CM की रेस : गुजरात में स्मृति ईरानी तो हिमाचल में नड्डा सबसे आगे
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली/अहमदाबाद/शिमला : गुजरात और हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर अटकलें तेज हैं। गुजरात में सीटें कम होने के बावजूद मौजूदा मुख्यमंत्री विजय रूपाणी पहली पसंद बताए जा रहे हैं। फिर भी 2012 से इस बार सीटें कम होने के बाद दबी जुबान में उठ रहे सवालों की वजह से यहां बदलाव भी मुमकिन है। सीएम की रेस में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का भी नाम काफी जोर शोर से चल रहा है। स्मृति अभी गुजरात से ही राज्यसभा सांसद हैं। इन अटकलों के बीच खुद स्मृति ईरानी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि 'सभी मुझसे छुटकारा पाना चाहते हैं, इसलिए ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं।' उधर हिमाचल प्रदेश में जेपी नड्डा सीएम की रेस में आगे चल रहे हैं क्योंकि यहां भाजपा के घोषित उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल खुद अपना चुनाव हार गए हैं।
गुजरात सीएम की रेस में स्मृति, रूपाला और मनसुख
भाजपा आलाकमान उत्तर प्रदेश की तरह गुजरात में भी नया चेहरा देने की तैयारी कर रही है। संगठन क्षमता और गुजराती भाषा जानने की वजह से स्मृति ईरानी और पाटीदार समुदाय से आने वाले केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया का नाम भी सीएम की रेस में चल रहा है। पुरूषोत्तम रूपाला के नाम का भी जिक्र हो रहा है। मगर भाजपा अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती है। ऐसे भी भाजपा में ये ट्रेंड रहा है कि जिनके नाम सामने आते हैं, वो मुख्यमंत्री बनते नहीं हैं। हालांकि बीते सोमवार को चुनाव के नतीजे आने से पहले तक मुख्यमंत्री के रूप में विजय रूपाणी का नाम तय था मगर भाजपा 100 सीटें भी जीतने में सफल नहीं रही और कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने से 99 सीटों पर ही सिमट कर रह गई, जो पिछले चुनाव से 16 सीटें कम हैं। यही वजह है कि भाजपा अब फिर से मुख्यमंत्री के नाम पर विचार-विमर्श करना चाहती है। अपेक्षा से कम सीटें मिलने के बाद विजय रूपाणी को सीएम बनाकर भाजपा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। इसी कारण से भाजपा एक बार फिर से अपने संभावित नामों पर विचार कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि शनिवार तक इसपर फैसला ले लिया जाएगा। राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि हमारे पर्यवेक्षक अरुण जेटली और सरोज पांडे गुजरात जाएंगे तथा वहां नेताओं से मिलेंगे फिर वो रिपोर्ट देंगे फिर संसदीय बोर्ड तय करेगा कि प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा। वैसे जानकारों की राय में गुजरात के नतीजे वहां की पूरी टीम के लिए ख़तरे की घंटी हैं। राय ऐसी भी है कि अगर वहां नेतृत्व बदलना है तो इससे सही समय दूसरा नहीं होगा।
हिमाचल में धूमल की हार से बढ़ी मुश्किल
हिमाचल में चुनाव से ठीक पहले प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने जो चाल चली वह कामयाब तो होती दिखी, लेकिन धूमल न केवल अपना चुनाव हारे, बल्कि उनके कई करीबी भी हार गए। इनमें योगेंद्र नगर से उनके समधी गुलाब सिंह भी शामिल हैं। इसके अलावा धूमल के अपने जिले हमीरपुर में भी भाजपा हार गई्। अब भाजपा के सामने बड़ा सवाल यह है कि बड़े नेताओं की हार के बाद वह किसे मुख्यमंत्री बनाए। हालांकि शिमला से मिल रही खबरों के मुताबिक धूमल अब भी अपने लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। बताया गया कि ना के कुठलेहड़ से जीते वीरेंद्र कंवर उनके लिए सीट छोड़ने को तैयार हैं। धूमल के चुनाव हार जाने के बाद केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और पांच बार के विधायक जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। हालांकि, सातवीं बार चुनाव जीतने वाले मोहिंदर सिंह, पांचवीं बार विधायक बने राजीव बिंदल, हिमाचल के पूर्व भाजपा अध्यक्ष सुरेश भारद्वाज और चौथी बार चुनाव जीतने वाले कृष्ण कपूर के नाम भी चल रहे हैं। बहरहाल, जेपी नड्डा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए ज़रूर चल रहा है, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का मतलब उन्हें संसदीय बोर्ड, चुनाव समिति और कई दूसरे अहम पदों से मुक्त करना होगा।