'मीडिया को दोष मत दीजिए, आप जो मसाला देते हैं उससे हो रही है पार्टी की छवि खराब'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़े सख्त लहजे में अपनी पार्टी के चुने हुए सांसदों और विधायकों को नसीहत दी है कि वो विवादित बयानों से बचें और हर विवाद के लिए मीडिया को ही जिम्मेदार ना ठहराएं। इसका असर उलटा पड़ता है और उनके साथ-साथ पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुंचता है। Namo एप्प के जरिए प्रधानमंत्री अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं से मुखातिब थे। मोदी उन सांसदों को संदेश दे रहे थे जो गलत बयानी के बाद पछतावा करते हैं, यू टर्न लेते हैं और फिर सारा ठीकरा मीडिया पर फोड़ देते हैं।
प्रधानमंत्री ने साफ लफ्जों में कहा कि अनर्गल बयान देने वाले लोग ही मीडिया को मसाला देते हैं, जिससे बात जरूरत से ज्यादा बिगड़ जाती है। उन्होंने आगे कहा कि- हमारी गलती से मीडिया को मसाला मिलता है। जैसे ही किसी कैमरा पर्सन को देखते हैं तुरंत टिप्पणी करने के लिए कूद पड़ते हैं, जैसे हम कोई महान सामाजशास्त्री हों या विद्वान हैं। उसके बाद यही गलत बयानी मीडिया और दल की छवि को खराब करते हैं। सो यह मीडिया की गलती नहीं है।
मैंने कुछ को समझाया...तो बोलने पर लगी लगाम
यकीनन मोदी का इशारा हाल ही में कुछ संवेदनशील मुद्दों को लेकर पार्टी के पदासीन लोगों की तरफ से दी गई बयानबाजी की ओर था। मोदी ने स्पष्ट किया है कि पार्टी और व्यक्तिगत हित में यही होगा कि पार्टी द्वारा तय किए गए आधिकारिक प्रवक्ता ही राय रखें। लोकसभा चुनावों के बाद ऐसे 8-10 सांसद थे, जिन्हें बहुत बोलने की आदत थी। मैंने उनको समझाया और अब पिछले तीन-चार साल में वो ऐसा कोई बयान नहीं देते जिससे पार्टी को नुकसान पहुंचे। इसलिए बोलने से पहले सोचिए...संयम रखें। सो मीडिया को दोष मत दीजिए। मीडिया अपना काम करता है। हमारा काम है कि हम हर चीज में उलझे नहीं और राष्ट्र का मार्ग दर्शन करने के लिए टीवी के सामने खड़े ना हो जाएं।
बयानवीरों ने कराई है फजीहत
लेकिन लगता है मोदी का ये सख्त संदेश केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार तक ठीक से नहीं पहुंचा। तभी उन्होंने रेप की घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक-दो रेप होते रहते हैं...उसका बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए। साध्वी प्रज्ञा हों या फिर केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े सभी बेतुके बयान देने में माहिर हैं। ज्यादा दिन नहीं बीते जब त्रिपुरा के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री बिप्लव देब ने सोशल मीडिया पर डंके की चोट पर कहा था कि महाभारत काल में भी भारत इंटरनेट सेवा का उपयोग करता था और अमेरिका की देन नहीं है। इससे पहले केन्द्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने भी चार्ल्स डारविन को लेकर हास्यास्पद बयान दिया था। कहा था कि वो थ्योरी वैज्ञानिक तौर पर अव्यवहारिक है और स्कूली शिक्षा से उसे निकाल देना चाहिए।
ट्विटर फॉलोअर बढ़ाएं
प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही मीनी स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं को सराहा। अपनी सरकार द्वारा बच्चों, बुजुर्गों, युवाओं और महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में भी बताया। साथ ही कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि वो अपना एक गांव चुन कर उसमें सरकार की एक विकास योजना को चलवाएं। मोदी ने सांसदों को अपने ट्विटर फॉलोअर्स की संख्या 3 लाख तक पहुंचाने की भी अपील की। उन्होंने मुद्रा योजनाओं से महिलाओं को हो रहे लाभ पर भी प्रकाश डाला और आयुष्मान भारत योजना के जरिए गांवों में वेलनेस सेंटर की सुविधाओं के बारे में भी बताया।