते। मौजूदा हालात में लगता है कि देश में भ्रष्टाचार खत्म करने और कारगर लोकतंत्र के लिए एक मजबूत सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए। मैं इससे परेशान हूं। गांधी जयंती पर श्रद्धांजलि देकर उनके दिखाए रास्ते पर सत्याग्रह की शुरुआत करुंगा।
कहां हैं विदेशी काला धन?
अन्ना ने विदेशों से 30 दिन के भीतर धन वापिस लाने के वायदे की याद भी सरकार को दिलाई। आम समस्याओं को लेकर सक्रियता ना दिखाने पर भी सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा- मोदी और भाजपा ने आम आदमी से किसानों की आत्महत्या रोकने, खाद-बीज के सही दाम, महिला सुरक्षा और समाज की सभी तरह की परेशानियां दूर करने का वादा किया था। ये भी कहा था कि सरकार बनते ही 30 दिन के भीतर विदेश से कालाधन लेकर आएंगे। लेकिन आज तक लोकपाल-लोकायुक्त तैनात नहीं हुए। विदेश से कालाधन लाने की बात तो दूर, नोटबंदी के बाद भी देश में छिपा कालाधन बाहर नहीं आ पाया।
देश में किसानों की आत्महत्याओं के मामले बढ़ते जा रहे हैं। उन्हें खाद-बीज के लिए महंगी कीमत चुकानी पड़ रही है। स्वामीनाथन की रिपोर्ट पर भी सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया। महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें वो सम्मान और इंसाफ नहीं मिल रहा, जिसकी वो हकदार हैं। भ्रष्टाचार दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।
केजरीवाल से रहेगी दूरी, राजनीतिज्ञों से तौबा
अन्ना ने स्पष्ट किया है कि उनके आंदोलन में राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। कभी परम चेले रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर भी अन्ना ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि, 'आंदोलन में शामिल होने के लिए अरविंद मुझसे पूछेंगे नहीं और यदि पूछेंगे तो मैं उनसे कहूंगा कि वह मुझसे पांच कदम दूर रहें।' अन्ना हजारे ने बताया कि इस बार आंदोलन में शामिल होने वाले लोग राजनीति में नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो भी उनके साथ आंदोलन में आएगा उन्हें यह शपथपत्र देना होगा कि वे राजनीति में नहीं जाएंगे और यदि जाएंगे तो वे उन्हें कोर्ट ले जाएंगे।