जज बीएम लोया केस में जांच पर कांग्रेस ने खड़े किए बड़े सवाल, पूछा- किसे बचाया जा रहा है?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कांग्रेस ने सीबीआई जज बृजमोहन हरकिशन लोया की मौत के मामले में जांच को लेकर बुधवार को पूछा कि लोया की बहन के बयान पर न्यायपालिका ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? जब 100 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की गई, तब एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई करने वाले सीबीआई जज बीएच लोया की मौत को लेकर कांग्रेस ने कई सवाल खड़े किए हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पूछा कि जज लोया की बहन के बयान पर न्यायपालिका ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? जज लोया मामले में जब 100 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की बात सामने आई थी, तब एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? आखिर इस मामले की जांच क्यों नहीं की गई। इस मामले में किसका बचाव किया जा रहा है?
जज लोया के दो करीबियों की भी संदिग्ध मौत का दावा
जज लोया की मौत मामले में कांग्रेस के चार बड़े नेता और वकीलों ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो लोगों को पेश किया। इनमें से एक लोया केस का पहला याचिकाकर्ता था और दूसरा उसका वकील है। इन दोनों के हवाले से कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि लोया पर दबाव की जानकारी जिन लोगों को थी उनमें से दो की संदिग्ध मौत हो चुकी है। कांग्रेस ने दावा किया कि सूर्यकांत लोगले लोया की मौत के मामले में पहले याचिकाकर्ता हैं और सतीश उके इस मामले के पैरवीकार थे। कांग्रेस प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि जज लोया ने वकील श्रीकांत खंडालकर और रिटायर्ड जज प्रकाश थोम्ब्रे के जरिए सतीश उके से संपर्क किया था। लोया चाहते थे कि सतीश उन लोगों के खिलाफ केस करे जो सोहराबुद्दीन मामले में आरोपी को छोड़ने का दबाव बना रहे थे। दावे के मुताबिक, सतीश उके की जज लोया के साथ वीडियो कॉल के जरिए बातचीत भी हुई। इस बातचीत में जज लोया ने सतीश उके से अपने ऊपर पड़ रहे दबाव की बात की और कहा कि उन्हें एक ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी दी गई है, जिसके मुताबिक फैसला सुनाने का दबाव है। कांग्रेस की दलील है कि जिन दो लोगों से लोया ने संपर्क किया उनकी भी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। जज लोया की मौत के ठीक एक साल बाद 29 नवंबर, 2015 को वकील श्रीकांत खंडालकर का शव नागपुर के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अहाते से बरामद हुआ। कहा गया कि वो आठवीं मंजिल से नीचे गिर गए। कपिल सिब्बल के मुताबिक, जस्टिस लोया ने खुद को मिली ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी अपने करीबी जानकार और भरोसेमंद जज प्रकाश थोम्ब्रे को दी थी जो तब रिटायर हो चुके थे। लेकिन जज लोया की संदिग्ध मौत के करीब डेढ़ साल बाद 16 मई, 2016 को जज थोम्ब्रे की भी संदिग्ध हालात में ट्रेन में मौत हो गई। थोम्ब्रे उस समय नागपुर से बेंगलुरु जा रहे थे और हैदराबाद के करीब उनकी मौत हुई। कांग्रेस का कहना है कि थोम्ब्रे के पास ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी थी इसलिए उनकी मौत की भी जांच होनी चाहिए। कांग्रेस की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी बनाकर इस मामले की जांच कराई जाए। वैसे इस मामले पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कह चुके हैं कि मामला गंभीर है और कोर्ट इससे जुड़े सभी रिकॉर्ड्स को देखेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चल रहे सभी मामलों की फाइल अपने पास मंगा ली है, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में महाराष्ट्र सरकार लीपापोती की कोशिश कर रही है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि जिस वक्त जज लोया सीबीआई के जज थे उस वक्त वे बिना किसी सुरक्षा के नागपुर गए थे। रवि भवन गेस्ट हाउस के रजिस्टर में सिर्फ श्रीकांत कुलकर्णी का नाम था, लेकिन जज बृजमोहन लोया और श्रीराम मधुसूदन मोडक का कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया। उन्होंने पूछा, अगर लोया और मोडक के रवि भवन गेस्ट हाउस में ठहरने का कोई साक्ष्य नहीं है, तो ऐस में वे कहां रुके थे?
कपिल सिब्बल ने गेस्ट हाउस के रजिस्टर में की गई एंट्री को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि गेस्ट हाउस का रजिस्टर 2014 का है, लेकिन इसमें एंट्री साल 2017 में की गई। कपिल सिब्बल ने यह दावा भी किया कि उनके पास इस तरह का रिकॉर्ड भी है। सिब्बल ने पूरे मामले की जांच स्वतंत्र एसआईटी से कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम देश के कोने-कोने में जाएंगे और इसे लेकर आवाज उठाएंगे। सिब्बल ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है और यही बात सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीश भी कह रहे हैं। प्रेस कान्फ्रेंस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के अलावा सलमान खुर्शीद, सांसद विवेक तन्खा और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला भी मौजूद थे।