केंद्र ने SC से कहा; निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है, लेकिन सशर्त
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को देश की शीर्ष अदालत से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है, लेकिन यह सशर्त है। महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर के नेतृत्व वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ से कहा, निजता मौलिक अधिकार है, लेकिन यह निर्बाध नहीं है, यह सशर्त है, क्योंकि निजता के अधिकार में विभिन्न पहलू शामिल होते हैं और इसके प्रत्येक पहलू को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में दावा किया है कि बायोमीट्रिक जानकारी का संग्रहण और उसे साझा करना, जो कि आधार योजना के तहत जरूरी है, निजता के मूलभूत अधिकार का हनन है। केंद्र ने 19 जुलाई को शीर्ष अदालत में कहा था कि निजता का अधिकार मूलभूत अधिकारों की श्रेणी में नहीं आ सकता क्योंकि वृहद पीठों के बाध्यकारी फैसलों के अनुसार, यह एक आम कानूनी अधिकार है। आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया था।