हालात प्रतिकूल, लंबा खिंच सकता है डोकलाम में चीन से गतिरोध
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : डोकलाम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच पिछले लगभग दो महीने से जारी गतिरोध से बनी ‘नो वार नो पीस’ की स्थिति में दोनों पक्षों के अपने-अपने रूख पर अड़े रहने से निकट भविष्य में शांति की कोई संभावना नहीं दिख रही है। सिक्किम से लगते भूटान और चीन के ट्राइजंक्शन क्षेत्र डोकलाम में चीन की सड़क बनाने की कोशिशों को भारत द्वारा विफल किये जाने से उत्पन्न गतिरोध ने दोनों देशों के बीच अपेक्षाकृत शांत माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है। सीमा पर भले ही लड़ाई की कोई हलचल न दिखाई दे रही हो लेकिन दोनों ओर से किसी भी स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी की बात कही जा रही है।
भारत-चीन संबंध के जानकारों का कहना है कि चीन और भारत के अपने-अपने रूख पर अड़े रहने के चलते गतिरोध फिलहाल दूर होने की संभावना नहीं दिखाई देती और यह कुछ लंबा खिंच सकता है। उनका कहना है कि चीन बातचीत के बजाय इस मुद्दे को गीदड़ भभकी से सुलझाने के लिए रोज नये-नये पैंतरे अपना रहा है।
चीनी अपेक्षा के विपरीत शुरू से ही आक्रामक रूख अपनाये जाने के बावजूद भारत इस विवाद का बातचीत के जरिये समाधान चाहता है और इसके लिए वह किसी भी मौके को नहीं छोड़ रहा है। रोचक बात यह है कि इस बार घटनाक्रम बदला हुआ है और बार-बार भारतीय सीमाओं का अतिक्रमण करने वाला चीन इस बार उल्टे भारत पर उसकी सीमा का अतिक्रमण करने का आरोप लगा रहा है।
भारत ट्राइजंक्शन क्षेत्र से जुडे विवादों का समाधान संबंधित समझौतों के आधार पर करना चाहता है इसलिए वह इसी के अनुरूप गत 16 जून से पहले की स्थिति बनाये रखने पर जोर दे रहा है। चीनी सैनिकों ने 16 जून को डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की थी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत का रूख स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस समस्या का समाधान युद्ध नहीं है और बातचीत से ही हल निकाला जा सकता है।
अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों ने भी दोनों देशों से इस मुद्दे का बातचीत के जरिये हल करने को कहा है। भूटान द्वारा डोकलाम को उसकी जमीन बताये जाने और जापान द्वारा इस मुद्दे पर भारत के रूख का खुलकर समर्थन करने से भी भारतीय पक्ष को बल मिला है। उधर, चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि बातचीत की किसी भी पहल से पहले भारत अपने सैनिकों को डोकलाम क्षेत्र से पीछे हटाये।
चीन भारतीय सैनिकों पर उसके क्षेत्र के अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश में है। इस दबाव का असर न होते देख वह कभी सीधे, तो कभी मीडिया के जरिये या फिर अन्य माध्यमों से तकरीबन रोज नई धमकी दे रहा है। चीन के साथ लगती सीमा पर कुल 12 जगहों पर विवाद है जिनमें हर जगह चीन का अलग-अलग रूख देखने को मिलता है। यदि एक जगह पर उसका व्यवहार मैत्रीपूर्ण है तो दूसरी जगह उसके व्यवहार में उग्रता दिखाई देती है।