PSU, बैंक और बीमा अफसरों के बच्चों को नहीं मिलेगा आरक्षण
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : पब्लिक सेक्टर कंपनियों, बैंकों और बीमा कंपनियों में काम कर रहे पिछड़े वर्ग के अफसरों के बच्चों को अब सरकारी नौकरियों और दाखिले में आरक्षण का फायदा नहीं मिलेगा। मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आरक्षण के नियमों में अहम बदलाव किए हैं जिसके बाद अब क्रीमी लेयर में आने वाले लोगों में पब्लिक सेक्टर, बैंक और बीमा कंपनियों के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है।
क्रीमी लेयर में आने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। अभी तक क्रीमी लेयर का नियम सिर्फ केन्द्र सरकार की नौकरियों में ही लागू होता था। देश में करीब 300 सरकारी कंपनियां हैं। अगर सरकारी बैंकों और बीमा कंपनियों को भी इसमें शामिल किया जाए तो इस फैसले का असर लाखों परिवारों पर पड़ेगा।
इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ये फैसला पिछले 24 वर्षों से लटका हुआ था और इन संस्थानों में काम करने वाले ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों के बच्चे भी आरक्षण का गलत फायदा उठा रहे थे जिन्हें क्रीमी लेयर में होना चाहिए। इसका नतीजा ये होता था कि जिन निचले स्तर के कर्मचारियों के बच्चे आरक्षण पाने के असली हकदार थे उनका हक मारा जा रहा था। अब नियमों में बदलाव करके इस गलती को सुधार लिया गया है।
इससे पहले कैबिनेट ने पिछले हफ्ते फैसला किया था कि क्रीमी लेयर की सीमा 6 लाख सालाना से बढ़ाकर 8 लाख रुपये सालाना कर दी गई है। यानी जिन लोगों की सालाना आय 8 लाख रुपये से ऊपर है वो अब क्रीमी लेयर में आएंगे और उनके बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही यह फैसला भी किया गया कि ओबीसी आरक्षण के कोटे के भीतर कोटा तय करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। यानी वहां भी इरादा यही है कि जो जातियां ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा हिस्सा हड़प ले रही हैं उनपर अंकुश लगाया जाए।