हिंडाल्को पर PMO-CBI अब आमने-सामने
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारेख और उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला पर एफआईआर के बाद केंद्र की मनमोहन सरकार बुरी तरह से फंसती दिख रही है। इस मामले में सबसे विस्फोटक प्रगति तब हुई जब प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बात को कबूल कर लिया कि कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को कोल ब्लॉक के आवंटन की मंजूरी प्रधानमंत्री ने ही एक अक्टूबर 2005 को दी थी। अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिस हिंडाल्को को आवंटित कोल ब्लॉक सीबीआई अवैध बता रही है उसपर प्रधानमंत्री का कहना है कि आवंटन में कुछ भी गलत नहीं हुआ है।
हिंडाल्को कंपनी को कोल ब्लॉक के विवादास्पद आवंटन पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने अपने सामने पेश किए गए तथ्यों के आधार पर कोल ब्लॉक आवंटन की मंजूरी दी थी। ओडिशा के तालाबीरा कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़े मामले में हाल ही में सीबीआई ने पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारेख और उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ मामला दर्ज किया है। लेकिन, पारेख ने यह कह कर सबको चौंका दिया था कि अगर इस मामले में उन्हें साजिश का अभियुक्त बनाया गया है तो प्रधानमंत्री को भी अभियुक्त बनाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही संशोधित फैसले को मंजूरी दी थी।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से यह भी कहा गया कि पब्लिक सेक्टर की कंपनी नेयवेली लिग्नाइट कार्पोरेशन के हितों से समझौता करके हिंडाल्को की हिस्सेदारी वाले संयुक्त उपक्रम को कोल ब्लॉक आवंटित नहीं किए गए। इस आवंटन को दी गई मंजूरी को सही ठहराते हुए पीएमओ के बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री इस बात से संतुष्ट हैं कि इस मामले में लिया गया अंतिम फैसला उनके सामने प्रस्तुत किए गए तथ्यों के आधार पर पूरी तरह सही था।
इस मामले में विपक्ष शुरू से ही प्रधानमंत्री की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए इस्तीफे की मांग करता रहा है। क्योंकि तब प्रधानमंत्री के पास ही कोयला मंत्रालय था। सीबीआई ने पी.सी. पारेख पर दर्ज एफआईआर में 'कॉम्पिटेंट अथॉरिटी' की बात कही थी। सीबीआई के मुताबिक इसी 'कॉम्पिटेंट अथॉरिटी' के कहने पर स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिशें बदली गईं। अब प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस बात को कबूल कर रहा है कि 'कॉम्पिटेंट अथॉरिटी' प्रधानमंत्री ही थे। इस विवाद में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी लपेटे में आ गए हैं।
पीएमओ का कहना है कि ऐसा ओडिशा के मुख्यमंत्री की 17.8.2005 की चिट्ठी के आधार पर किया गया। नवीन पटनायक ने तालबीरा-2 हिंडाल्को को आवंटित करने की सिफारिश की थी। पी.सी. पारेख की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमिटी ने संभलपुर स्थित तालबीरा-2 कोल ब्लॉक नेयवेली लिग्नाइट को आवंटित करने की सिफारिश की थी। पी. सी. पारेख को बाद में कोल सचिव बनाया गया था। तब हिंडाल्को के बारे में कहा गया था कि वह पहले से आवंटित कोल ब्लॉकों के इस्तेमाल में नाकाम रही है। कमेटी ने कहा था कि हिंडाल्को के पास पहले से पर्याप्त कोल ब्लॉक हैं। कोयला मंत्रालय ने जो कि उस वक्त प्रधानमंत्री के पास था स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिशों को नजरअंदाज करते हुए हिंडाल्को को कोल ब्लॉक में हिस्सेदारी दी थी।