जेटली ने प्रधानमंत्री को कहा- 'सयाना आदमी'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : वरिष्ठ भाजपा नेता अरूण जेटली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की और कहा कि प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत निष्ठा हमेशा संदेह से परे रही है। जेटली ने मनमोहन सिंह को 'सयाना आदमी' बताते हुए कहा कि विद्वता के साथ वह हमेशा अपने समक्ष आने वाले विषयों पर पूरी जानकारी रखते थे और तैयारी के साथ बात करते थे। मनमोहन सिंह राज्यसभा में सदन के नेता हैं और जेटली उच्च सदन में विपक्ष के नेता हैं।
जेटली ने अपने ब्लाग में लिखा, 'संप्रग सरकार को दस साल तक नेतृत्व मुहैया कराने के बाद जब कि परदा गिरने जा रहा है, प्रधानमंत्री 'गरिमा और शिष्टता के साथ विदा हो रहे हैं। वह एक वरिष्ठ राजनेता बने रहेंगे और एक विश्वसनीय व्यक्ति के रूप में राष्ट्र का मार्गदर्शन करते रहेंगे। घोटालों और जालसाजी का आरोप सामने आने के बाद यदि वे (मनमोहन सिंह) आगे बढ़ कर कोयला ब्लॉक आवंटन को निरस्त कर देते या अदालत के आदेश से पहले ही 2जी लाइसेंस को निरस्त कर देते तो मुझे कोई शक नहीं कि इतिहास उन्हें दूसरी तरह से याद रखता।'
जेटली ने कहा कि सिंह कुछ ऐसी विशेष परिस्थितियों के कारण प्रधानमंत्री बने थे जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस पद के लिए अपना नाम वापस लेने लिए मजबूर कर दिया था। उन्होंने कहा, 'वह अक्षरश: सोनिया जी द्वारा घोषित प्रधानमंत्री थे। उन्हें कुछ सीमाओं के भीतर ही काम करना पड़ा।'
जेटली ने लिखा, 'जब भी उन्होंने राष्ट्र को संबोधित किया, वह कभी भी एक नेता के रूप में सामने नहीं आए। एक नेता के रूप में सामने नहीं आने का कारण साफ था। वह कभी भी टकराव नहीं चाहते थे। उन्हें पता था कि उन्हें सीमित शक्तियां दी गई हैं और सभी महत्वपूर्ण फैसलों पर उन्हें पार्टी तथा उसके प्रथम परिवार को खुश रखना है।' जेटली ने कहा कि सिंह में दो महत्वपूर्ण गुण हैं, 'पहला, जब भी आप प्रधानमंत्री से किसी गंभीर विषय पर चर्चा करते हैं, वह एक ज्ञानी व्यक्ति के रूप में सामने आते हैं।' उन्होंने कहा कि वह ऐसे विद्वान के रूप में प्रतीत होते हैं जिन्हें हम 'सयाना आदमी' कहके बुलाते हैं। जेटली ने कहा कि सिंह के शब्द नपे तुले होते हैं और वह कोई टिप्पणी करने से पूर्व विचार करते हैं। दूसरा, उनकी निजी निष्ठा हर संदेह से परे थी।'
भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें पिछले दस सालों में प्रधानमंत्री को काफी करीब से जानने समझने का अवसर मिला। पिछले पांच सालों में विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने संसद में सिंह के हर वाक्य को सुना और उनके प्रदर्शन की समीक्षा की। जेटली ने लिखा, 'इसमें कुछ शक नहीं कि डॉ. मनमोहन सिंह एक बहुत अच्छे वित्त मंत्री थे। उन्हें 1991 में आर्थिक सुधारों की पहल करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंम्हा राव से बहुत समर्थन मिला।'
उन्होंने कहा कि राव को कभी वह श्रेय नहीं दिया गया, जिसके वह वास्तव में हकदार थे। जेटली ने कहा, 'मुझे पक्का विश्वास है कि इतिहास उनका दोबारा मूल्यांकन करेगा।' जेटली ने कहा कि उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री को सुझाव दिया था कि वह उनके संस्मरण, विशेषकर 1991 से 1996 के बीच के संस्मरणों को पढ़ना चाहेंगे। उन्होंने कहा, 'इस अवधि में बतौर वित्त मंत्री उन्होंने अपने पीछे जो छाप छोड़ी है, उसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।'
जेटली ने कहा कि जब राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के चलते सुधार प्रक्रिया को रोक दिया गया या जब राहुल गांधी ने अध्यादेश संबंधी दस्तावेजों को फाड़ दिया, तो उस समय प्रधानमंत्री एक गैर नेता के रूप में दिखे, जिन्हें हर चीज को अपने विचार का कोई बहुत अधिक महत्व नहीं रखते हुए, स्वीकार करना था। जेटली ने कहा, 'उनमें लोगों के विरुद्ध जाने की क्षमता नहीं थी, जिसने उनके कामकाज को प्रभावित किया। उनकी सुनी नहीं जाती थी। यदि वह 'पूर्व की तारीख से कर कानून' के संबंध में अपने वित्त मंत्री के फैसले को खारिज कर देते तो प्रधानमंत्री अलग से खड़े दिखाई देते।'