नोटबंदी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता में दरार, लेफ्ट और जेडीयू ने बनाई दूरियां
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : मोदी सरकार की नोटबंदी पर केंद्र सरकार को घेरने में जुटी कांग्रेस और दूसरी कई विपक्षी पार्टियां मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रही है। लेकिन इससे पहले कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्ष की इस बैठक का जेडीयू, एनसीपी और लेफ्ट दलों ने बहिष्कार कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, जेडी(एस), जेएमएम, आईयूएमएल और एआईयूडीएफ समेत आठ विपक्षी पार्टियां शामिल होंगी।
हालांकि सोमवार को ही विपक्ष की एकजुटता में दरार खुलकर सामने आ गई थी जब सीपीएम ने एलान किया था कि वह इस मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक और प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं होगी। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, हमने कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक से दूर रहने का फैसला किया है क्योंकि विभिन्न दलों के बीच उचित सलाह-मशविरा और समन्वय नहीं किया गया है।
शरद पवार की एनसीपी ने भी सोमवार को ही बैठक और प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने से मना कर दिया था। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मालिक ने कहा, पिछले पांच-छह संसद सत्रों में एनसीपी सभी विपक्षी दलों के साथ रही है। लेकिन कांग्रेस नेता हाल ही में सभी अन्य दलों को छोड़कर पीएम से मिलने अकेले चले गए। विपक्षी दलों के बीच एकता पर इससे सवाल खड़ा होता है। मलिक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल की पीएम मोदी के साथ हुई बैठक का जिक्र कर रहे थे।
जेडीयू के केसी त्यागी ने कहा कि इस बैठक के पीछे की असली भावना के बारे में पता नहीं है। विपक्षी पार्टियों की बैठक के लिए एक कॉमन एजेंडा होना चाहिए जिसकी हमें जानकारी नहीं है। ममता चाहतीं हैं कि फैसला वापस हो, लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते। विपक्ष के कुछ ईर्ष्यालु नेताओं द्वारा नीतीश कुमार को गलत समझा गया। विपक्ष को यह बात समझनी होगी कि नीतीश ने नोटबंदी का समर्थन किया था, मोदी या अन्य मुद्दों का नहीं।
बैठक के सिलसिले में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को ही दिल्ली पहुंच गई हैं. लेकिन इस बार कांग्रेस सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने में नाकाम रही है और बड़े नेताओं में सिर्फ ममता और लालू प्रसाद यादव के ही इस संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में रहने की संभावना है। असल में कांग्रेस ने बैठक में शामिल होने के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जब बुलाया, तभी जेडीयू और वाम दलों ने साफ कर दिया कि वह इस बैठक में नजर नहीं आएंगे।
कांग्रेस की ममता बनर्जी से बढ़ रही नजदीकियां वाम दलों को रास नहीं आ रही हैं, तो वहीं नीतीश कुमार को गद्दार कहने के लिए जेडीयू अभी तक ममता बनर्जी को माफ नहीं कर पाई है। बसपा और सपा का ध्यान सिर्फ चुनावों पर है तो कई अन्य दलों ने भी कुछ कांग्रेस नेताओं के नाम सहारा की डायरी में आने पर बैठक से कन्नी काट ली है। दूसरी तरफ कांग्रेस के बड़े नेता बैठक का बहिष्कार करने वाले विपक्षी दलों को मनाने में जुटे हैं। उनकी कोशिश है कि अगर विपक्ष के बड़े नेता खुद नहीं आते हैं तो वो कम से कम अपने प्रतिनिधि के तौर पर किसी नेता को बैठक में भेज दें ताकि नोटबंदी पर विपक्ष की एकता का दावा किया जा सके। अब देखना यह है कि कांग्रेस को इस काम में कितनी सफलता मिलती है।