लोकपाल पैनल के चयन पर पीएम से उलझीं सुषमा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : भ्रष्टाचार निरोधक लोकपाल के चयन के लिए बनने वाली समिति में पांचवें सदस्य पीपी राव होंगे। यह तय हो चुका है। हालांकि उनके चयन से पहले सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री के बीच तीखी बहस भी हुई थी। सोमवार शाम एक बैठक में भाजपा ने लिखित में अपना विरोध दर्ज कराया। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील पीपी राव की लोकपाल चयन पैनल में नियुक्ति पर आपत्ति उठाई। सूत्रों की मानें तो भाजपा इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति के पास भी जा सकती है। राव के नाम का प्रस्ताव खुद पीएम मनमोहन सिंह ने किया है। सुषमा स्वराज चाहती हैं कि पैनल के पांचवें सदस्य की नियुक्ति आम सहमति से होनी चाहिए और इस उद्देश्य से राष्ट्रपति प्रणब मुखजी से हस्तक्षेप के लिए सुषमा ने उनसे मुलाकात का समय मांगा है।
दरअसल, राव के अलावा इस समिति में पहले से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश और जस्टिस एचएल दत्तु के नाम शामिल थे। समिति में पांचवें सदस्य के तौर पर किसी प्रसिद्ध और साफ छवि के कानूनविद् को जगह दी जानी थी। प्रधानमंत्री की तरफ से पांचवें सदस्य के लिए पीपी राव का नाम सामने रखा गया, जिसका सुषमा स्वराज ने जमकर विरोध किया। स्वराज का कहना था कि राव कांग्रेस के वफादार हैं इसलिए उन्हें यह जगह नहीं मिलनी चाहिए। सुषमा की तरफ से पूर्व एटॉर्नी जनरल के पाराशरन, पूर्व सोलीसिटर जनरल हरीश साल्वे, मशहूर विधिवेत्ता फाली नारिमन के नाम सुझाए।
उल्लेखनीय है कि पहले सीबीआई निदेशक के नाम पर भी भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ चुके हैं। भाजपा ने साफ किया है कि राव की नियुक्ति का वह विरोध करेगी। बैठक में भाजपा नेता व लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने राव के नाम का विरोध किया। हालांकि उनका मत 3-1 से गिर गया। पीएम, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और जस्टिस एचएल दत्तू ने राव के पक्ष में वोट दिया। जस्टिस दत्तू ने चीफ जस्टिस पी सदाशिवम का प्रतिनिधित्व किया।