मोदी पर पीएम के बयान से भाजपा हुई आग बबूला
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विवादित बयान से भाजपा आग बबूला हो गई है। हो भी क्यों ने जब कोई उसके सबसे बड़े व लोकप्रिय नेता को देश के लिए विनाशकारी कह दे। भाजपा ने कहा है कि पीएम की शब्दावली उनके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। पार्टी ने यह भी कहा है कि खुद पीएम ने मान लिया है कि उनका कार्यकाल विफलताओं से भरा रहा है। पीएम को विदाई की घोषणा करने वाली इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आत्मनिरीक्षण करना चाहिए था।
शुक्रवार को भाजपा पीएम के इस बयान पर टिप्पणी कर रही थी कि गुजरात में नरसंहार कराने वाले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना देश के लिए विध्वंसकारी होगा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि क्या प्रधानमंत्री ऐसा ही पैमाना राजीव गांधी के लिए भी रखते हैं जिनके राज में 1984 में सिख विरोधी दंगे हुए। यह नरसंहार तो गुजरात दंगा से भी बड़ा था। इसके लिए तो आज तक किसी को सजा भी नहीं हो पाई है।
जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते रहे हैं कि उनके कार्यकाल के बारे में इतिहास लिखेगा और वक्त बताएगा। लेकिन, उनको याद रखना चाहिए कि वक्त नहीं जल्द ही यह सब मतदाता बताएंगे। उन्होंने कहा कि पीएम ने शायद यह कॉन्फ्रेंस अपनी विदाई के बारे में की थी। भाजपा उन्हें शुभकामना देती है, लेकिन खुद पीएम ही मान चुके हैं कि वह अर्थव्यवस्था के तीन अहम बिंदुओं महंगाई, करप्शन और बेरोजगारी पर काबू पाने में नाकाम रहे हैं।
जेटली ने पीएम के तर्कों को कुतर्क बताते हुए उनके सवालों के बेहद कड़े अंदाज में जवाब भी दिए। उन्होंने कहा कि पीएम का तर्क है कि भ्रष्टाचार के आरोप यूपीए-1 की सरकार के दौरान के हैं और उसके बाद वे 2009 का चुनाव जीत चुके हैं। जवाब में जेटली ने कहा कि ऐसा किस कानून में लिखा है कि चुनाव जीतने से आरोप रद्द हो जाते हैं। यदि ऐसा होता तो अपराधिक मामलों के अभियुक्तों के चुनाव जीतने पर जनता में नाराजगी नहीं होती।
जेटली ने कहा कि यदि पीएम का यह तर्क अपने लिए है तो फिर नरेन्द्र मोदी पर जो आरोप लगे थे, उसके बाद में तो वह एक नहीं तीन-तीन बार चुनाव जीतकर सरकार बना चुके हैं। वैसे भी यदि 2009 के चुनाव में जीत से पीएम को लगता है कि तब के चुनावी नतीजों से वह भ्रष्टाचार के आरोपों से दोषमुक्त हो चुके हैं तो फिर क्या 2013 के नतीजे उनकी विफलता पर मुहर नहीं लगाते? साफ है कि पीएम अलग-अलग पैमाने अपना रहे हैं। मोदी एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्हें एक साथ कई स्तरों पर न्यायिक, पुलिस और अन्य जांचों से गुजरना पड़ा है।
जेटली के मुताबिक पीएम का तर्क है कि महंगाई से उपभोक्ता का नुकसान हुआ है, लेकिन उत्पादकों को फायदा हुआ है। यदि ऐसा होता तो देश के कई हिस्सों में किसान आत्महत्या नहीं करते। डॉ. मनमोहन सिंह को 10 साल का वक्त मिला था। यदि वह चाहते तो समाज को दिशा दे सकते थे, लेकिन उन्होंने मौका गंवा दिया। जेटली ने कहा कि भाजपा यूपीए सरकार की नॉन परफॉर्मेंस को चुनावी मुद्दा बनाएगी। पीएम की बातों से यह भी लगता है कि उन्हें भ्रष्टाचार पर कोई अफसोस नहीं है।
भाजपा के दो बड़े मुख्यमंत्री रमन सिंह और शिवराज सिंह चौहान भी मोदी के समर्थन में उतर आए। प्रधानमंत्री की नरेन्द्र मोदी पर टिप्पणी करने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी देश के लिए नहीं बल्कि कांग्रेस के लिए खतरनाक हैं। रमन सिंह ने प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार पर दिए बयान के बारे में कहा, 'जनता यूपीए के 10 वर्षों के शासन से तंग आ चुकी है। अब भ्रष्टाचार के मुद्दों पर खेद जताने की कोई जरुरत नहीं है।' उन्होंने कहा, 'जनता इस आम चुनाव में कांग्रेस सबक सिखाएगी, तब वे खेद जताएंगे।' अक्सर नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर प्रोजेक्ट किए जाने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मोदी के समर्थन में प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। चौहान ने ट्विटर पर कहा कि प्रधानमंत्री ऐसे बयानों से बस अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।