कांग्रेस ने गोवा और कर्नाटक का प्रभार दिग्विजय से छीना
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: कांग्रेस ने गोवा और कर्नाटक के प्रभारी पद से पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह को हटा दिया है। उनकी जगह गोवा की कमान ए चेला कुमार और कर्नाटक की कमान वीसी वेणुगोपाल को थमाई गई है। इसकी वजह गोवा में बहुमत के करीब पहुंच कर भी सरकार ना बनाना और कर्नाटक में अगले साल यानी 2018 में होने वाले चुनावों को लेकर तैयारी बताई जा रही है।
दरअसल, गोवा में सर्वाधिक सीट पाने के बावजूद सरकार ना बनाने को लेकर पार्टी की काफी फजीहत हुई थी। अब पार्टी कमान ने उसी को ध्यान में रखकर ये कदम उठाया है। 18 मार्च को सरकार ना बना पाने के बाद गोवा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लुइजिन्हो फालेरियो ने इशारों इशारों में इस असफलता के लिए दिग्विजय सिंह और गोवा स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष के सी वेणुगोपाल को जिम्मेदार ठहराया था।
फालेरियो ने उन अफवाहों को तब बकवास बताया था जिसमें सरकार बनाने को लेकर पार्टी के भीतर विरोध थे। उन्होंने बताया था कि उनके पास 21 एमएलए थे। लेकिन तब दिग्विजय सिंह ने कहा था कि वो राज्यपाल मृदुला सिन्हा के सरकार बनाने के लिए औपचारिक न्योते का इंतजार करेंगे। फालेरियो ने बताया था, 'प्रक्रिया के तहत मैंने राज्यपाल के लिए एक लेटर ड्राफ्ट किया कि हम सरकार बनाने का दावा करना चाहते हैं, लेकिन दिग्विजय सिंह ने कहा कि नियमानुसार राज्यपाल हमें बुलाएंगी। इसी वजह से हमने इंतजार किया।'
हालांकि इससे पहले ही दिग्विजय सिंह ने 13 मार्च को भाजपा पर छोटी पार्टियों और निर्दलीय दलों के नेताओं को लालच देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा इनके सहारे सूबे में अपना दावा पेश कर प्रदेश में सर्वाधिक सीट पाने वाली कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकना चाहती है। बाद में दिग्विजय ने ट्वीट के जरिए गोवा वासियों से माफी मांगते हुए कहा था कि उन्हें दुख है कि धन बल ने जन बल को हरा दिया। हमें दुख है कि हम सत्ता पर काबिज होने वाला आंकड़ा नहीं जुटा पाए। फिर भी साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ कांग्रेस की जंग जारी रहेगी।
बाद में कांग्रेस के जख्मों पर नमक शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी छिड़का था। उन्होंने कहा था कि दिग्विजय गोवा में छुट्टियां मना रहे थे। पर्रिकर ने कहा था, 'कांग्रेस (नेताओं) का फ्लोर टेस्ट के लिए (गोवा) आना संभवत: हाइप पैदा करना था क्योंकि यह मांग की जा रही थी कि दिग्विजय सिंह को पार्टी जनरल सेक्रटरी के पद से हटाया जाए।...ऐसा ही होता है, जब आप गोवा इंजॉय करने आते हैं, काम करने के लिए नहीं।'
पर्रिकर ने यह भी कहा कि 40 विधानसभा सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत साबित करके उन्होंने कांग्रेस के उस दावे की हवा निकाल दी है, जिसमें उसने अपने समर्थन में जरूरी संख्याबल होने की बात कही थी।
कांग्रेस पार्टी में काफी वक्त से बदलाव की मांग उठ रही थी। सत्यव्रत चतुर्वेदी ने भी पार्टी में बदलाव की मांग को देर से उठाने वाला कदम बताया था। सत्यव्रत ने कहा, 'अब करने से भी क्या होगा, जब करना चाहिए तब किया नहीं।' वहीं, गोवा में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में दिग्विजय सिंह को नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। विधायकों ने आरोप लगाया था कि पार्टी लीडरशिप और दिग्विजय ने जरूरी 4 विधायकों का समर्थन जुटाने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों से जल्दी से बातचीत नहीं की।
कांग्रेस के विधायक विश्वजीत राणे ने कहा था कि 17 विधायकों के बाद भी पार्टी की निर्णय की क्षमता धीमी रही। बता दें कि चुनाव में कांग्रेस को 17, बीजेपी को 13, महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी को 3-3 सीटें मिली थीं। एनसीपी को एक सीट पर जीत मिली थी। इसके अलावा 3 सीटें स्वतंत्र उम्मीदवारों को मिले थे।