पांच राज्यों के चुनावों में नहीं चला मोदी का जादू; भाजपा के मजबूत किलों पर कांग्रेस का कब्जा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइल माने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का जादू नहीं चला। भाजपा का मजबूत गढ़ कहे जाने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया है। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान लगातार 15 साल से मुख्यमंत्री थे और भाजपा सत्ता में थी। राजस्थान में भी वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। इन तीनों ही राज्यों में सत्ता से बेदखल होने से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की केंद्र सरकार को जोर का झटका लग सकता है। तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव ने टीआरएस को पहले से और मजबूती के साथ सत्ता को बरकरार रखने में कामयाब हुए है। जहां तक मिजोरम की बात है तो यहां कांग्रेस पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। मिजोरम में एमएनएफ को सरकार बनाने के लिए बहुमत मिल गया है। इस प्रकार से उत्तर पूर्व भारत में कांग्रेस का अंतिम किला भी ध्वस्त हो गया।
मध्यप्रदेश में बहुमत से 2 अंक दूर, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस
भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर देखने को मिली। कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 सीटों पर जीत मिली है। फिलहाल शिवराज सिंह चौहान ने इस्तीफा दे दिया है और कांग्रेस यहां सरकार बनाती दिख रही है। बीएसपी और एसपी ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश में बसपा के दो विधायक जीते हैं और वहां सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को 2 विधायक की ही जरूरत है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को अपना समर्थन देने की पेशकश कर दी है। उधर, राज्य के राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि भाजपा की सीटें घटने का कारण केंद्र सरकार की नीतियों से जनता की नाराजगी है। साथ ही यह माना जा रहा है कि कांग्रेस के मुकाबले में भाजपा को लगभग बराबरी पर लाने में शिवराज सिंह चौहान की बड़ी भूमिका रही है। इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को सौंप दिया। चौहान ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, आई एम नाउ फ्री (मै अब आजाद हूं)। राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राज्य में कार्यकर्ताओं ने परिश्रम किया है, मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहा लेकिन अंक बल में पीछे हैं, भाजपा सरकार बनाने का दावा नहीं करेगी। कमलनाथ को बधाई।
सीटों की कुल संख्या- 230
बहुमत का जादुई आंकड़ा- 116
इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस)- 114
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) - 109
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) - 02
समाजवादी पार्टी (सपा)- 01
निर्दलीय - 04
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भाजपा पर जबरदस्त जीत, रमन ने मानी हार
रायपुर : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने पिछले 15 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा को करारी शिकस्त दी है। कांग्रेस यहां कुल 90 सीटों में से 68 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। उधर, भाजपा सिर्फ 15 सीटों पर सिमट गई है। इसके साथ ही अब तक सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। रमन ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए उम्मीद जताई है कि कांग्रेस अपने वादे को पूरा करेगी। कांग्रेस को यहां मिली बड़ी जीत के जीत के पीछे टीम जोगी का भी हाथ बताया जा रहा है। पहली बार बीएसपी और सीपीआई के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करके अजीत जोगी की पार्टी ने चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। हालांकि उनके किंगमेकर बनने का सपना कांग्रेस की लहर के साथ ही दफन हो गया। दरअसल, अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और बीएसपी ने मिलकर यहां 7 सीटें जीती हैं लेकिन चुनाव परिणाम से पहले जैसी चर्चा थी कि यह गठबंधन कांग्रेस के वोट शेयर कम कर सकता है, इससे उलट इसने भाजपा को ही चोट पहुंचाई। चुनाव परिणामों को लेकर मीडिया को अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए रमन सिंह ने कहा, 'मैं विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं क्योंकि यह चुनाव मेरे नेतृत्व में लड़ा गया था। उम्मीद है कि चुनाव में जनता से किए गए वादे कांग्रेस निभाएगी।' रमन ने कांग्रेस को जीत की बधाई देते हुए कहा, 'राज्य में हम एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएंगे और प्रदेश के विकास के लिए कार्य करेंगे। कांग्रेस को जीत की बधाई। हमारी ओर से चुनाव के दौरान कहां कमी रह गई इस पर आगे देखेंगे।' हालांकि रमन ने इसे केंद्र सरकार के कामकाज पर जनमत संग्रह मानने से इनकार कर दिया। रमन ने इस दौरान बताया कि उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
सीटों की कुल संख्या- 90
बहुमत का जादुई आंकड़ा- 46
इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस)- 68
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) - 15
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) - 02
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)- 05
राजस्थान में भी भाजपा को पछाड़ बहुमत के करीब पहुंची कांग्रेस
जयपुर : पिछले विधानसभा चुनाव में 200 में से केवल 21 सीट पर सिमट जाने वाली कांग्रेस ताजा चुनाव नतीजे आने के बाद राजस्थान में पूर्ण बहूमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। पिछली बार 163 सीटें जीतने वाली सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा को इस बार लगभग 90 सीटों के नुकसान के साथ 73 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस को 99 सीटें मिली। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के वोट प्रतिशत में एक फीसदी से भी कम का अंतर रहा है। अंतिम परिणाम के अनुसार कांग्रेस को इस बार के विधानसभा चुनाव में 39.3 प्रतिशत वोट मिले है जबकि कांग्रेस के खाते में 38.8 परसेंट वोट आए हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंगलवार को विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद इस्तीफा दे दिया। राजे शाम को राज्यपाल कल्याण सिंह से मिलीं और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस को जीत की बधाई दी। राजे ने कहा कि उनकी सरकार ने इन पांच सालों में विकास के कई कार्य किए हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि राज्य की आने वाली सरकार इन कामों को आगे ले जाने का काम करेगी। राजे ने कहा, मैं पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने इस चुनाव में कड़ी मेहनत की। साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व पदाधिकारियों को इस चुनाव में अपना मार्गदर्शन देने के लिए धन्यवाद दिया। यह पूछे जाने पर कि हार के क्या कारण रहे, राजे ने कहा- अब तो हो गया, इस पर बाद में बात करेंगे।
