आडवाणी, जोशी समेत 12 पर चलेगा आपराधिक साजिश का मुकदमा, कांग्रेस ने उमा भारती से मांगा इस्तीफा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
लखनऊ/नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती पर बहुप्रतिक्षित फैसला आ गया। बाबरी विध्वंस को लेकर 12 लोगों पर आपराधिक साजिश का आरोप तय हो गया है। अयोध्या विवादित ढांचा मामले में मंगलवार (30 मई) को भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 12 आरोपियों के खिलाफ विशेष सीबीआई कोर्ट ने 120बी के तहत आरोप तय कर दिए। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी आरोपियों द्वारा दायर की गई डिस्चार्ज एप्लिकेशन को खारिज कर दिया। कोर्ट के फैसले के साथ ही राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी तेज हो गया है। कांग्रेस ने केन्द्रीय मंत्री उमा भारती का इस्तीफा मांगा है।
इससे पहले कोर्ट ने सभी आरोपियों को जमानत दे दी थी। कोर्ट सभी आरोपियों को 20-20 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दी है। अभी इस मामले में सुनवाई जारी है। डिसचार्ज एप्लिकेश बचाव पक्ष की ओर से दी गई। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। डिसर्चाज एप्लिकेशन यदि कोर्ट द्वारा स्वीकार कर ली जाती तो इन आरोपियों पर आरोप तय नहीं होते और मुकदमा बंद हो जाता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ कोर्ट ने डिसचार्ज एप्लिकेशन रिजेक्ट कर दी। मामले में सुनवाई जारी है।
इस बीच राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी शुरु हो गया है। अपने विवादित बयानों के लिए चर्चित भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि धरती की कोई ताकत अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण नहीं रोक सकती। सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई के लिए आये साक्षी महाराज ने कहा- मैंने कोई अपराध नहीं किया है .. मैंने कुछ गलत नहीं किया है .. वस्तुत: मैं सौभाग्यशाली हूं .. धरती की कोई ताकत अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण को नहीं रोक पाएगी।' उन्होंने कहा,‘अब इस बारे में और बहस नहीं होनी चाहिए क्योंकि जिन्होंने राम मंदिर का विरोध किया था, आज वे ही राम भक्त हो गये हैं .. मुसलमान खुद इसके लिए आगे आ रहे हैं।’ साक्षी महाराज ने कहा कि बाबर विदेशी था और उसका भारत से कोई लेना देना नहीं था। मीडिया को भी बार बार इसे ‘बाबरी’ नहीं कहना चाहिए। यह ‘राम जन्मभूमि’ है।
उधर महंत राम विलास वेदान्ती ने कहा कि अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने वालों में वह भी शामिल थे। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की इसमें कोई भूमिका नहीं है। अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले की सुनवाई के सिलसिले में सीबीआई की विशेष अदालत में पेश होने आये वेदांती ने कहा, ‘अयोध्या में विवादित ढांचे की मीनार गिराने वालों में मैं भी शामिल था।’ उन्होंने कहा, ‘‘आडवाणी और जोशी निर्दोष हैं’ वेदांती ने कहा कि वह अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।
'इस्तीफा दें उमा'
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, 'आरोपियों में से एक उमा भारती केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं। आरोपपत्र में नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे आना चाहिए और कानून व संविधान के शासन का समर्थन करना चाहिए।' उन्होंने कहा- जो भी दोषी हैं उन्हें देश के कानून के अनुसार बिना डर या पक्ष के सजा मिलनी चाहिए।
बचाव की मुद्रा में भाजपा
वहीं रिवायतन भाजपा अपने दिग्गजों के बचाव में उतर आई है। केन्द्रीय मंत्री और पार्टी प्रवक्ता वेंकैया नायडू ने पार्टी की राय साझा की। कांग्रेस के आरोपों को नायडू ने सिरे से खारिज किया। उन्होंने विश्वास जताया कि आरोपों का सामना कर रहे भाजपा नेता 'निर्दोष' हैं और वे 'बेदाग' निकलेंगे। नायडू ने यह भी जिक्र किया कि राजग सरकार ने भाजपा के शीर्ष नेताओं के खिलाफ मामले को वापस लेने के लिए कदम नहीं उठाया।
इससे पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सीबीआई की विशेष अदालत में पेश होने के लिए यहां पहुंचे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीवीआईपी गेस्ट हाउस में आडवाणी से मुलाकात की।
इन नेताओं पर चलेगा केस
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया, रामविलास वेदांती, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय बंसल और बैकुंठलाल शर्मा प्रेम पर केस चलेगा।
इन सभी नेताओं पर विवादित ढांचा गिराने की साजिश करने, दो धर्मों के लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करने, धार्मिक भावनाएं भड़काने, राष्ट्रीय एकता को तोड़ने के आरोप हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को निर्देश दिया था कि आडवाणी, जोशी और उमा के अलावा बाकी सभी आरोपियों पर बाबरी ढांचा ढहाये जाने के मामले में आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा चलेगा। न्यायालय ने मामले की सुनवाई रोजाना कराने और दो साल में सुनवाई समाप्त करने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने साल 2001 में तीनों नेताओं को बाबरी मामले में साजिश रचने के आरोपों से बरी कर दिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साल 2010 में मामले की सुनवाई के दौरान आरोपों को बरकरार रखा। इस साल अप्रैल में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि भाजपा, शिवसेना तथा विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं को बाबरी मस्जिद को गिराने की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। सीबीआई ने भी आरोपों को बरकरार रखने पर जोर दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने लखनऊ की विशेष अदालत को मामले की रोजाना स्तर पर सुनवाई करने, एक महीने के भीतर ताजा आरोप तय करने तथा दो साल के भीतर मामले का निपटारा करने को कहा था। इस सप्ताह की शुरुआत में पांच आरोपियों ने अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया, जबकि शिवसेना के नेता ने बुधवार (24 मई) को समर्पण किया, जिसके बाद सभी को जमानत दे दी गई।