बुआ-भतीजे की भेंट क्या हुई, सरकार की जांच एजेंसिया हुईं एक्टिव, खनन घोटाले में छापेमारी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
लखनऊ : लोकसभा चुनाव-2019 में होने वाले महागठबंधन को लेकर दिल्ली में शुक्रवार को हुई बुआ-भतीजे (माया-अखिलेश) की मुलाकात के अगले ही दिन अवैध खनन को लेकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश में पड़े पैमाने पर सीबीआई की छापेमारी ने उत्तर प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है।
जांचों का यह दबाव महागठबंधन में गांठें डालेगा या उसे और मजबूत बनाएगा, इसको लेकर बहस छिड़ गई है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश की सरकार में हुए घोटालों और जांचों की फेहरिस्त लंबी है। इन जांचों की आंच दोनों दलों के कई प्रमुख नेताओं तक पहुंच रही है। माना जा रहा है कि चुनावों से पहले केंद्र और राज्य सरकार भ्रष्टाचार की इन जांचों के सहारे महागठबंधन को घेरने की पूरी कोशिश करेगी।
खनन घोटाले में छापेमारी के दौरान सीबीआई ने काफी चीजें बरामद की हैं। आईएएस बी चंद्रकला के लखनऊ स्थित फ्लैट से जहां लॉकर और कई दस्तावेज बरामद किए, वहीं हमीरपुर के खनन विभाग में क्लर्क रहे राम अवतार के घर से दो करोड़ रुपये कैश बरामद किए हैं। जब चंद्रकला हमीरपुर में डीएम थीं, उस दौरान राम अवतार हमीरपुर के माइनिंग डिपार्टमेंट में क्लर्क था। सीबीआई ने अपनी जांच में कहा है कि हमीरपुर की डीएम रहते आईएएस बी. चंद्रकला ने दस अन्य लोगों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचते हुए अवैध खनन होने दिया।
कुछ अन्य मामले भी बनेंगे मुसीबत
एनआरएचएम घोटाला : माया सरकार के कार्यकाल में हुए हजारों करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई बीएसपी प्रमुख मायावती तक से 2 अक्टूबर 2015 को दिल्ली स्थित आवास जाकर दो घंटे तक पूछताछ की थी। इस मामले में माया सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और आईएएस प्रदीप शुक्ला समेत कई बड़ों को जेल जाना पड़ा। अभी भी इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी कर रही हैं।
यूपीपीएससी भर्ती घोटाला : एसपी सरकार के कार्यकाल में हुई इन भर्तियों की जांच भी सीबीआई कर रही है। जांच में एसपी नेतृत्व के करीबी अनिल यादव पर शिकंजा कसा जा रहा है। हालांकि कुछ समय पहले जांच से जुड़े एसपी राजीव रंजन का तबादला होने से इसकी रफ्तार थम गई है, लेकिन चुनावों से पहले इसके फिर से तेजी पकड़ने के आसार हैं।
रिवर फ्रंट घोटाला : अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल में हुए इस निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। सुस्त रफ्तार से चल रही इस जांच के भी तेजी पकड़ने की उम्मीद है। ईडी भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत जांच कर रही है। इसमें तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव के कई करीबियों और निर्माण करने वाली एजेंसियों के मालिकों से पूछताछ हो चुकी है।
यादव सिंह घोटाला : यादव सिंह द्वारा किए गए घोटाले में एसपी और बीएसपी दोनों के बड़े नेताओं की गर्दन फंस रही है। मामले में पूर्व सीएम मायावती के भाई आनंद और उनकी पत्नी सीबीआई के निशाने पर हैं। साथ ही एसपी के नेता प्रोफेसर राम गोपाल यादव के बेटे-बहू पर भी सीबीआई जांच का शिकंजा कस सकता है। सपा सरकार इस मामले की सीबीआई जांच को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गई थी।
जवाहर बाग कांड : मथुरा में हुए इस कांड की जांच भी सीबीआई कर रही है। अवैध कब्जे वालों के हमले में मथुरा के तत्कालीन एएसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एक एसएचओ की मौत हो गई थी। इस मामले में मुलायम परिवार के दो बड़े नेताओं की भूमिका पर सवाल उठे थे। तय है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, उसकी आंच इन बड़ों तक भी पहुंचेगी।
स्मारक घोटाला : माया सरकार में स्मारकों के निर्माण में हुए अरबों के घोटाले की विजिलेंस और ईडी जांच कर रहे हैं। इन मुकदमों में फंसे माया सरकार के दोनों पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी बागी हो चुके हैं। अगर जांच की आंच उन तक पहुंचेगी तो वे पूर्व सीएम मायावती के लिए भी परेशानियां खड़ी कर सकती हैं।
बीते दो जनवरी को सीबीआई के डिप्टी एसपी केपी शर्मा की ओर से दर्ज मुकदमे में बी चंद्रकला सहित 11 आरोपियों को आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने की बात कही गई है। इसमें सपा और बसपा के दो नेता सहित कई बाबू और दलाल भी शामिल हैं। सूत्र बता रहे हैं कि 2012 से 2016 के बीच हुए इस घोटाले का पूरा सच जानने के लिए सीबीआई अब पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी पूछताछ कर सकती है। वजह कि वर्ष 2012 से 2013 के बीच अखिलेश यादव ने खनन महकमा अपने पास रखा था। बाद में उन्होंने गायत्री प्रसाद प्रजापति को खनन मंत्री बनाया था.
सीबीआई जांच में तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की डायरी का हिसाब कई दिग्गजों पर भारी पड़ सकता है। सीबीआई को गायत्री से जुड़ी एक डायरी के बारे में जानकारी मिली थी, जिसमें उसने कई बड़ों के साथ हुए लेन-देन का पूरा हिसाब रखा हुआ था। अवैध खनन की जांच के दौरान उनकी यह डायरी चर्चा का विषय बनी हुई थी।
वक्फ बोर्ड, चीनी मिल घोटाला : वक्फ बोर्ड घोटाला, चीनी मिल घोटाला की भी सीबीआई जांच की सिफारिश हो चुकी है। हालांकि सीबीआई ने इन दोनों ही मामलों में अभी तक केस दर्ज नहीं किया है। वक्फ बोर्ड घोटाले की जांच एसपी के कद्दावर नेता आजम खां तक पहुंच सकती है। यूपी में एसआईटी भी आजम खां से जुड़े दो मामलों की जांच कर रही है। इसमें एक मामला एसपी सरकार में हुई जल निगम की भर्तियों से जुड़ा है। दूसरा उनकी जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है।