बारू 'बम' से सकते में कांग्रेस, PMO की सफाई
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय ने पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू पर अपने विशेष पद का ‘दुरुपयोग’करने का आरोप लगाया है। साथ में ये भी कहा है कि किताब व्यावसायिक लाभ लेने की कोशिश है। दरअसल, इस पुरी कवायद की वजह डॉ संजया बारू का 'किताब बम' है। बारू ने अपनी पुस्तक ‘द एक्सीडेंटल प्राईम मिनिस्टर - द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी में मनमोहन सिंह को तवज्जो नहीं दी गई। उन्हें सोनिया गांधी ने कमजोर किया और अपनी समानांत्तर सत्ता खड़ी की।
बारू की किताब की कुछ विषय वस्तु के सार्वजनिक होते ही पीएमओ ने बयान जारी किया, जिसमें इसने कहा, 'यह विशेष पद का दुरुपयोग करने का प्रयास है और उच्च पद का इस्तेमाल व्यावसायिक लाभ के लिए करना है।' पीएमओ ने कहा कि किताब में पूर्व सलाहकार ने गलत एवं पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार शामिल किए हैं।
इसने कहा कि पिछले वर्ष अक्तूबर में सिंह ने जब वरिष्ठ संपादकों से मुलाकात की थी, तो उनसे बारू की 'टिप्पणियों' के बारे में पूछा गया था। प्रधानमंत्री ने संपादकों से कहा था कि वह जो कहते हैं उस सब पर विश्वास मत कीजिए।
डॉ. बारू की इस किताब में कई ऐसे खुलासे किए गए हैं जो कांग्रेस के राजनीतिक विरोधियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इस किताब में पूर्व मीडिया सलाहकार ने खुलासा किया है कि डॉ. सिंह एकदम कमजोर प्रधानमंत्री थे और उनके मंत्री उनके काबू से बाहर थे। बारू ने कहा कि मंत्रियों को यह पता था कि वे अपने पद पर सोनिया गांधी की वजह से हैं लिहाजा उन पर मनमोहन सिंह का नियंत्रण नहीं था।
पुस्तक में किए गए दावों के अनुसार मनमोहन सिंह रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन को वित्त मंत्री बनाना चाहते थे। लेकिन सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से सलाह किए बिना ही प्रणव मुखर्जी को वित्त मंत्री बनाने का फैसला ले लिया था।
दूरसंचार घोटाले में फंसे द्रमुक नेता और तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा के बारे में डॉ. बारू की किताब में कहा गया है कि प्रधानमंत्री उन्हें पहले ही हटाना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं होने दिया गया। पूर्व मीडिया सलाहकार का कहना है कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री का पद तो मिला था पर उन्हें इसके अधिकार नहीं मिले थे।