चंदे में पारदर्शिता लाने को चुनावी बॉन्ड से जुड़े नियम घोषित
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : चुनावी चंदे में नकदी देने के चलन को हतोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) से जुड़े नियमों की घोषणा कर दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को लोकसभा में इसका ऐलान करते हुए कहा कि इसके नियम तय कर दिए गए हैं। ये बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीदे जा सकते हैं। जेटली ने दावा किया कि इससे राजनीति में काले धन के इस्तेमाल पर लगाम लग जाएगी।
अरुण जेटली के अनुसार, देश का कोई भी नागरिक और यहां कार्यरत कोई भी संस्था इन बॉन्डों को खरीदकर चुनावी चंदा दे सकती है। उन्होंने बताया है कि इन इलेक्टोरल बॉन्डों पर उसके ग्राहक का नाम दर्ज नहीं किया जाएगा। हालांकि इसके ग्राहकों को एसबीआई के केवाईसी नियमों (ग्राहकों की पहचान सुनिश्चित करने वाली प्रक्रिया) का पालन करना अनिवार्य होगा। सरकार के अनुसार, ये बॉन्ड एक हजार, 10 हजार, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध होंगे। हालांकि जानकारों का मानना है कि ये बॉन्ड असल में ‘ब्याज-मुक्त ऋण पत्र’ की तरह के होंगे।
केंद्र सरकार के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी होने वाले इस बॉन्ड का गारंटर भी वही होगा जो भुनाए जाने तक इसकी गारंटी लेगा। वैसे इसकी वैधता अवधि केवल 15 दिनों की होगी। सरकार के अनुसार इन बॉन्डों को पार्टी के अधिकृत बैंक खातों में ही भुनाया जा सकता है। नियमों के अनुसार, ये बॉन्ड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिनों तक एसबीआई की चुनिंदा शाखाओं में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। हालांकि जिस साल देश में आम चुनाव होंगे, उस दौरान इसे सभी कार्यदिवसों पर खरीदा जा सकता है।