'अघोषित आपातकाल' शब्द का इस्तेमाल करने वालों पर बरसे जेटली, कहा- आत्ममंथन करें
सत्ता विमर्श डेस्क
नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ जो लोग ‘अघोषित आपातकाल’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें आपातकाल के दौरान अपनी भूमिका के बारे में आत्ममंथन करना चाहिए।
आपातकाल के 42 साल शीर्षक से लिखे एक लेख में जेटली ने कहा, ‘देश में किसी भी सरकार की आलोचना के लिए अघोषित आपातकाल शब्द के इस्तेमाल की परंपरा बन गई है। जो लोग इस तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं, वे या तो आपातकाल का समर्थन कर रहे थे या आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लापता थे।’
जेटली ने कहा कि आपातकाल ने एक व्यक्तिगत तानाशाही को स्थापित किया था और समाज में भय का वातावरण पैदा किया था। तमाम संस्थान ध्वस्त हो गए थे। आपातकाल 25 जून, 1975 को घोषित किया गया था। सरकार ने इसके लिए लोक व्यवस्था को खतरे का कारण बताया था, लेकिन जाहिर तौर पर यह सही कारण नहीं था।
जेटली ने लिखा, वास्तविक कारण था कि इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर पद से बेदखल कर दिया था और सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर एक सशर्त स्थगन दिया था। लेकिन वह सत्ता में बनी रहना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने आपातकाल लागू किया।
जेटली कांग्रेस द्वारा की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कहा गया कि एनडीए सरकार के दौरान एक अघोषित आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी तानाशाही पर उतर आए हैं। देश और समाज में भय का वातावरण पैदा किया जा रहा है। भाजपा शासित राज्यों में आंदोलनों को बल प्रयोग कर दबाया जा रहा है।