सुप्रीम कोर्ट का फरमान- SC/ST उत्पीड़न एक्ट के तहत अब तुरंत नहीं होगी गिरफ्तारी, कांग्रेस को दिखी इसमें भाजपा की चाल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फरमान ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय की गाइडलाइन्स पर भारतीय जनता पार्टी की चुपी पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इसे कमजोर करने का ठीकरा आरएसएस और भाजपा के सिर फोड़ा है। कांग्रेस ने कहा इस फैसले से भाजपा का गरीब और दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है। कांग्रेस इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। इसकी जानकारी कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया को दी।
कांग्रेस ने कहा कि हर 12 मिनट में एक दलित पर अत्याचार हो रहा है। 40 हजार आठ सौ मुकदमें हुए हैं। सरकार के आंकड़े कहते हैं कि इस मामले में महज 25 फीसदी केस में ही सजा मिलती है। मोदी सरकार ने एसएसटी सबप्लान को खत्म कर दिया... भाजपा इस कानून को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के समर्थन से शोषण हो रहा है। एससी-एसटी एक्ट पर फैसला काफी अफसोसजनक है। कांग्रेस ने योगी के साबुन वाली घटना और येदुयेरप्पा पर भी हमला बोला और कहा कि ये लोग दलित के घर जाते हैं और फाइव स्टार होटल से खाना मंगवा कर खाते हैं। वहीं योगी लोगों से मिलने के बाद साबुन से हाथ धोते हैं।
बता दें कि मंगलवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अपराध में सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में अब कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी। इतना ही नहीं गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है और गिरफ्तारी से पहले जमानत दी जा सकती है।
क्या कहा कोर्ट ने-
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई आरोपी व्यक्ति सार्वजनिक कर्मचारी है, तो नियुक्ति प्राधिकारी की लिखित अनुमति के बिना, यदि व्यक्ति एक सार्वजनिक कर्मचारी नहीं है तो जिला के वरिष्ठ अधीक्षक की लिखित अनुमति के बिना गिरफ्तारी नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि ऐसी अनुमतियों के लिए कारण दर्ज किए जाएंगे और गिरफ्तार व्यक्ति व संबंधित अदालत में पेश किया जाना चाहिए। मजिस्ट्रेट को दर्ज कारणों पर अपना दिमाग लगाना चाहिए और आगे आरोपी को तभी हिरासत में रखा जाना चाहिए जब गिरफ्तारी के कारण वाजिब हो। यदि इन निर्देशों का उल्लंघन किया गया तो ये अनुशासानात्मक कार्रवाई के साथ साथ अवमानना कार्रवाई के तहत होगी। कोर्ट ने कहा कि संसद ने कानून बनाते वक्त ये नहीं सोचा था कि इसका दुरुपयोग किया जाएगा।