सीटों की कुल संख्या- 200
चुनाव हुए सीटों की संख्या- 199
बहुमत का जादुई आंकड़ा- 100
इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस)- 99
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) - 73
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) - 06
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) 03)
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा)- 02
भारतीय ट्राइबल पार्टी (भाटपा)- 02
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद)- 01
निर्दलीय - 13
तेलंगाना में टीआरएस ने पिछली जीत का तोड़ा रिकॉर्ड
हैदराबाद : तेलगांना के गौरव और प्रतिष्ठा के नाम पर तथा कल्याणकारी योजनाओं के बल पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को जबरदस्त जीत दिलाई है। यहां प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। सभी चुनाव-पूर्व सर्वेक्षण और एक्जिट पोल के अनुमानों से भी कहीं आगे जाकर टीआएस को यहां 88 सीटों पर और कांग्रेस को 19 सीटों पर जीत मिली है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां केवल एक सीट पर कब्जा जमाया है। पिछली बार उसके पांच विधायक थे। राज्य में जल्द चुनाव कराने का जुआ खेलने वाले राव को इस निर्णय से जबरदस्त फायदा मिला है। ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस नीत पीपुल्स फ्रंट टीआरएस को जोरदार टक्कर देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस शानदार जीत से उत्साहित मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि वह नए आर्थिक मॉडल के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा और कांग्रेस का विकल्प बनने के लिए कार्य करेंगे। लोगों के बीच केसीआर के नाम से लोकप्रिय राव ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि वह भारतीय राजनीति में गुणात्मक बदलाव लाएंगे। उन्होंने कहा, आप जल्द ही इसकी शुरुआत देखेंगे। कांग्रेस की छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान में जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए केसीआर ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि वहां भाजपा के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, देश को इस बंधे-बंधाए दस्तूर से बाहर आने की जरूरत है। उन्हें भरोसा है कि तेलंगाना पूरे देश को रास्ता दिखाएगा। केसीआर ने दोहराया कि उनका प्रस्तावित मोर्चा राजनीतिक दलों का संगठन नहीं होगा। हम भारत के लोगों व राजनीति को एकजुट करने जा रहे हैं। गैर भाजपा दलों को एक साथ लाने के प्रयास के प्रत्यक्ष संदर्भ में उन्होंने कहा, कुछ ऐसी ताकतें हैं, जो गंदी राजनीति कर रही हैं। चार पार्टियां साथ आ रही हैं और ड्रामा कर रही हैं।
सीटों की कुल संख्या- 119
बहुमत का जादुई आंकड़ा- 60
तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस)- 88
इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस)- 19
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल मुसलमीन- 07
तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी)- 02
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) - 01
ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक - 01
निर्दलीय - 01
मिजोरम में एमएनएफ को बहुमत, कांग्रेस की बुरी हार
आइजोल : मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा में 26 सीटें जीतकर मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने मंगलवार को एक दशक बाद यहां सत्ता में वापसी की है। इसके साथ ही कांग्रेस पूर्वोत्तर में अपना अंतिम गढ़ भी हार गई। साल 2013 विधानसभा चुनाव में एमएनएफ को केवल पांच सीटें प्राप्त हुई थीं, जबकि कांग्रेस ने यहां 34 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी। इस बार सत्तारूढ़ कांग्रेस यहां केवल पांच सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी है। भाजपा ने यहां तुइचावंग सीट पर जीत दर्ज कर राज्य में अपना खाता खोला है। छह स्थानीय दलों के एक फोरम और एनजीओ से पार्टी बने 'द पीपुल्स रिप्रजेंटेशन फॉर आइडेंटिटी एंड स्टेट्स ऑफ मिजोरम (प्रिज्म)' के संगठन जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेपीएम) ने इस चुनाव में आठ सीटों पर जीत दर्ज की है। जेपीएम के उम्मीदवारों ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने यहां 2008 और 2013 के चुनावों में सत्ता हासिल की थी। मुख्यमंत्री लल थनहावला को चंपई दक्षिण और सेरछिप दोनों विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें यहां क्रमश: एमएनएफ के टीजे लालनुन्टुआंगा और जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के अध्यक्ष लालदुहोमा से हार का सामना करना पड़ा। एमएनएफ प्रमुख और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार जोरामथांगा आइजोल पूर्व-1 से पांचवी बार चुने गए हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी और जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) प्रमुख लालदुहोमा ने दो वर्ष पहले जेपीएम का गठन करने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। बीजेपी नीत नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक गठबंधन (एनईडीए) के घटक दल रहे एमएनएफ पहले भी 10 वर्षों (1998-2003 और 2003-2008) तक मिजोरम में राज कर चुकी है।
कुल सीटों की संख्या- 40
बहुमत का जादुई आंकड़ा- 21
मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ)- 26
इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस)- 05
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) - 01
निर्दलीय - 08