सड़क से संसद तक धर्मांतरण पर कोहराम
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : धर्मांतरण मुद्दे पर सड़क से संसद तक मचा कोहराम थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर नेताओं के बयानबाजी का दौर अभी भी जारी है। धर्मांतरण के मुद्दे पर एक तरफ जहां सरकार और संघ है तो वहीं दूसरी तरफ पूरा विपक्ष। संघ और सरकार के इन बयानों का विपक्ष ने सख्त विरोध किया है।
जनता परिवार ने सोमवार को जंतर-मंतर पर धरना देकर सियासी पारे को बढ़ा दिया। लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और मुलायम सिंह यादव ने मिलकर भाजपा को आड़े हाथों लिया और धर्मांतरण को लेकर पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। लालू प्रसाद यादव ने धर्मांतरण पर सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि देश से मुसलमानों को हटाने की बात की जा रही है। कौन माई का लाल है जो मुस्लिमों को देश से बाहर कर देगा? यह देश को बांटने की कोशिश है।
इससे पहले दिल्ली में एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने फिर से धर्मांतरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अभाव और असुविधा को आधार बनाकर धर्मांतरण करवाना गलत है। ये बात उन्होंने दिल्ली में संघ से जुड़े एक संगठन के कार्यक्रम में कही। संघ प्रमुख ने कहा कि अभाव में रहने वाले लोगों का धर्म परिवर्तन कराना बहुत गलत है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में आगरा के एक गांव में लालच देकर 20 महिलाओं को ईसाई बनाया गया है।
दूसरी ओर संसद में चल रहे हंगामे के बीच सोमवार को धर्म परिवर्तन के सवाल पर वेंकैया नायडू ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा है कि भाजपा का 'धर्मांतरण' या 'घर वापसी' जैसा कोई एजेंडा नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने भी यह कहा कि स्वेच्छा से किया गया धर्मांतरण ठीक है, लेकिन अगर ये जबरन होता है तो गलत है। विपक्ष मांग कर रहा है कि इस मुद्दे पर संसद में नरेंद्र मोदी बयान दें।
दूसरी ओर संघ के बाद विश्व हिंदू परिषद ने भी धर्मयुद्ध छेड़ दिया। रविवार को अशोक सिंघल ने कहा था कि हम धर्म परिवर्तन के लिए नहीं, लोगों के दिल जीतने के लिए निकले हैं। इस्लाम और ईसाई जो कर रहे हैं उससे लग रहा है कि दुनिया युद्ध के सामने खड़ी है। अशोक सिंघल ने आरोप लगाया है कि इस्लाम, ईसाई और कम्युनिस्ट विश्व युद्ध के खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा कि हम इसमें शामिल नहीं हैं।'