जेएनयू राजद्रोह केस में दिल्ली पुलिस ने दायर किया कन्हैया कुमार समेत 10 के खिलाफ चार्जशीट
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने 2016 में दर्ज राजद्रोह के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा अन्य के ख़िलाफ़ सोमवार को आरोप-पत्र दाख़िल किया। पुलिस ने जेएनयू परिसर में 9 फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के लिए पूर्व छात्रों उमर ख़ालिद तथा अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ भी आरोप-पत्र दाखिल किया। यह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था। इस मामले में कश्मीरी छात्र-छात्राओं आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट्ट, बशरत के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए।
कन्हैया ने चार्जशीट को बताया राजनीति से प्रेरित
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने दिल्ली पुलिस द्वारा देशद्रोह के मामले में उनके और अन्य लोगों के खिलाफ दायर किए गए आरोप पत्र पर सवाल उठाया और इसे 'असफल' मोदी सरकार की राजनीतिक साजिश बताया। कन्हैया कुमार ने कहा कि यह मोदी सरकार द्वारा 'अपनी सभी असफलताओं को छिपाने के लिए चली गई विभाजनकारी चाल है।' उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मुझे अदालत से कोई समन या सूचना नहीं मिली है। लेकिन, अगर यह सच है तो हम पुलिस और मोदी का आभार प्रकट करते हैं कि आखिरकार तीन साल बाद, जब उनका और उनकी सरकार के जाने का समय आ गया है, तब आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। लेकिन, जो उल्लेखनीय है वह है आरोप पत्र को दाखिल करने का समय..लोकसभा चुनावों से ठीक पहले।
कन्हैया कुमार ने कहा, यह सबूत है कि इसके पीछे राजनीतिक उद्देश्य है। उद्देश्य है कि हर मोर्चे पर असफल मोदी सरकार अपना एक भी वादा पूरा नहीं कर पाई है, इसलिए वह ध्यान बांटने के लिए अपने सारे पत्ते खेल रही है। घटना के तीन साल बाद आरोप पत्र दाखिल करने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपने सभी वादों की तरह इस मामले में भी गंभीर नहीं थी और अब इस मुद्दे का राजनीतिक उपयोग कर रही है। उन्होंने सवाल किया, सरकार अगर वाकई इस मामले में गंभीर थी और मानती थी कि हम देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे तो आरोप पत्र दाखिल करने में तीन साल क्यों लगे, वो भी चुनावों से ठीक पहले? शहला राशिद ने भी मोदी सरकार पर इस मामले का राजनीतिक उपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने 'बेचैनमोदी' हैशटैग के साथ ट्वीट किया, मोदी सरकार ने इस कृत्रिम विवाद का उपयोग किश्तों में किया है। अगली किश्त 2019 के आम चुनावों के नामांकन के दिन होगी।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोप-पत्र की कॉलम संख्या 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता डी. राजा की पुत्री अपराजिता, जेएनयूएसयू की तत्कालीन उपाध्यक्ष शहला राशिद, राम नागा, आशुतोष कुमार और बनोज्योत्सना लाहिरी सहित कम से कम 36 अन्य लोगों के नाम हैं क्योंकि इन लोगों के खिलाफ सबूत अपर्याप्त हैं। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुमित आनंद ने आरोप-पत्र सक्षम अदालत में मंगलवार को विचार के लिए सूचीबद्ध किया। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह), 323 (किसी को चोट पहुंचाने के लिए सज़ा), 465 (जालसाज़ी के लिए सज़ा), 471 (फ़र्ज़ी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक के तौर पर इस्तेमाल करना), 143 (ग़ैरक़ानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने के लिए सज़ा), 149 (ग़ैरक़ानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होना), 147 (दंगा फैलाने के लिए सज़ा) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
आरोप-पत्र में सीसीटीवी के फुटेज, मोबाइल फोन के फुटेज और दस्तावेज़ी प्रमाण भी हैं। पुलिस का आरोप है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था। भाजपा के सांसद महेश गिरी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में 11 फरवरी 2016 को अज्ञात व्यक्तियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए तथा 120बी के तहत एक मामला दर्ज किया गया था। एबीवीपी ने कथित आयोजन को राष्ट्र विरोधी बताते हुए शिकायत की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अनुमति रद्द कर दी थी। बावजूद इसके यह आयोजन हुआ था।