किसी एक शख्स की नहीं बल्कि ये जनता की जीत है: भागवत
सत्ता विमर्श ब्यूरो
भुवनेश्वर/नई दिल्ली: इसे भाजपा की राष्ट्रीय परिषद का आफ्टर इफेक्ट ही कहेंगे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा को स्पष्ट संकेत दे दिया कि पार्टी की जीत किसी एक की नहीं बल्कि जनता की जीत है। शनिवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मोदी ने एनडीए की जीत में अमित शाह को 'मैन ऑफ द मैच' बताया था। रविवार को ओडिशा में एक कार्यक्रम में भागवत ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि लोकसभा चुनाव में किसी शख्स नहीं बल्कि जनता की वजह से एनडीए को जीत मिली है।
हालांकि, बाद में संघ की ओर से सफाई भी आई कि भागवत के बयान को पीएम के बयान से जोड़कर न देखा जाए। संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा, 'मोहन भागवत जनता को शासन बदलने के लिए श्रेय देने की बात पहले भी आरएसएस के अलग-अलग फोरम में कह चुके हैं। भागवत और मोदी, दोनों की बातों की पृष्ठभूमि अलग-अलग है।'
उन्होंने कहा, 'अगर नरेंद्र मोदी किसी की तारीफ करते है तो वह उनकी पार्टी के अंदर का मूल्यांकन है। अमित शाह यूपी के प्रभारी थे, जहां मिली सीटों का बीजेपी की जीत में बड़ा सहयोग है। इसलिए अपनी पार्टी के अंदर नरेंद्र मोदी का ऐसा कहना और भागवत का पब्लिक मीटिंग में कुछ कहना, दोनों को जोड़ा नहीं जा सकता।'
मोहन भागवत के इस बयान के बाद विपक्ष ने भी मौका लपक लिया है। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि भागवत दुरुस्त फरमा रहे हैं। एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि भागवत से सहमत हूं कि लोगों को बदलाव की जरूरत थी और जनता ने इसके लिए वोट किया।
वहीं, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि आरएसएस और भाजपा में विरोधाभास पहले भी दिखता रहा है। प्रधानमंत्री एक शख़्स को जीत का हीरो बता रहे हैं, जबकि मोहन जी भागवत इसे जनता की जीत बता रहे हैं। जेडी(यू) नेता अली अनवर ने संघ पर निशाना साधते हुए कहा, 'मोहन भागवत चुनाव में जीत के लिए मोदी के संघ को क्रेडिट नहीं देने पर नाराज हैं। इसी वजह से वह ऐसी बातें कर रहे हैं।'
भागवत ने कहा था कि इससे पहले के चुनावों में भी यही पार्टी और लोग थे, लेकिन ऐसा बदलाव संभव नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस जीत का श्रेय पार्टी को देते हैं तो कुछ व्यक्ति विशेष को, लेकिन जीत तभी मिली जब देश की जनता ने निर्णय किया।
संघ प्रमुख ने देश की सुरक्षा और विकास पर जोर देते हुए कहा कि जिम्मेदारी सरकार पर नहीं बल्कि लोगों पर हैं क्योंकि वोटर ही देश के मालिक हैं। उन्होंने ने कहा, 'सामाजिक विकास के लिए देश की सुरक्षा जरूरी है। लोग अब 'तलवार' जैसे पारंपरिक हथियार भूल गए हैं और उनकी जगह नए हथियारों ने ले ली है।
इससे पहले भागवत ने कटक में एक कार्यक्रम के दौरान हिन्दुस्तान और हिन्दू के बारे में राय जाहिर की, उन्होंने कहा, ''जब इंग्लैंड में रहने वाले अंग्रेज, जर्मनी में रहने वाले जर्मन और अमरीका में रहने वाले अमरीकी हैं तो हिंदुस्तान में रहने वाले हिंदू क्यों नहीं हो सकते?'' इस बयान पर कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने भागवत के इस बयान की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनता दल युनाइटेड, माकपा और बसपा ने भागवत के इस बयान की कड़ी आलोचना की है जबकि भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने संघ प्रमुख के बयान का समर्थन किया है।